संजय छाजेड़
धमतरी 12 अक्टूबर।आजादी के पूर्व अंग्रेजों के 10 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने यहां व्यवसाय के उद्देश्य से पदार्पण किया। इसके बाद धीरे-धीरे कर इन्होंने राजा-रजवाड़ों को लड़ाकर अपनी हुकूमत कायम की। 200 साल तक यहां काबिज हो चुके, इसके बाद उन्हें देश छोडऩे पर मजबूर किया गया। उसी तर्ज पर आज निगम में बैठे कुछ अधिकारी नीति अपनाकर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को बिना जानकारी दिये अपनी मनमानी पर उतारू हैं। कहीं रिक्शा, टिप्पर खरीदी कर उसे वर्कशॉप में शो-पीस बनाकर रखे हुए हैं, कहीं अन्य भ्रष्टाचार। अब तो यहां पदस्थ कुछ लोगों पर नगर एक नागरिक ने दीवार सुरक्षित रखने के लिये पैसा दिया, उसके बाद उसके दीवार को तोड़ दिया गया जिसे लेकर उसने मीडिया के समक्ष बयान देते हुए बताया कि उससे हजारों रूपये की रिश्वत ली गई है। हालांकि इस मामले में निगम के महापौर को की गई शिकायत में उसने इसकी पुष्टि की है जिसके लिये क्या कार्यवाही होती है, यह तो भविष्य के गर्त में छुपा हुआ है। इन्हीं सब बातों की वजह से निर्वाचित जनप्रतिनिधि परेशान हैं, वहीं जनता को मूलभूत सुविधाओं के लिये भी यहां काफी मशक्कत करनी पड़ रही है जिससे भाजपा की छवि खराब हो रही है। निगम के एक जिम्मेदार अधिकारी का तो एक ही काम व्यक्तिगत स्वार्थसिद्धी में पूरी तरह लीन है। निगम में जेम पोर्टल से सप्लाई होने वाले कार्य को चौथी बार उक्त अधिकारी ने निरस्त मात्र इसलिये करवा दिया गया कि उसके मुंहलगे चहेते सप्लाय उस कार्य में क्वालिफाई नहीं हो पा रहे थे। सत्तापक्ष के पार्षदों ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि उक्त अधिकारी की कमीशनखोरी इतनी बढ़ गई है कि वह अपने आप को अब निगम में जनप्रतिनिधि से भी ऊपर समझकर खुला खेल खेलने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। समय रहते अगर उक्त अधिकारी के नादिरशाही पर अंकुश नहीं लगाया गया तो आने वाले दिनों में निगम में इसे लेकर जबरदस्त हंगामा होने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। एक तरफ महापौर रामू रोहरा लगातार यह प्रयास कर रहे हैं कि निगम में किसी प्रकार का भ्रष्टाचार न हो, और उनका यह दावा भी है कि भ्रष्टाचार करने वालों को बख्शा नहीं जायेगा। लेकिन दूसरी ओर उनकी नाक के नीचे ही वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में लगने वाली निविदा को चौथी बार सिर्फ इसलिये निरस्त कर दिया गया कि उक्त अधिकारी का स्वार्थ सिद्ध नहीं हो रहा था। अब देखना यह हेै कि इस मामले में निगम महापौर कोई एक्शन लेते हैं अथवा उक्त मामला फाईलों में दफन होकर रह जायेगा।
शहर की जनता ने पिछले पांच वर्षों तक काबिज रहे गैर भाजपाई शहरी सरकार के कार्यकाल को देखते हुए इन्होंने आमूलचूल परिवर्तन करने की ठानी। इनका मानना था कि निगम में पूर्ववर्ती शहरी सरकार के कार्यकाल के दौरान उनकी मूलभूत सुविधाओं के साथ साथ शहर विकास पर ध्यान नहीं दिया गया। साथ ही साथ अपनों को लाभ पहुंचाने के लिये यहां कार्य किया गया। कुछ मामलों में इसकी शिकायत भी आज की सत्ता में बैठे पदाधिकारियों ने तत्कालीन कलेक्टर को थी। लेकिन यह जांच अब तक नहीं हो पाई। गैर भाजपाई सरकार के कार्यकाल के पहले भी आज की सत्ता में बैठे पार्टी के लोग काबिज थे। उन्हें भी दिग्भ्रमित कर ऐसे