संस्कृत के प्रचार प्रसार हेतु बारह दिवसीय शिविर का कल होगा समापन सभ्यता, संस्कार तथा सृजन की जननी भाषा है संस्कृत-: राजेंद्र शर्मा

धमतरिहा के गोठ
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संजय जैन 

धमतरी | संस्कृत भारत देश के सभ्यता संस्कार तथा सृजन की भाषा है जो विश्व की अनेक भाषाओं की जननी है साथ ही मानव समुदाय के अभ्युदय से संपर्क भाषा होने के कारण विश्व की सबसे प्राचीन भाषा के रूप में भी पहचान रखती है जिसके लिए मां भारती के प्रति समर्पित सभी राष्ट्रवादी सपूतों को अपने को सौभाग्यशाली सनातन धर्म में जन्म लेने के लिए मानते हुए गर्व महसूस होना चाहिए उक्त बातें नगर निगम के पूर्व सभापति राजेंद्र शर्मा ने संस्कृत भारतीय द्वारा देहली पब्लिक स्कूल साकरा में संस्कृत प्रशिक्षण शिविर के ग्यारहवें दिवस के प्रारंभिक सुबह के सत्र में उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में कहीं वही इस अवसर पर विशिष्ट रूप से संतोष साहू प्राचार्य शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कंडेल, देवेंद्र कुमार भारद्वाज प्राचार्य शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गोपालपुरी, राजेश दीवान व्याख्याता गोपालपुरी की भी उपस्थिति रही गौरतलब है कि देश की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत के  संरक्षण एवं संवर्धन हेतु 12 दिवसीय शिविर लगाते हुए पूरे छत्तीसगढ़ से आए हुए लोगों को संस्कृत के गूढ़ रहस्यों को अवगत कराते हुए वैज्ञानिक, आध्यात्मिक तथा शास्त्रीय आधार से अवगत कराया गया जिसका समापन 1 जून गुरुवार को शाम 5 बजे अजय चंद्राकर विधायक कुरूद तथा पूर्व कैबिनेट मंत्री के मुख्य अतिथि एवं चिकित्सक डॉ प्रभात गुप्ता की अध्यक्षता में संपन्न होगा वही मुख्य वक्ता के रूप में हेमंत साहू प्रांत संगठन मंत्री संस्कृत भारती छत्तीसगढ़ का उद्बोधन होना भी सुनिश्चित किया गया है।
    उक्त शिविर में वर्ग अधिकारी के रूप में नरसिंह शास्त्री वर्गाधिकारी, शिक्षण प्रमुख गोपेश तिवारी ,मेघनाथ साहू प्रांत सह मंत्री संस्कृत भारती,राकेश तिवारी प्रशिक्षक, विद्याकांत तिवारी प्रशिक्षक, कु. डालेश्वरी साहू, बौद्धिक प्रमुख सोमेश्वर चंद्राकर, प्रबंधक शेष नारायण गजेंद्र, प्रबंधक चोवाराम धीवर ,प्रबंधक कुशल राम साहू,  हेम शंकर यादव प्रबंधक के रुप मे  अपनी सेवाएं प्रदान की।


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