संजय छाजेड़
धमतरी। छत्तीसगढ़ शासन संस्कृति विभाग एवं जिला प्रशासन द्वारा आयोजित तिरंगा यात्रा आज धमतरी के बालक स्कूल (बिलाई माता मंदिर परिसर) से प्रारंभ होकर गांधी मैदान तक निकाली गई। इस यात्रा में नगर के जनप्रतिनिधि, विद्यार्थी, अधिकारी-कर्मचारी, सामाजिक संगठनों के सदस्य और आमजन बड़ी संख्या में शामिल हुए।
गांधी मैदान में समापन अवसर पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए महापौर रामू रोहरा ने आपातकाल की विभीषिका को याद करते हुए कहा—
“आज का दिन केवल तिरंगा लहराने का नहीं, बल्कि उस दिन को याद करने का है जब हमारे लोकतंत्र को कुचलने की कोशिश की गई थी। आपातकाल केवल कानून का नहीं, बल्कि जनतंत्र की आत्मा का गला घोंटने का प्रयास था।”
उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र के स्तंभों — न्यायपालिका, पत्रकारिता और विपक्ष — सभी को दबाने की कोशिश की। देशभर में हजारों निर्दोषों को जेल में ठूंस दिया गया। अखबारों पर ताले लगे, आवाजें दबाई गईं और भय का ऐसा माहौल बनाया गया जैसे भारत फिर से किसी विदेशी शासन के अधीन हो।
“जिस तरह इन्दिरागांधी ने हमें हमारे ही देश में पराया बना दिया था, उसी तरह आपातकाल के दौरान हमारी स्वतंत्रता को छीन लिया गया। फर्क सिर्फ इतना था कि इस बार शोषण अपनों के हाथों हुआ।”
महापौर ने इस अवसर पर विशेष रूप से युवाओं से आग्रह किया कि वे इतिहास की इस त्रासदी को पढ़ें, समझें और इसे केवल एक राजनीतिक अध्याय नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा की चेतावनी के रूप में याद रखें।
“आज की पीढ़ी को यह जानना जरूरी है कि जब सत्ता की भूख बेलगाम हो जाती है, तो वह संविधान तक को रौंदने से नहीं हिचकती। यह स्मरण केवल इतिहास नहीं, बल्कि भविष्य की सुरक्षा के लिए भी अनिवार्य है।”
उन्होंने यह भी बताया कि धमतरी सहित पूरे देश में हजारों स्वतंत्रता प्रेमियों ने इस काले कानून का विरोध किया और जेल की यातनाएं सहीं। आज उन्हीं के संघर्ष और बलिदान के कारण हम खुलकर बोल पा रहे हैं, सोच पा रहे हैं, वोट दे पा रहे हैं।
कार्यक्रम के अंत में महापौर ने लोकतंत्र की रक्षा हेतु सभी से जागरूक, सजग और सक्रिय नागरिक बनने का आह्वान किया।