हर और हरि एक ही है दोनों में कोई भेद नहीं ढाई अक्षर को समझना मुश्किल है -दीपक सिंह ठाकुर

धमतरिहा के गोठ
0



 संजय छाजेड़ 

हिन्दू जागरण मंच प्रांत युवा प्रमुख दीपक सिंह ठाकुर भटगांव  के ग्रामीणों  द्वारा आयोजित शिवमहापुराण  कथा स्थल   में आथित्य आमंत्रण पर पहुंचे और  कथा स्थल से अपने  संबोधन में यहां कर्मों की खेती होती है एक एक कर्म का हिसाब होता है  मानव को अपना कर्म सोच विचार कर करना चाहिए ,सनातन धर्म में  भगवान शिव  जी के अवतार की   महिमा का वर्णन  करते हुए कहा  सनातन  धर्म की महत्वपूर्ण घटनाओं हमें ज्ञान होना चाहिए।सनातन धर्म में प्रत्येक समस्या के लिए अलग अलग व्यवस्था बनाई गई है। शिव जी के 19और  भगवान रुद्र  के 11 अवतार है जो कि अलग अलग युगों में भक्तों को उनकी समस्याओं  से मुक्त करके धर्म की स्थापना करते है । समाज में  समाजिक दायित्वों का निर्वहन कोई एक व्यक्ति  नहीं कर सकता है, अलग अलग स्वरूप में हम सभी की जिम्मेदारियां है तभी संसार का कार्य चल रहा है वैसे ही  पूर्व युगों में भगवान ने अवतार लेकर सदैव विधर्मी लोगों का समूल नाश करता है। जैसे समाजिक व्यवस्था में सभी कार्य  के  अलग अलग व्यक्ति के पास समस्या का  समाधान होता है  जैसे वकील,डाक्टर,शिक्षक, व्यापारी,मैकेनिक, राजनेता,मजदूर,पुरुष समुदाय , महिला समुदाय ,धोबी,सेन, लोहार ,मोची,आदि सभी का समाज में अलग अलग कार्य  और महत्व के साथ सम्मानित स्थान है । वैसे ही हमारे सनातन  धर्म में संकटों ,बीमारियों से दूर रहने के लिए श्री हनुमान जी,धन लक्ष्मी प्राप्ति के लिए श्री गणेश,लक्ष्मी जी,शक्ति की आराधना के लिए आदि शक्ति  मां दुर्गा की उपासना,पूजा करना इस बात का संकेत है कि  समाज में सभी स्वरूपों  का अलग अलग युगों में उनका  विशिष्ट स्थान है अन्य पंथ अथवा  समाज जो कहते है कि सदैव एक ही व्यक्ति कर लेता है ऐसा कहना समाज की व्यक्ति को अंधकार में रखना है जो अपनी रक्षा स्वयं नहीं कर सकता  वह दूसरों की क्या रक्षा कर सकता है।अतएव हमें सदैव अपने सनातन धर्म पर  दृढ़ विश्वास और पूर्ण आस्था होनी चाहिए तभी जीवों का कल्याण होगा" ईश्वर अंश जीव अविनाशी चेतन अमल सहज सुखराशी" उक्त कथन का भावार्थ है कि सभी जीव  ईश्वर  के अंश है और उसका अलग अलग कार्य है इस प्रकार मानव समाज के लिए जो सर्वोतम कल्याणकारी कार्य है वहीं कार्य है हम सभी को करना चाहिए  जो हमारे धर्म में पूर्व से स्थापित और व्यवस्थित है।किसी  भी समुदाय का  जबरन धर्म परिवर्तन लोभ, प्रपंच, भय पैदा करके करना पाप और अन्याय है ,इस प्रकार के कार्यों से प्रत्येक समाज को बचना चाहिए, सनातन धर्म जैसा कोई धर्म नहीं है" जो सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया: "की भाव रखता है सनातन की महिमा को ऐसे समझने का प्रयास करे 2½ अक्षर के ‘ब्रह्मा सृष्टि,विष्णु ‘लक्ष्मी,दुर्गा’ ‘शक्ति’श्रद्धा’ भक्ति’त्याग़ ‘ध्यान’,इच्छा’ ‘तुष्टि’ धर्म‘कर्म’.भाग्य,व्यथा’ग्रन्थ’सन्तशब्द ‘अर्थ’‘सत्य’ ‘मिथ्या’.श्रुति’,ध्वनि’अग्नि‘कुण्ड,मन्त्र’यन्त्र’,श्वास‘प्राण, जन्म मृत्यु,अस्थि,अर्थी,‘प्यार ‘युद्ध’‘मित्र ‘शत्रु,‘प्रेम ‘घृणा ,जन्म’ से मृत्यु’ तक हम, बंधे है उक्त अवसर पर हिन्दू जागरण मंच के जिला सहसंयोजक डाकेशवर साहू बड़ी संख्या में ग्रामीण श्रद्धालुजन आयोजक परिवार उपस्थित थे

Tags:

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)