कुछ अधिकारी जो अंगद के पांव की तरह यहां जमे हुए हैं और अपने तिकड़म से वर्षों से निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को मीठी बातों से प्रभावित कर अपनी स्वार्थपूर्ति की जा रही है। जिस तरह पूर्ववर्ती गैर भाजपाई शहरी सरकार के कार्यकाल में इन्होंने खूब मनमानी की, उसी तर्ज पर आज यहां पदस्थ कुछ अधिकारी इस तरह के प्रपंच रचकर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा कर रहे हेैं और अपनी मनमानी करते हुए कार्य कर रहे हैं। अब तो यहां पदस्थ कुछ लोग दीवार तोडऩे, न तोडऩे के नाम पर हजारों रूपये रिश्वत के रूप में ले लिये हैं। जब पैसा देनेे के बाद भी संबंधित व्यक्ति की जो कि निगम के अनुमति से निर्माण की गइ्र्र थी, उसे रिश्वत लेने के बाद भी जेसीबी ले जाकर तोड़ दिया गया। इस ज्यादती से हताश होकर संबंधित व्यक्ति द्वारा इसकी शिकायत महापौर रामू रोहरा के समक्ष लिखित में की गई जिसके आधार पर महापौर ने संबंधित कर्मचारी को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है और महापौर ने इस मामले में मुख्यमंत्री एवं नगरीय निका मंत्री को अवगत कराकर उचित कार्यवाही कराने का शिकायतकर्ता को आश्वासन दिया है।
नगर निगम में भाजपा समर्पित शहरी सरकार बनाये लोगों में आज इस बात को लेकर फिर चर्चा शुरू हो चुकी है कि हमने बड़ी उम्मीदों के साथ भाजपा की शहरी सरकार बनाने में अपना वोट वार्ड पार्षदों को दिया है और उन्हें जिताया है। जिनसे हमें और हमारे वार्ड की मूलभूत सुविधाओं को दूर करने के साथ साथ सुंदर शहर की कल्पना की थी। लेकिन आज यह फिर मायूसी के घेरे में आ गई है। जबकि शहर के नागरिकों को मालूम होना चाहिये कि यहां उनके स्नेह एवं सहयोग से पांच साल बाद भाजपा समर्पित प्रत्याशियों को जीत मिली है। लेकिन यहां पूर्ववर्ती कांग्रेसी सरकार के समय से कार्यरत कुछ अधिकारी, कर्मचारी अंग्रेजी नीति पर चलते हुए फूट डालो, राज करो की नीति अख्तियार किये हुए हैं। अपने मिठलबरे बोल एवं चाटुकारिता कर ऐसे लोग निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को उलझाकर अपनी स्वार्थपूर्ति में पूरी तरह लीन हंै। इसी वजह से निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को बिना जानकारी दिये रिक्शा, टिप्पर खरीदी, यहां तक शासकीय वाहनों के नाम पर उनका नंबर दर्शाकर मोटर सायकलों में पेट्रोल डीजल डलवाया गया जिसकी शिकायत हुई है ओैर जांच जारी है। अब इन्हीं सब तथ्यों के बीच दीवार तोडऩे और यथावत रखने के नाम पर जो रिश्वत ली गई, रिश्वत लेने के बाद भी निगम से अनुमति प्राप्त कर संबंधित व्यक्ति के दीवार को तोड़ दिया गया जिसने शिकायत की, तब इस बात का रहस्योद्घाटन हुआ और फिर से इस मामले को लेकर नोटिस जारी करते हुए जांच की बात कही जा रही है। इन बातों को लेकर शहर की जनता ने भाजपा के आला नेताओं से यह मांग की है कि जब तक यहां पदस्थ कुछ अधिकारी, कर्मचारियों का स्थानांतरण नहीं किया जा सकता, तब तक न सिर्फ निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को फूट डालो, राज करो की तर्ज से छुटकारा मिल सकता और न ही ऐसे विवादित कार्य रूक सकते हैं जिसे लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री, नगरीय निकाय मंत्री से ऐसे लोगों के स्थानांतरण की मांग की जा रही है।
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