संजय छाजेड़
धमतरी 9 सितंबर। शहर एवं आसपास के इलाकों में हो रही अवैध प्लाटिंग, सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण जैसी घटनाएं अब आम बात हो चुकी है। इसे लेकर पूर्व कलेक्टरों ने भी जांच दल बनाकर संबंधित ठिकानों पर छापेमारी करवाकर वहां स्थित मेटरियल को जप्त करवाकर अवैध प्लाटिंग को पूर्व की स्थिति पर लाने का कमाल दिखाया था। लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद यह कार्यवाही शिथिल पड़ गई ओैर फिर से अवैध प्लाटिंग का कारोबार फल फूल रहा है। इसी के अंतर्गत एक जानकारी प्राप्त हुई है कि निगम क्षेत्र के आवासीय प्लाट के रूप में चिन्हित विवेकानंद नगर में पूर्व में चर्चित एक अस्पताल के संचालक द्वारा नगर निवेश की बिना अनुमति प्राप्त किये आवासीय स्थल पर आलीशान अस्पताल का निर्माण करवा लिया गया है। सूत्रों का कहना हेै कि इस बात की जानकारी निगम के जिम्मेदार अधिकारियों को भी है, बावजूद ये जिम्मेदार लोग आंख बंद कर बैठे हुए हैं। इसके पीछे लंबा-चौड़ा फीलगुड होना बताया जाता है। रत्नाबांधा रोड स्थित यह अस्पताल उस समय चर्चा में आया जब यहां के संचालकों ने मरीजों को स्मार्ट कार्ड की अवधि समाप्त हो जाने के बाद उन्हें अस्पताल से बाहर कर दिया था जिसकी शिकायत पर तत्कालीन कलेक्टर भीम सिंह ने उक्त अस्पताल में जांच टीम भेजकर शिकायत की पुष्टि की ओैर अस्पताल के रजिस्ट्रेशन को रद्द करने की अनुशंसा करते हुए एक पत्र संचालनालय स्वास्थ्य विभाग को प्रेषित किया था।
भूमाफियाओं द्वारा अवैध प्लाटिंग का खेल लंबे समय से जारी है। जिन पर नकेल कसने के लिये प्रशासन ने काफी प्रयास किया। निगम, राजस्व, ग्राम नगर निवेश विभाग की टीम बनाकर संबंधित अवैध प्लाटिंग क्षेत्र में दबिश दिलवाई थी जहां स्थल पर पड़ी मुरूम एवं निर्माण सामग्रियों को जप्त कर संबंधितों पर नोटिस जारी कर उनसे अनुमति के दस्तावेज मांगे गये थे। लेकिन नोटिस मिलने के बाद ये लोग जवाब नहीं दिये। उक्त अधिकारी के स्थानांतरण पश्चात फिर से ये ऐसे कार्य में लग गये। प्रशासन की चुप्पी की वजह से अब ऐसे भूमाफियाओं की अवैध प्लाटिंग में कार्यवाही नहीं होते देखकर अब इस कार्य में साधन संपन्न लोग भी मशगूल हो गये। मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि रत्नाबांधा रोड स्थित एक अस्पताल के सामने आवासीय परिसर की अनुमति लिये चिकित्सक द्वारा वहां अस्पताल का निर्माण किया गया है जिसे लेकर कुछ लोगों ने कहा कि यह विभागीय उदासीनता का ही परिणाम है कि अब लोग आवासीय परिसर का अनुमति प्राप्त कर उसमें उद्योग इत्यादि का कार्य कर रहे हैं। यह अस्पताल पूर्व में उस समय चर्चित हुआ जब यहां स्मार्ट कार्ड में भर्ती हुए मरीजों को उसकी अवधि समाप्त हो जाने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें कमरे से निकालकर अस्पताल परिसर में ला दिया। यहां भर्ती मरीज उक्त अस्पताल के प्रबंधन से काफी मिन्नतें की, कि उन्हें ऐसी स्थिति में न निकाला जाये, लेकिन इनकी एक न सुनी गई।
