निगम महापौर का कहना, न खाऊंगा, न खाने दूंगा, दूसरी तरफ एक अधिकारी का कहना खाना है, खाना है, और खाना है

धमतरिहा के गोठ
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संजय छाजेड़ 
धमतरी 24 अक्टूबरशहर के नागरिकों की पितामह समझी जाने वाली निगम इन दिनों निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा और अधिकारी के भ्रष्टाचार के नाम पर चर्चित हो चुकी है। शहर के नागरिकों ने पिछले शहरी सरकार को बदलने के पीछे अपनी मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति न होना निरूपित करते हुए उक्त शहरी सरकार को बदल दिया और भाजपा की पुन: शहरी सरकार बनाने में पूर्ण योगदान दिया। लेकिन निर्वाचित भाजपा के सभी पार्षदों के ऊपर अब यहां पदस्थ कुछ अधिकारी हावी होकर भ्रष्टाचार कर अपनी मनमानी मचाये हुए हैं। निगम महापौर ने पदभार संभालते ही कहा था कि न खाऊंगा, न खाने दूंगा। उनके इस अभियान को यहां पदस्थ एक अधिकारी एवं उनके सहयोगी द्वारा असत्य साबित करने के उद्देश्य से डंके की चोट पर कहा जा रहा है कि हमें खाना है, खाना है, और खाना है। इस अधिकारी की नादिरशाही इतनी चल रही है कि वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में काम कर रहे ठेकेदार को भुगतान करने के लिये उसकी फाईल को रात्रि में तलब करवाकर उसका भुगतान किया गया हेै जबकि इस दिन समूचे प्रदेश में छुट्टी थी।
 निगम में पूर्व शहरी सरकार के दौर में 1 रूपये की वस्तु को 10 रूपये में खरीदी किया जाना, टेंडर में रिंग बनाकर शासन को नुकसान पहुंचाने का हथकंडा अपनाया गया था। इसके बाद ब्लीचिंग पावडर, कोरोना काल के दौरान सेनेटाईजर, मास्क, की सप्लाई में भी काफी धांधली की गई थी। लेकिन इस शहरी सरकार के रहते अधिकारियों की इतनी हिम्मत नहीं होती थी कि वे निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का आदेश न माने। लेकिन भाजपा की शहरी सरकार स्थापित होने के बाद ये बेलगाम अधिकारी अब खुलकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। इसे लेकर जब भाजपा के पार्षदों द्वारा पूछताछ की जाती है तो वे घुमावदार जवाब देकर उन्हें असमंजस में डाल रहे हैं। यहां तक नगर के नागरिकों की मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति एवं जनसमस्याओं के निराकरण के लिये निर्देशित किया जाता है तो ये अधिकारी उस पर ध्यान नहीं देते। पिछले माह एक व्यक्ति द्वारा मीडिया के समक्ष यह बयान दिया गया था कि मेरे द्वारा निगम से अनुमति लेकर जो बाउंड्री वॉल बनाई गई थी उसे तोडऩे के नाम पर 25 हजार लिये गये। लेकिन उसकी शिकायत पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। अधिकारियों के षडय़ंत्रकारी नीतियों के चलते निर्वाचित जनप्रतिनिधि अपने अपने वार्डों में नागरिकों को उनकी मूलभूत सुविधाओं को भी नहीं दिला पा रहे हेंै जबकि प्रदेश एवं केंद्र में भाजपा की सरकार है, उसके बाद भी यहां अधिकारियों का राज कायम है।
 खबर में यह भी पता चला है कि जिस मशीन को पूर्ववर्ती शहरी सरकार द्वारा 9 लाख 70 हजार में खरीदा गया था, उसकी ऑर्डर शीट पुन: प्रारंभ की गई जो महापौर के नजर में सामने आई और उन्होंने फौरी कार्यवाही करते हुए संबंधित संस्थान के व्यक्ति से बातचीत की और इसके बाद इसी मशीन को उन्होंने 9 लाख 70 हजार के स्थान पर 3 लाख 70 हजार रूपये में खरीदकर शासन के 6 लाख रूपये अतिरिक्त भुगतान को बचाने मे महारथ हासिल की। रिक्शा, टिप्पर की खरीदी में भी भारी गोलमाल किया गया है। जानकारी के मुताबिक जिस टिप्पर और रिक्शा की खरीदी की गई है वह दूसरे संस्था के कोटेशन के अनुसार मात्र 12 लाख रूपये तक की होती है। लेकिन इसे लाखों रूपये में खरीदा गया है जो खरीदी के पश्चात अभी तक शहर के नागरिकों के मध्य कचरा ढोने के कार्य में नहीं लगाये गये हैं और कबाड़ के रूप में वर्कशॉप में पड़े हुए हैं। वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में भी गुणवत्ताहीन कार्य हो रहा है, इसकी जानकारी अधिकारियों को है। लेकिन कमीशनखोरी के चक्कर में छुट्टी के दिन कार्यालय खुलवाकर उसकी फाईल में हस्ताक्षर कर उसे चेक के माध्यम से भुगतान कर दिया गया। विश्वसनीय सूत्रानुसार पता चला है कि यहां पदस्थ एक अधिकारी और उसका एक मुंहलगा अधिकारी, दोनों मिलकर पहले के नियम भुगतान के बाद कमीशन लेते रहे किंतु इनके द्वारा पहले कमीशन लिया जाता है, उसके बाद ठेकेदार, सप्लायर को भुगतान किया जाता है। इन्हीं सब कारणों से निगम में अधिकारियों का बोलबाला है जिसे लेकर नागरिकों ने शासन से मांग की है कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के आदेश पर निगम में कार्यरत अधिकारी, कर्मचारियों को कार्य करने का निर्देश दिया जाये।
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