17 प्रतिशत कमीशन को लेकर निगम में पार्षदों के बीच फिर बवाल..

धमतरिहा के गोठ
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 संजय छाजेड़


धमतरी 10 अक्टूबर। नगर की जनता ने पूर्ववर्ती कांग्रेसी शहरी सरकार के उपेक्षापूर्ण भ्रष्टाचार एवं मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति नहीं किये जाने को लेकर शुरू से ही आवाज बुलंद की थी। इसी बात को लेकर शहर की जनता ने बीते नगरीय निकाय के चुनाव में नगर निगम धमतरी में पांच साल बाद फिर भाजपा की शहरी सरकार स्थापित करने में अपनी महती भूमिका निभाई थी। लेकिन आज यहां अधिकारी राज के चलते यहां निर्वाचित होकर आये पार्षदों द्वारा मूलभूत सुविधाओं को लेकर जब अधिकारियों से बात की जाती है तो वह उसे नजरअंदाज कर जाते हैं जिससे अब भाजपा की शहरी सरकार भी नागरिकों के जुबान में चर्चा का विषय बन चुकी है। हद तो यह है कि भाजपा की शहरी सरकार में पिछले लंबे समय से निर्माण एवं सप्लाई को लेकर शिकायतों का दौर जारी है जिसमें 20 लाख रूपये की लागत से रिक्शा, टिप्पर खरीदी, डीजल की अफरा तफरी, मोटर पंप में घालमेल अब शौचालय के मैंटनेंस कार्य के भुगतान में भी यहां पदस्थ एक अधिकारी ने 17 प्रतिशत कमीशन की मांग संबंधित ठेकेदार से किये जाने की चर्चा हर आदमी की जुबान पर हो रही है जिससे निगम में पार्षदों के बीच माहौल काफी गर्माया हुआ है। इनका कहना है कि निगम में इस तरह का कृत्य अब बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।

 पूर्ववर्ती सरकार के पदभार ग्रहण करने के कुछ माह बाद यहां टेंडर-टेंडर का खेल खेला गया था जिसमें डेढ़ प्रतिशत बिलोव दर पर 35 ठेकेदारों ने रिंग बनाकर निविदा भरी थी और 15 निविदा को पेंडिंग रखा था। इसके बाद कोरोना काल के दौरान सेनेटाइजर, मास्क, ब्लीचिंग पावडर इत्यादि के मामले को लेकर आज सत्ता में बैठे पार्षदों ने भी इसके जांच की मांग को लेकर तत्कालीन कलेक्टर को शिकायत भी की थी। इसके अतिरिक्त निगम में शहर की जनता की मूलभूत सुविधाओं के नहीं मिलने से उनमें भारी आक्रोश देखा जा रहा था जिसे पूर्ववर्ती सरकार के नुमाइंदों ने नजरअंदाज किया जिसका परिणाम यह रहा कि शहर की जनता ने उक्त सरकार को हटाने के लिये अपना मतदान किया और एक नये विश्वास के साथ कि भाजपा की यहां शहरी सरकार बनेगी तो हमें हमारी समस्याओं से निजात मिलेगी, शहर का विकास होगा, सडक़, नाली, बिजली, पानी सभी कुछ आसानी से मिलता रहेगा। लेकिन उनकी यह सोच काफूर की तरह उस वक्त उड़ गई जब यहां भाजपा की शहरी सरकार बनने के बाद यहां पदस्थ अधिकारी पूर्व की तरह निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा कर अपनी मनमानी करने पर उतारू हैं जिसके चलते आज पार्षद बेबस और लाचार नजर आ रहे हैं क्योंकि जब-जब इनके द्वारा किसी बात को लेकर आवाज उठाई जाती है तो अधिकारी इनकी एक नहीं सुन रहे हैं। ऐसे अधिकारी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन एवं जीरो टॉलरेंस की तर्ज पर नहीं चल रहे हैं।

 सूत्रानुसार पता चला है कि जबसे यहां एक अधिकारी पदभार ग्रहण किये हैं तबसे उनके कुछ मुंहलगे अधिकारी निर्वाचित पार्षदों की एक नहीं सुन रहे हैं और अपने मन माफिक सप्लाई, ठेकेदारी, में अपनी खास दिलचस्पी रखे हुए हैं। इसी उद्देश्य को लेकर इन्होंने पिछले माह 20 लाख रूपये की लागत से रिक्शा खरीदी की। जो अभी वर्कशॉप में पड़े हुए हैं। दो टिप्पर खरीदे गये थे, उसका भी उपयोग नहीं किया जा रहा है। शासन एवं नागरिकों के पैसे से खरीदी किये जाने वाले इन वस्तुओं का उपयोग नहीं करना था तो राशि का खर्च क्यों किया। इसी तरह पूर्व में डीजल में भी हेरफेर की घटना सामने आई जिसे लेकर पार्षदों के मध्य जूतमपैजार की स्थिति निर्मित हो गई। यह मामला थाने तक पहुंचा। एक पार्षद ने तो पिछले दिनों हताश होकर यह कह दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के न खाऊंगा, न खाने दूंगा की तर्ज पर समूचा विभाग चल रहा है। लेकिन यहां पदस्थ एक अधिकारी ने तो उक्त नारे को बदलते हुए हम खायेंंगे, लेकिन अन्य को खाने नहीं देंगे की तर्ज पर कार्य करना शुरू कर दिया है। हद तो यह है कि निगम में बैठे कुछ अधिकारियों के नादिरशाही रवैये के चलते 20 लाख रूपये की जो रिक्शा खरीदी की गई थी, एक सभापति नीलेश लूनिया सहित 24 पार्षदों ने संयुक्त रूप से इसके जांच की मांग की थी। लेकिन आज तक इसकी जांच नहीं हो पाई। इससे पूर्व भी डीजल की अफरा-तफरी का मामला भी जांच के लिये रखा गया है। अधिकारियों ने शासकीय उपक्रम में चलने वाली वाहनों में डीजल न डलवाकर मोटर सायकल में उक्त शासकीय वाहनों के नाम पर डीजल डलवाया है जिसे लेकर पार्षदों में खासी नाराजगी देखी जा रही है और अब यहां पदस्थ एक उच्च पद पर पदस्थ अधिकारी द्वारा शौचालय मैंटनेंस के लिये ठेकेदार को भुगतान करने के पूर्व 17 प्रतिशत कमीशन को लेकर निगम में जबरदस्त चर्चा का माहौल बना हुआ है। इस तरह यहां अधिकारियों की एकला चलो नीति के चलते न सिर्फ पार्षद परेशान हेैं अपितु पार्षदों के समक्ष वार्डों के नागरिकों द्वारा अपनी मूलभूत सुविधाओं को लेकर जाने वाले लोगों में भी खासी नाराजगी है। शहर की जनता ने प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं नगरीय निकाय मंत्री से उचित कार्यवाही की मांग की है। 

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