संजय छाजेड़
धमतरी । पूववर्ती कांग्रेसी शासन के दौरान कोयला, चांवल, शराब घोटालों से संबंधित कार्यों को लेकर कुछ आईएएस अधिकारी और इनसे संबंधित व्यक्तियों के ऊपर ईडी, ईओडब्लयू के द्वारा कार्यवाही की गई है जिससे कुछ आरोपी जेल में हैं, कुछ जमानत पर छूटे हैं। अब इस घटनाक्रम में एक नई बात सामने आ रही है जिसके चलते शासन के निर्देशानुसार वर्ष 2018 से 2023 तक स्थापित रही सरकार के द्वारा डीएमएफ, सीएसआर फंड सहित अन्य योजनाओं में विभिन्न विभागों के माध्यम से करोड़ों रूपये के सप्लाई, ठेकेदारी कार्य की जानकारी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मांगी गई है। जानकारी की मांग के बाद कई विभाग के लोगों में हडक़ंप देखा जा रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि धमतरी जिले में डीएमएफ, सीएसआर सहित अन्य फंड का जमकर दुरूपयोग हुआ है। अगर इसकी जांच होती है तो कई लोग ईडी की राडार पर आ सकते हेैं। शासन के प्रतिनिधि के रूप में जिले का मुखिया कलेक्टर होता है। लेकिन जब कलेक्टर ही शासन के नियमों के विपरीत जाकर कार्य करे तो उस जिले का भगवान ही मालिक होता है। यही सब कुछ तत्कालीन कलेक्टर के कार्यकाल में हुआ है। जिले के तत्कालीन कलेक्टर रहे पी एस एल्मा द्वारा डीएमएफ और सीएसआर फंड में जिस प्रकार अपनी मनमानी की गई है, वह आज भी जिले में चर्चित है। लोगों का ऐसा मानना है कि संभवत: इस मामले में भी सनसनीखेज खुलासा हो सकता हैं। हालांकि इसकी शिकायत पूर्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साथ प्रवर्तन निदेशालय को भी की गई है किंतु इसकी जांच अभी लंबित है।
विश्वसनीय सूत्रानुसार पता चला है कि कोयला, चांवल, शराब घोटाले के संबंध में शासन को जब इसमें हुए भ्रष्टाचार की जानकारी प्राप्त हुई तो इसकी जांच के निर्देश दिये गये और जांच में कुछ ऐसे आईएएस अधिकारियों के साथ साथ इसमें संलिप्त अनेक लोगों के ऊपर ईडी और ईओडब्ल्यू द्वारा कार्यवाही की गई। इनमें से कुछ जेल के अंदर हैं और कुछ जमानत पर छूटे हुए हैं। इसी दरम्यान शासन ने यह संज्ञान लिया है कि पूर्ववर्ती कांग्रेसी सरकार के समय जितने भी खर्च किये गये हैं, उसकी फेहरिस्त मंगाई जाये जिसके तहत धमतरी से भी फाईलों को तलब किया जा रहा हेै। इसकी जांच प्रारंभ होने पर अनेक नामचीन व्यक्तियों के साथ साथ कुछ अधिकारी, कर्मचारियों पर इसकी गाज गिर सकती है। चूंकि पूर्व में पदस्थ रहे तत्कालीन कलेक्टर पदुम सिंह एल्मा के द्वारा श्रृंगि ऋषि शा उ मा विद्यालय नगरी के उन्नयन अपग्रेशन के नाम पर सीएसआर फंड से 99 लाख 99 हजार 671 रूपये की मांग सीएसपीडीसीएल विभाग रायपुर से पत्राचार के माध्यम से की गई थी जिस पर कॉमन सीएसआर ऑफिसर ने उक्त राशि जिला कलेक्टर को चेक के माध्यम से प्रदान कर दिया। लेकिन राशि प्राप्त होने के बाद उक्त राशि को तत्कालीन कलेक्टर स्कूल उन्नयन के नाम पर खर्च न कर स्कूल डिस्मेंटल पर 58 लाख 63 हजार रूपये की राशि बिना किसी निविदा के चार ग्राम पंचायतों को एजेंसी बनाकर खर्च कर दिया गया। आश्चर्य की बात यह है कि तत्कालीन कलेक्टर द्वारा सीएसपीडीसीएल विभाग रायपुर को प्रेषित उपयोगिता प्रमाण पत्र में स्कूल अपग्रेशन के नाम पर उक्त राशि खर्च करना बताया गया है जबकि सच्चाई इसके ठीक विपरीत है और राशि स्कूल अपग्रेशन के स्थान पर डिस्मेंटल में खर्च किया गया जो सीधे-सीधे भ्रष्टाचार और अनियमितता की श्रेणी में आता है।
इसी तरह डीएमएफ फंड को लेकर भी तत्कालीन कलेक्टर ने जमकर अपनी मनमानी चलाई है। नगरी में जनसहयोग से बने अति प्राचीन श्रृंगि ऋषि उ मा विद्यालय जो अभी स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी विद्यालय के नाम पर स्थित है, इसके निर्माण में पीडब्ल्यूडी, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग और न ही नगर पंचायत को एजेंसी बनाकर कार्य करवाया गया बल्कि कई किलोमीटर दूर चार ग्राम पंचायत को एजेंसी बनाकर आनन-फानन में उक्त निर्माण कार्य पूर्ण करवा लिया गया। स्कूल को बने मात्र दो वर्ष ही बीते हैं, लेकिन वहां लेंटरों में दरार, बरसात में पानी टपकना, कुछ स्थानों से लेंटर गिरना जैसी घटनाओं से वहां अध्ययनरत छात्र-छात्राओं, शिक्षकों, स्टाफ के मध्य भय का माहौल बना हुआ है। स्कूल निर्माण में तत्कालीन कलेक्टर द्वारा की गई मनमानी को लेकर सिहावा क्षेत्र से भाजपा के पूर्व विधायक श्रवण मरकाम ने भी जांच की मांग करते हुए कहा था कि स्कूल निर्माण में तत्कालीन कलेक्टर ने जमकर पद का दुरूपयोग किया है। जबसे ऐसी फाईलों को तलब किये जाने की जानकारी चर्चित हो रही है, तबसे कुछ अधिकारी, कर्मचारियों के चेहरे पर हवाईयां उड़ रही हैं। ईडी द्वारा मांगी गई जानकारी से आम जनता को उम्मीद बंधी है कि जांच होने के बाद दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ जायेगा और इस समूचे प्रकरण में अनेक अधिकारी, कर्मचारियों के चेहरे बेनकाब होंगे।
