संजय छाजेड़
धमतरी 23 मई। पूर्ववर्ती शासन काल में स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय खोले जाने की कवायद तेजी से चली जिसका उद्देश्य छत्तीसगढ़ के शिक्षा जगत में जितने भी विद्यार्थी अध्ययनरत हेैं उन्हें अंग्रेजी का भलीभांति ज्ञान हो और इसके लिये राज्य सरकार ने विभिन्न जिलों में आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल का निर्माण करवाया। धमतरी जिले के नगरी सिहावा क्षेत्र में भी इसकी स्थापना को लेकर भवन की स्वीकृति दी गई। 10 करोड़ रूपये की लागत से बनाये गये इस भवन का निर्माण तमाम शासकीय एजेंसियों को दरकिनार कर बिना निविदा निकाले 4 ग्राम पंचायतों को दे दिया गया। क्षेत्रवासियों का कहना था कि इस स्कूल का निर्माण कागजों में तो ग्राम पंचायत एजेंसी बनाकर किया गया है। लेकिन सच्चाई यह है कि अपने मुंहलगे ठेकेदार से आनन फानन में अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिये उक्त स्कूल का निर्माण करवाया है। इसका क्षेत्रवासियों ने भारी विरोध किया था। इसमें हुए भ्रष्टाचार के जांच की मांग बलवती हुई। मामला प्रधानमंत्री कार्यालय में भी पहुंचा जहां शिकायत के लंबे-चौड़े समय व्यतीत कर इसकी जांच आयुक्त रायपुर संभाग द्वारा एक कमेटी गठित कर करवाई जा रही है जिससे जिलेवासियों में हर्ष व्याप्त है। इनका मानना है कि इस निर्माण कार्य में तत्कालीन कलेक्टर पी एस एल्मा के द्वारा अपने पद का दुरूपयोग करते हुए इस निर्माण कार्य में भारी धांधली करवाई गई है। यही नहीं सीएसआर फंड जिसका उपयोग भी शिक्षा, स्वास्थ्य सहित जनकल्याणकारी योजनाओं के लिये किया जाना था, उसका भी लगभग 60 लाख रूपये एक स्कूल को डिस्मेंटल करने ग्राम पंचायतों को एजेंसी बनाकर खर्च किया गया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय को दस्तावेजी सबूत के साथ प्रेषित की गई शिकायत में शिकायतकर्ता ने बताया था कि नगरी सिहावा में बनाई गई आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय के निर्माण में डीएमएफ फंड का जिस तरह दुरूपयोग किया गया है ओैर अनेक शासकीय एजेंसियों के होते हुए बिना निविदा निकाले लगभग 10 करोड़ रूपये के काम को बिना निविदा निकाले क्षेत्र के चार ग्राम पंचायतों से कराये जाने का मामला काफी सुर्खियों में था। यहां स्थित अति प्राचीन स्कूल श्रृंगि ऋषि के भवन को तोडक़र आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय भवन का निर्माण किये जाने का भारी विरोध किया गया था। ग्राम पंचायतों को कार्य देने के पीछे तत्कालीन कलेक्टर पी एस एल्मा की मंशा यह थी कि उनके एक रिश्तेदार जो रिश्ते में साले लगते हैं, उन्हें लाभान्वित करना था। इसीलिये इन कार्यों को शासकीय एजेंसियों को न देकर ग्राम पंचायतों से करवाया गया। ग्राम पंचायतों को कार्य देने के पीछे जनपद सीईओ की बहुत बड़ी भूमिका रही है जबकि इन्हें मालूम था कि उक्त निर्माण कार्य नगर पंचायत क्षेत्र में होना है। ऐसे में ग्राम पंचायत एजेंसी नहीं बनाया जा सकता। लेकिन इन्होंने भी शासन के दिशा निर्देशों की परवाह नहीं की और कलेक्टर के दबाव में ग्राम पंचायतों को एजेंसी बना दिया। इसके बावजूद भी इन्हें यह अधिकार दिया गया जो छत्तीसगढ़ में संभवत: पहला मामला है। इन सरपंचों ने लाखों, करोड़ों रूपये की राशि नगद आहरित कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है जो शायद किसी भी सरपंच ने नहीं किया है।
