संजय जैन
धमतरी | हिन्दू नववर्ष या भारतीय नूतन वर्ष के शुभ संध्या पर धमतरी नगर के सदर बाजार मठ मंदिर चौक मोह्हले वासियो द्वारा भारत माता कि जय, वन्देमातरम, जय श्री राम के जय घोष के साथ भारत माता कि आरती कर नव वर्ष मनाया गया इस अवसर पर हरलाल साहू ने उपस्तिथ जन मानस को बताया कि प्रत्येक वर्ष भारतीय नववर्ष या वर्ष प्रतिपदा उत्सव हिन्दू कैलेंडर के प्रथम महीने चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (प्रथम तिथि) को मनाया जाता है। इस दिन को सम्पूर्ण भारतवर्ष में चैत्र नवरात्री, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, और मध्य प्रदेश में उगाड़ी हिन्दू नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है।
संवत्सर शब्द सम् व वत्सर शब्दों से मिलकर बना है। सम् का अर्थ है ब्रह्म व वत्सर ब्रह्मा की कला जिससे काल (समय) बना है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भारत में प्रचलित सभी संवतों का प्रारम्भ दिन। अर्थात् भारत नववर्षाभिनन्दन दिवस। हमारी सांस्कृतिक महिमा और राष्ट्रीय गौरव का जागृत रूप अर्थात् नव स्फूर्ति और उल्लास का दिन।
बसन्त में नव संवत्सर का आगमन होता है। यह नव पल्लव प्रस्फुटन की बेला है। प्रफुल्लता व प्रेरणा की ऋतु है। आगे सकल जैन संघ के पूर्व अध्यक्ष सतीश नहर ने कहा कि जनवरी पाश्चात्य नववर्ष है। वस्तुतः यह काल गणना कोई जड़ पैमाना नहीं है। व्यावहारिक और पारमार्थिक सत्ता की योजक कड़ी है। भारतीय पंचांग से इसे समझा जा सकता है इस दिन से बहुत से प्रेरक प्रसंग जुड़े हुए हैं जो प्रत्येक हिन्दू को आज भी स्फूर्ति प्रदान करते हैं।
आज के दिन भगवान राम का राज्यारोहण हुआ था। उन्होंने लोक को शोक संताप देने वाले रावण का विनाष कर दैहिक, दैविक, भौतिक तापों से मुक्त कर आदर्ष राम-राज्य की स्थापना की। आज भी इसे उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।शक्तिरूपा माँ दुर्गा की उपासना, नवदुर्गा के नाम से इसी दिन से प्रारम्भ की जाती है। माँ दुर्गा की उपासना हमारी संस्कृति में मातृशक्ति के महत्व को दर्शाता है। दुर्गा माँ समाज के रक्षण-पोषण और संस्कार की प्रतीक है। यह मातृशक्ति है जो देवताओं की संगठित शक्ति के पुँज की प्रतीक है।यूनान आक्रमण के विपरीत शकों का आक्रमण हमारे देश केl काफी भीतरी भागों तक हुआ था। 12 वर्षों तक समाज को संगठित कर विक्रमादित्य ने शकों का समूल नाश कर भगवा फहराया था। समाज ने उन्हें शकारि विक्रमादित्य की उपाधि से विभूषित किया था। हिन्दू जीवन दर्षन की पुनः स्थापना हुई, शकों को पचा लेने की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई और विक्रम संवत् की स्थापना हुई।इस अवसर पर युवा समाज सेवी महेन्द्र पंडित ने कहा कि मुगल अत्याचार से मुक्त कराने के लिए आज ही के दिन वरूणावतार सन्त झूलेलाल का जन्म वि.सं. 1064 को नासरपुर में हुआ। आततायी बादषाह मीरशाह को समाप्त करने के लिए जल सेना का निर्माण किया। नर मछली (वल्लों) के समान तीव्रगामी नौका युक्त जल सेना का निर्माण करने वाले सन्त झूलेलाल को दरियाशाह भी कहते हैंl पश्चिमी संस्कृति की चकाचौंध में अपने पवित्र वेदों के संदेश और विज्ञान का विस्मरण करने वाले भारतीयों (हिन्दुओं) आर्यों को उनके गौरवशाली अध्यात्म और वेदों के ज्ञान-विज्ञान का परिचय कराने के लिए, ‘कृण्वन्तो विष्वमार्यम्’ का उद्घोष तथा मतान्तरितों के शुद्धि आन्दोलन हेतु महर्षि दयानन्द सरस्वती ने आज ही के दिन आर्य समाज की स्थापना की थी।वर्ष प्रतिपदा सिख गुरू अंगद देव का जन्म दिन भी है। जिन्होंने गुरूनानक देव जी की शिक्षाओं का राष्ट्ररक्षा के अनुरूप प्रसार किया तथा समाज के दलित एवं पिछड़े लोगों को गले लगाकर समरसता का संदेश दिया। सम्पूर्ण कार्यक्रम का सयोजन राम बालकिशन सोनी व मुकुल खंडेलवाल ने किया l हिन्दू नव वर्ष उत्स्व कार्यक्रम मे प्रमुख रूप से हरलाल साहू,, सकल जैन संघ के पूर्व अध्यक्ष सतीश नहर, गुजरती समाज के वरिष्ठ सदस्य दिलीप गाँधी,विहिप के नगर मंत्री प्रिंस जैन,मनीष अग्रवाल,नरेन्द्र बंगानी, अंकित गोयल,अंकुर फूटान ,युवराज मरकाम, मनीष असवानी, देवेश अग्रवाल, प्रतीक सोनी, गगे, धीरज सोनकर , भोमिक नाग, सत्तू यादव, राम सोनी, अर्पित सिंह, अनिकेत रूपवानी, मोहित रुपवानी, पियूष गाँधी, चंदन लहरे,मनीष अस्वनी,प्रवीण टंडन, शुभ सोनी,पारस यादव,हर्ष अग्रवाल, देवेंद्र सोनकर,आदित्य पंसारी,मुकेश यादव, नवनीत सोनी, कुशल सोनी,बड़ी संख्या मे गन्यमान नागरिक उपस्तिथ रहे |