संजय छाजेड़
धमतरी।निर्वाचित पार्षदों, सभापति, यहां तक महापौर को दिग्भ्रमित कर नगर निगम में कुछ अधिकारी मनमानी पर उतारू हैं। पार्षदों के वार्डों में समस्याओं के निदान हेतु जब वे संबंधित विभाग के अधिकारी को कहते हैं तो उनकी बात नहीं सुनी जाती। इस कारण वार्ड पार्षद अपने वार्डों में नागरिकों को जवाब देने में भी असमर्थ नजर आ रहे हैं। डीजल घोटाला की जांच अब तक लंबित है। इसके अलावा निगम में पिछले समय से रिक्शा, टिप्पर खरीदी सहित अनेक मामले लोगों की जुबानी शहर में चर्चित है। अब यहां पदस्थ एक जिम्मेदार अधिकारी द्वारा छग शासन नगरीय निकाय से जारी हुए आदेश का पालन भी नहीं करते हुए अपनी मनमानी की जा रही है। जिससे शहर में उक्त अधिकारी एवं उनके सहयोगी को लेकर काफी नाराजगी देखी जा रही है और लोग यशस्वी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से उक्त अधिकारियों के स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं।
शहर के नागरिकों का हित साधने वाला निगम इन दिनों भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा हुआ है। यहां पदस्थ दो अधिकारी के रवैये से निर्वाचित जनप्रतिनिधि अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हेैं। सभापति ने पिछले दिनों रिक्शा, टिप्पर खरीदी को लेकर सवाल खड़े किये थे, शिकायत भी दी थी। लेकिन उक्त शिकायत रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया। अब तो हालत यह है कि प्रदेश में बैठी अपनी ही भाजपा सरकार के इन अधिकारियों से त्रस्त होकर लामबद्ध होकर इनके स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं। वहीं नागरिकों के द्वारा भी ऐसे हिटलरशाह अधिकारियों को यहां से हटाये जाने की बात कही जा रही है। इन अधिकारियों ने एक ओर खरीदी में नित नये हथकंडे अपनाकर शहर के नागरिकों के द्वारा संग्रहित कचरे को उठाने के नाम पर रिक्शा, टिप्पर खरीदी की थी। लाखों रूपये से खरीदे इस रिक्शे, टिप्पर का अभी तक उपयोग नहीं किया गया है। पता तो यह भी चला है कि पहले यहां चेक कटने के बाद कमीशन लिया जाता था, अब चेक काटने के पूर्व कमीशन लिया जाता है, तब काम किया जाता है। वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के ठेकेदार द्वारा गुणवत्ताविहीन कार्य की शिकायत सत्तापक्ष के पार्षदों ने आयुक्त सहित कलेक्टर से की थी। बावजूद इसके उक्त शिकायतों को नजरअंदाज कर उक्त ठेकेदार को उसकी फाईल छुट्टी के दिन संबंधित अधिकारी देर रात निवास स्थान में जाकर हस्ताक्षर करवाकर करोड़ों का भुगतान कर दिया गया, जिसकी सर्वत्र चर्चा है।
निगम में बैठे एक वरिष्ठ अधिकारी एवं उनके सहयोगी द्वारा एक ओर जहां निर्वाचित पार्षदों की उपेक्षा की जा रही है वहीं दूसरी ओर अब नगरीय निकाय प्रशासन द्वारा भेजे जा रहे तबादला आदेश का भी पालन नहीं करते हुए शासन के आदेशों की अवहेलना की गई। मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि छग शासन नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मंत्रालय महानदी भवन नवा रायपुर द्वारा गत माह 18 सितंबर को एक आदेश जारी कर प्रदेश के विभिन्न नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम के 140 अधिकारी, कर्मचारियों का स्थानांतरण किया गया था जिसमें धमतरी के भी तीन लोग शामिल थे। लेकिन उक्त तीनों अधिकारी, कर्मचारियों में से 2 का स्थानांतरण पश्चात तत्काल रिलीफ कर दिया गया और एक अधिकारी, कर्मचारी को आज दिनांक तक रिलीफ नहीं किया गया। जबकि उक्त आदेश में अवर सचिव छग शासन द्वारा स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि स्थानांतरित अधिकारी, कर्मचारी को 15 दिवस के भीतर नवीन पदस्थापना स्थान पर कार्यभार ग्रहण करना है। समयावधि में कार्यभार ग्रहण नहीं करने पर वर्तमान स्थान से वेतन आहरित नहीं होगा। इसके बाद भी यहां से उपरोक्त एक कर्मचारी को जान बूझकर रोककर अवर सचिव के आदेश का उल्लंघन किया जाना प्रमाणित है। इस मामले को लेकर आयुक्त प्रिया गोयल से दूरभाष पर संपर्क कर उनका पक्ष लिये जाने का प्रयास किया गया परंतु उनसे संपर्क नहीं होने के कारण उनका पक्ष नहीं लिया जा सका।
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