शिकायतकर्ता ने पूर्व वर्ष में इस मामले को लेकर लंबी-चौड़ी शिकायत कर साक्ष्य के रूप में दस्तावेज संलग्र कर इसकी जांच की मांग की थी जिसके आधार पर पीएमओ कार्यालय से छग के मुख्य सचिव को जांच हेतु अधिकृत किया गया जिन्होंने पीएमओ कार्यालय के पत्र के आधार पर इस जांच को आयुक्त रायपुर संभाग रायपुर से कराये जाने हेतु निर्देशित किया। आयुक्त रायपुर संभाग ने कलेक्टर धमतरी से जांच हेतु धमतरी कलेक्टर को शिकायत की प्रति भेजते हुए जांच के लिये नियुक्त किया जिन्होंने अपर कलेक्टर से इस जांच को पूर्ण कर प्रतिवेदन देने को कहा। प्रतिवेदन के आधार पर यह जानकारी आयुक्त रायपुर संभाग को दी गई। प्रतिवेदन में लिखा था कि इस संपूर्ण मामले की जांच किसी कमेटी को गठित कर कराये जाने से ही सारी असलियत सामने आयेगी। प्रतिवेदन के आधार पर आयुक्त रायपुर संभाग रायपुर ने एक कमेटी बनाई जिसमें अपर कलेक्टर, लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता, आरईएस के कार्यपालन अभियंता, कोषालय अधिकारी एवं डिप्टी डायरेक्टर पंचायत को सदस्य बनाते हुए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल भवन निर्माण में कराये गये कार्यों से संबंधित संपूर्ण जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा गया है जिसकी जांच वर्तमान में प्रक्रियाधीन है।
तत्कालीन कलेक्टर पी एस एल्मा के कार्यकाल में जिस प्रकार डीएमएफ, सीएसआर फंड में भारी धांधली किये जाने का समाचार प्राप्त हुआ है और अपने पद का दुरूपयोग करते हुए जिला अस्पताल की बिल्डिंग को, यह जानते हुए भी कि बिल्डिंग का डिस्मेंटल किया जाना है, यह जानते हुए भी डिस्मेंटल होने वाली बिल्डिंग के रंगरोगन के लिये इस फंड का इस्तेमाल किया गया। रंगरोगन होने के बाद इस बिल्डिंग को डिस्मेंटल कर दिया गया। इस तरह रंगरोगन एवं डिस्मेंटल कार्य में व्यर्थ का फंड दुरूपयोग किया गया है। तत्कालीन कलेक्टर पी एस एल्मा के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार, पद के दुरूपयोग की शिकायत के जांच को लेकर काफी लंबे समय से मांग की गई, लेकिन जांच को शिथिल किये जाने का प्रयास किया गया। अंतत: यह जांच अब प्रारंभ हो चुकी है जिससे जिलेवासियों में काफी प्रसन्नता देखी जा रही है। इनका कहना है कि जांच के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। स्वामी आत्मानंद स्कूल भवन के जांच की खबर समूचे जिले में जंगल के आग की तरह फैल गई है।
स संबंध में पॉयनियर जिला प्रतिनिधि संजय जैन ने जांच टीम के सदस्य अपर कलेक्टर इंदिरा देवहारी से मुलाकात कर जांच के संबंध में जानकारी चाही तो उन्होंने बताया कि रायपुर संभाग के आयुक्त द्वारा नगरी में करोड़ों की लागत से बने स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल की जांच तकनीकि टीम से कराये जाने का आदेश दिया है। उनके आदेश के परिपालन में हमारे द्वारा कुछ दिन पहले नगरी पहुंचकर जांच की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। अभी वर्तमान में जांच प्रक्रियाधीन है। जांच के पश्चात रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को प्रेषित की जायेगी