संजय छाजेड़
धमतरी। शहर का यह दुर्भाग्य रहा है कि नगर पालिक निगम जिसे लोग पितामह कहते हैं, उसने शहरवासियों के लिये ऐसी कोई सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई है। निगम में शहरहित में आने वाली राशि का अधिकारी खुलकर दुरूपयोग कर रहे हैं। यह सिलसिला कांग्रेस की पूर्ववर्ती शहरी सरकार से लेकर अब तक जारी है। चाहे मामला मास्क, सेनेटाईजर खरीदी, फिनाईल, ब्लीचिंग पावडर, फिटकिरी खरीदी हो या फिर पूर्ववर्ती सरकार के समय डेढ़ प्रतिशत निम्र दर पर 50 निविदा में से 35 निविदा स्वीकृत करने का हो, यह सभी कुछ चला। पूर्ववर्ती सरकार में नियम विरूद्ध हुए कार्यों को लेकर भाजपा पार्षदों ने कई बार आंदोलन किया और जनता को यह विश्वास दिलाया कि निगम में अगर भाजपा की सरकार बनेगी तो भ्रष्टाचारियों की जांच और कार्यवाही भी की जायेगी। जनता जनार्दन ने भी भाजपाईयों की इस बात को स्वीकारा और निगम में महापौर सहित अधिकांश वार्डों में भाजपाईयों को नगरीय निकाय चुनाव में विजय दिलाई। तब नागरिकों को उम्मीद थी कि सत्ता परिवर्तन के बाद निगम में भ्रष्टाचार मुक्त शासन का राज होगा। लेकिन वर्तमान में निगम की स्थिति को देख नागरिकों में इस बात को लेकर चर्चा है कि निगम में पूर्ववर्ती सरकार से अधिक वर्तमान में अधिकारी राज हावी है। अंदरूनी सूत्रों की मानें तो, बिना जनप्रतिनिधियों को जानकारी के, अधिकारियों द्वारा लाखों रूपये की लाईट खरीदी, शेड निर्माण, यहां तक कि पार्षद निधि को खर्च करने के लिये भी अधिकारियों द्वारा रोड़ा अटकाये जाने का मामला हो, अधिकारी इतने बेलगाम हो चुके हैं कि गुणवत्ताविहीन कार्य को लेकर जांच समिति बनाये जाने के बाद भी संबंधित फर्म को 2 करोड़ का भुगतान कर दिया गया। मार्च माह में कचरा संग्रहण के नाम पर लगभग 20 लाख रूपये की लागत से की गई रिक्शा खरीदी, महीनों बाद भी जंग खाते निगम वर्कशॉप में खड़ी है। इसे लेकर निगम में कई तरह की चर्चा चल रही है। कुछ लोगों का कहना है कि निगम के एक बड़े अधिकारी के रिश्तेदार जो बिलासपुर में रहते हैं, उनके द्वारा गुणवत्ताविहीन रिक्शा निगम में भेजा है जो आने के बाद भी सडक़ में चलने योग्य नहीं था।इसी से साफ जाहिर होता है कि निगम धमतरी में अधिकारी कमीशनखोरी में मस्त हैं जबकि आम जनता एवं जनप्रतिनिधि त्रस्त हैं।
नगर पालिका से नगर निगम तक के सफर में शहर की जनता को मूलभूत सुविधाओं के साथ साथ सडक़, पानी, बिजली देना छोड़ पूर्ववर्ती कांग्रेस शहरी सरकार ने मास्क, सेनेटाईजर, ब्लीचिंग पावडर, फिनाइल, फिटकिरी एमआरपी से कई गुना अधिक दर पर खरीदने के पहले पदभार संभालते ही 50 कार्यों के लिये टेंडर निकाला गया जिसमें सभी टेंडर डेढ प्रतिशत कम दर पर डाले गये थे। इसके पीछे निर्वाचित जनप्रतिनिधि के भ्राता एवं एक पार्षद का मुख्य रोल रहा। यह मामला जब मीडिया की सुर्खियां बना तब इस डेढ प्रतिशत कम दर पर डाले गये टेंडर पर आपत्ति दर्ज हुई और यह मामला एमआईसी में उठा था। इसके पीछे निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के कुछ लोगों का महत्वपूर्ण रोल रहा। उक्त पूर्ववर्ती शहरी सरकार के कार्यकाल के दौरान शहर की जनता को मूलभूत सुविधाओं