पीएचई में पदस्थ बाबू के कारनामों की होगी मुख्यमंत्री ईओडब्ल्यू से शिकायत

धमतरिहा के गोठ
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संजय छाजेड़ 

धमतरी 1 मई। शासन के अधिकारियों द्वारा कार्यालय छोड़ते समय पंखों को चलता छोड़ अपने गंतव्य को निकल जाते हैं। दौरे में रहने के पश्चात भी पंखा चलते रहता है जिससे बिजली बिलों में भारी भरकम बिल शासन मद से पटाना होता है। अब तो यहां पदस्थ कुछ अधिकारी निजी वाहनों को लेकर उसे विभिन्न शासकीय कार्यालयों में चलाकर मालामाल हो रहे हेैं। शासकीय वाहनों को खराब दर्शाकर भी संबंधित बाबुओं द्वारा अपने निजी वाहनों को विभिन्न शासकीय विभागों में चलवाकर लाखों रूपये पीटा जा रहा है। इसी संदर्भ में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में पदस्थ एक बाबू द्वारा अपने तथा अपने रिश्तेदारों के निजी वाहनों को किराये पर चलवाकर भारी लाभ लिया जा रहा है जिससे सिविल सेवा अधिनियम का उल्लंघन हो रहा है। एक शासकीय कर्मचारी को दूसरे कार्य के नाम पर शासन से राशि वसूलने का कोई प्रावधान नहीं है। 
पिछले लंबे समय से जिले में पदस्थ कुछ अधिकारियों द्वारा कार्यालय छोड़ते समय बिजली की बचत करने के उद्देश्य से चालू पंखों को बंद नहीं करवाया जाता है। कार्यालय प्रारंभ से लेकर बंद होने तक ऐसे पंखे चलते रहते हैं जिसके कारण भारी भरकम बिजली बिल की राशि पटानी होती है जिससे शासन को अतिरिक्त भार उठाना पड़ रहा है। यदि ऐसे अधिकारी बिजली बचत करें तो शासन को लाखों रूपये के भुगतान से बचने का लाभ प्राप्त होगा। ऐसी शासकीय वाहनों का भी दुरूपयोग अपने निजी वाहनों के लिये किया जाता है और डीजल खर्च शासकीय वाहनों के नाम पर भुगतान कर दिया जाता है। इस तरह के हथकंडों से शासन को भारी हानि उठाना पड़ रहा है। इन्हीं श्रृंखलाओं को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के बाबू द्वारा अपने तथा अपने रिश्तेदारों के निजी वाहनों को अपने ही कार्यालय में किराये पर चलाया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी संबंधित अधिकारी को नहीं है। लेकिन वे इस संबंध में उक्त बाबू पर कोई कार्यवाही नहीं करते जिसके चलते शासन को शासकीय वाहनों के भार के साथ साथ निजी वाहनों का भी भारी भरकम बिल प्रति माह उठाना पड़ रहा है। ऐसी निजी वाहनें विभिन्न शासकीय कार्यालयों की भी सडक़ों पर दौड़ रही हैं। खबर के मुताबिक ऐसी निजी वाहनों को लगभग 3 हजार रूपये प्रतिदिन के हिसाब से चलवाया जा रहा है जिससे प्रतिमाह शासन को एक वाहन के पीछे 90 हजार रूपये का भार पड़ रहा है। इसी वजह से यहां पदस्थ कुछ शासकीय बाबू ऐसी निजी वाहनों को लेकर भारी भरकम किराया वसूल कर दोहरा लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का उक्त बाबू न सिर्फ अपनी वाहन बल्कि अपने रिश्तेदारों के भी वाहनों को शासकीय कार्यालयों में चलवाकर लाखों रूपये कमा रहा है। दूसरी ओर इसी बाबू के ऊपर ठेकेदारों से भी अनाप-शनाप रिश्वत लेने की जानकारी प्राप्त हुई है। बताया जाता है कि जो ठेकेदार इस बाबू की बात को नहीं मानते, उनके प्रस्तुत किये गये बिलों में कुछ न कुछ त्रुटि बताकर बिलों को भुगतान के लिये लंबित रख दिया जाता है। यह क्रम लंबे समय से जारी है। कुछ भुग्तभोगी ठेकेदारों ने इस बाबू के बारे में बताया कि हमारे बिल को उक्त बाबू ने रोक रखा था। जब हम इसकी शिकायत वरिष्ठ अधिकारी को किये तो उन्होंने उक्त बाबू पर कोई कार्यवाही नहीं किये। अंतत: उक्त बाबू की मंशानुरूप बिल भुगतान के लिये उसे मुंह मांगी रिश्वत देनी पड़ी। तब कहीं जाकर उनका बिल आगे बढ़ाया। इसकी हरकत से लोग इतने त्रस्त हो चुके हैं कि लोग अब इसकी शिकायत मुख्यमंत्री सहित ईओडब्ल्यू को भी भेजने की तैयारी की जा रही है। उक्त शिकायतों में उक्त बाबू की अघोषित संपत्ति का भी उल्लेख कर अब कार्यवाही के लिये तैयारी जोर-शोर से जारी है। खबर तो यह भी है कि उक्त बाबू एवं उसके रिश्तेदारों की निजी वाहनों की यदि जांच की जाती है तो उक्त बाबू का सारा भांडा फूट सकता है।
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