अस्पताल में भर्ती इन मरीजों के परिजनों ने इसकी शिकायत तत्कालीन कलेक्टर भीम सिंह से की थी जिन्होंने इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए तत्काल वहां जांच टीम भेजा। जांच टीम ने पाया कि स्मार्ट कार्ड से लगभग 19 मरीज जो वहां भर्ती थे, उन्हें परिसर में लाकर डाल दिया गया। जांच टीम ने यहां मरीजों का बयान लिया और कलेक्टर को अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसे देखकर तत्कालीन कलेक्टर ने उक्त अस्पताल के लायसेंस निरस्त करने हेतु सचिव संचालनालय स्वास्थ्य विभाग को अनुशंसा पत्र भेजा था। लेकिन अस्पताल के प्रभारी द्वारा अपनी पहुंच का लाभ लेते हुए इस शिकायत को दबाने में सफलता प्राप्त कर ली गई। स्मार्ट कार्ड से भर्ती मरीजों ने उक्त अस्पताल के प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाये थे। जांच दल ने भी पाया था कि कुछ मरीजों के हाथों में सलाइन लगे हुए थे। कुछ लोग बेहद कमजोर परिस्थिति में थे। उनकी इस स्थिति को देखते हुए उक्त अस्पताल के प्रबंधक द्वारा उन पर मानवीय दया नहीं की गई जबकि इन मरीजों में से कुछ लोगों ने अस्पताल प्रबंधन से कहा था कि वे जितना ईलाज स्मार्ट कार्ड से किया गया है, उसके बाद जो ईलाज किया जायेगा, उसका भुगतान हम नगद करेंगे। इसके बाद भी प्रबंधन ने उनकी एक न सुनी और ऐसे लोगों को अस्पताल से बाहर कर दिया गया। यही अस्पताल द्वारा आवासीय प्लॉट में अस्पताल का निर्माण कर लिये जाने को लेकर अनेक शिकायतें मिल रही हैं। इस संबंध में निगम के जिम्मेदार लोगों पर भी आरोप लगाये जा रहे हेैं कि इन्होंने जान बूझकर आवासीय परिसर में अस्पताल निर्माण की अनुमति मौखिक तौर पर देकर आने वाले समय में टाउन प्लानिंग नियम का उल्लंघन किया है।
निगम के लिये आने वाले समय में टाउन प्लानिंग नियम का पालन कराने की पूरी जवाबदारी है। लेकिन जिस तरह यहां बैठे कुछ जिम्मेदार लोगों द्वारा यह छूट दी जा रही है वह पूरी तरह नियम विरूद्ध है। इससे पूर्व भी रूद्री रोड स्थित एक बार के संचालक को बाउंड्री के नाम पर अनुमति दी गई थी लेकिन वहां यह बार निर्माण कर दिया गया। इसके अतिरिक्त शीतला मंदिर के सामने स्थित भूमि में भी बाउंड्री वॉल के लिये कांकेर में पदस्थ एक अधिकारी को अनुमति दी गई थी। लेकिन मिलीभगत के चलते उपरोक्त दोनों स्थलों में आलीशान भवन बना दिये गये। इसी तरह रत्नाबांधा स्थित अस्पताल के संबंध में जानकारी मिली है कि आवासीय अनुमति लेकर अस्पताल का निर्माण किया गया है जबकि यही कृत्य कोई गरीब व्यक्ति किया होता तो अब तक उस पर नोटिस पे नोटिस जारी कर अवैध निर्माण तोडऩे की कार्यवाही हो जाती। आवासीय प्लॉट में अस्पताल का निर्माण करने को लेकर अब कुछ लोग इसकी शिकायत करने उद्धृत हैं और संभवत: पूर्व वर्षों में स्मार्ट कार्ड की तिथी समाप्ति हो जाने पर जिस तरह मानवीय दृष्टिकोण को नजरअंदाज करते हुए यहां भर्ती मरीजों को उनके स्वास्थ्य खराब होने के बाद भी अस्पताल परिसर में लाकर छोड़ा गया, उसकी भी जांच जो अब तक रूकी हुई है, उसकी भी नये सिरे से जांच की मांग किये जाने की तैयारी चल रही है।