के लिये भी कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते थे जिससे दुखित होकर शहरवासियों ने अपना आक्रोश चुनाव के समय निकाला और इस शहरी सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया और इनके निर्णय का मुख्य मकसद शहर में विकास एवं शहरवासियों के मूलभूत सुविधाओं के प्राप्ति के लिये किया गया हेै। लेकिन बड़े दुर्भाग्य के साथ यह कहना पड़ रहा है कि यहां शहर की जनता ने अपने नये प्रतिनिधियों को चुनने के लिये एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया किंतु इन निर्वाचित जनप्रतिनिधियेां के ऊपर जाकर निगम में बैठे कुछ अधिकारी आज भी उसी तर्ज पर चलते हुए ऐसा कर रहे हैं ताकि निर्वाचित जनप्रतिनिधि बदनाम हो सकें। पिछले माह जो रिक्शा, लाईट, टिप्पर खरीदी एवं शेड निर्माण करवाया गया है, उसमें भारी घालमेल किया गया है। हालांकि महापौर रामू रोहरा चुनाव जीतने के बाद से लगातार आम जनता के बीच पहुंचकर उनकी समस्याओं को सुनकर प्रमुखता से निपटाने का प्रयास कर रहे हैं।
विश्वसनीय सूत्रानुसार पता चला है कि निगम में पिछले लंबे समय से निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के निर्देशों को न मानकर यहां पदस्थ अधिकारी अपनी हुकूमत चला रहे हैं। इनकी नादिरशाही का आलम यह है कि कार्यालय में निर्वाचित जनप्रतिनिधि पहले पहुंचते हैं और बाद में अधिकारी पहुंचते हैं। हद तो यह है कि अब ऐसे अधिकारी अपने रिश्तेदारों से ठेेकेदारी, सप्लाई करवा रहे हैं, वह भी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को विश्वास में बिना लिये जिससे अभी तक के कार्यकाल में शहर की जनता को अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिये फिर से मशक्कत करनी पड़ रही है जिसका मुख्य कारण निर्वाचित जनप्रतिनिधि नहीं हैं, अपितु यहां पदस्थ अधिकारी हैं जो बिना निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के अनुमति के ऐसे कार्यों को अंजाम देकर सीधे सीधे शहर की जनता से कुठाराघात कर रहे हेैं और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के अधिकार को नजरअंदाज कर रहे हैं जिससे ट्रिपल इंजन की सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त अभियान पर ग्रहण लग सकता है। अधिकारियों की नादिरशाही पर यदि लगाम नहीं लगाया गया तो आने वाले समय में यहां निर्भीक, निष्पक्ष और ईमानदार जनप्रतिनिधियों की छवि धूमिल हो सकती है। इस पूरे मामले को लेकर निगम कमिश्रर से दूरभाष पर संपर्क करने का प्रयास किया गया परंतु उनसे संपर्क नहीं होने के कारण उनका पक्ष नहीं लिया जा सका।
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इधर पीडब्ल्यूडी विभाग के सभापति विजय मोटवानी से उपरोक्त मामले को लेकर चर्चा की गई तो उन्होंने इस पर कहा कि मुझे आपके माध्यम से जानकारी मिल रही हेै। अगर ऐसा कुछ हुआ है तो यह पूरी तरह भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है और मैं इसकी जांच करवाऊंगा और दोषियों को किसी भी हालत में छोड़ा नहीं जायेगा। यहां तक कि संबंधित सप्लायर, ठेकेदार का भुगतान भी रोका जायेगा।

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