धमतरी 1 मई। जिला प्रशासन द्वारा गत वर्ष 5 एवं 6 अक्टूबर को पानी के संवद्र्धन को लेकर दो दिवसीय जल जगार महोत्सव का आयोजन किया गया था। इसका प्रचार प्रसार करने में लाखों रूपये व्यय किये गये। साथ ही इस कार्यक्रम में शामिल हुए अतिथिगणों के लिये लाखों रूपये खर्च किये गये जबकि कलाकारों को उनका मेहनताना दिया गया। इस हेतु शासन से लाखों रूपये की स्वीकृति प्राप्त हुई थी। बावजूद इसके जिले से भी तत्कालीन अधिकारी के निर्देश पर कुछ अधिकारियों ने भारी चंदा बटोरा जिसकी गूंज राजधानी तक पहुंची थी। इसकी स्याही अभी सूख भी नहीं पाई कि अब जिला प्रशासन द्वारा छत्तीसगढ़ के जीवनदायिनी महानदी के संरक्षण एवं पुर्नजीवन से संबंधित एक व्यापक कार्यक्रम महानदी जागरूकता अभियान को लेकर सिहावा, नगरी क्षेत्र में 2 मई को कार्यक्रम आयोजित किया गया है। जिले में अब जल जगार महोत्सव के बाद महानदी जागरूकता अभियान की शुरूवात होने जा रही है जिसे लेकर जिलेवासियों का कहना है कि लगातार हो रहे महानदी से रेत का उत्खनन बंद हो जाये तो स्वमेव सभी समस्या का हल निकल आयेगा एवं जिले से जल संकट पूरी तरह दूर हो जायेगा।
पूर्व वर्ष में जल जगार महोत्सव के नाम पर पानी को बचाने एवं उसके संवद्र्धन के नाम पर लगातार दो माह तक कार्यक्रम चला। प्रचार प्रसार भी भारी पैमाने पर किया गया। इस कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों की उपेक्षा की गई, बाहरी कलाकारों को भारी-भरकम राशि दी गई। यहां अनेक अतिथि आये और उन्होंने जल जगार महोत्सव की तारीफ की। कार्यक्रम पश्चात वे चले गये, आज इसका नाम लेने वाला भी नहीं है। अलबत्ता जल जगार महोत्सव कार्यक्रम आयोजित करने वाले अधिकारी को पुरस्कृत किया गया। मानो ऐसा लगा जैसे उक्त अधिकारी को पुरस्कार एवं प्रमोशन देने के लिये यह कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। प्रदेश में पिछले वर्ष मां के नाम पर एक पेड़ लगाने की कवायद चलती रही। इसका भी व्यापक प्रचार प्रसार किया गया। तख्तियां, ट्री गार्ड लगाये गये। प्रत्येक शासकीय कार्यालय में वृक्षों का रोपण किया गया। कंपोजिट बिल्डिंग में भी इसका रोपण किया गया और वृक्ष के सामने अधिकारी एवं विभाग का नाम भी दर्शित किया गया। लेकिन बड़े दुर्भाग्य के साथ बताना पड़ रहा है कि इन पेड़ों की सुरक्षा को लेकर किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं की गई और पानी के अभाव में ऐसे वृक्ष अधिकांशत: मुरझा कर दम तोड़ दिये। इस कार्यक्रम में भी मानो एक जुनून देखा गया था। अक्सर यही होता आया है कि धमतरी जिले में विभिन्न योजनाओं के नाम पर कार्यक्रम तो आयोजित होते आ रहे हैं। लेकिन इसकी समाप्ति के पश्चात इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
जिला प्रशासन द्वारा जल जगार महोत्सव के माध्यम से जल को संवद्र्धन करने, पर्यावरण को बचाने हेतु किये गये प्रयास को लेकर समीक्षा भी नहीं की गई और उक्त आयोजन का आज नाम लेने वाला कोई नहीं है। अब इसी तर्ज पर छग की जीवनदायिनी महानदी के संरक्षण एवं पुर्नजीवन के उद्देश्य से एक व्यापक (रू्र्र) महानदी जागरूकता अभियान का आयोजन 2 मई को सिहावा क्षेत्रांतर्गत ग्राम फरसिया, सामतरा, छिपली तथा गणेश घाट सिहावा में 7, 8, 9 बजे आयोजित किया गया है। जिला प्रशासन के द्वारा जारी आमंत्रण पत्र में जिलेवासियों को इसमें आमंत्रित किया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि आपकी सहभागिता, महानदी के सुरक्षित भविष्य की दिशा में एक मजबूत कदम सिद्ध होगी। इस आमंत्रण को देखकर जिलेवासियों ने व्ंयग्यात्मक रूप से अपनी भावना जताते हुए कहा कि करोड़ों रूपये खर्च करने के बाद जल जगार महोत्सव से कुछ हासिल नहीं हुआ। स्थानीय कलाकारों का शोषण किया गया और बाहरी लोगों को भारी भरकम राशि दी गई। इसके बाद इस जल जगार का नाम लेने वाला भी कोई नहीं बचा। इसी तरह मां के नाम एक वृक्ष लगाये जाने के नाम पर भी भारी भरकम राशि खर्च की गई। लेकिन आज वृक्ष की देखरेख करने वाला कोई नहीं है। ऐसे दिखावटी आयोजन से महानदी एवं पर्यावरण की सुरक्षा किया जाना नामुमकिन सा लगता है।
जिलेवासियों ने जिला प्रशासन के उपरोक्त दोनों कार्यक्रम के बाद इस कार्यक्रम को लेकर अपना मत व्यक्त करते हुए कहा कि वर्षों से जिस महानदी का दोहन रेत माफियाओं द्वारा किया जा रहा है, परिणामस्वरूप महानदी की सांसे फूल चुकी है और वह लोगों से मिन्नते कर रही है कि मुझे किसी भी तरह बचा लो, मैं अब भारी भरकम मशीन के पंजों से बहुत आहत हो चुकी हूं, अब मेरे में सहनशक्ति समाप्त हो चुकी है। यदि मेरा वजूद समाप्त होता है तो आने वाले समय में जिले के नागरिकों को न तो मैं पानी की पूर्ति कर सकती हूं, न ही मैं मकान, भवन बनाने के लिये काम आ सकती हूं। अब तो मेरा जिस्म छलनी-छलनी हो चुका है, ऊपर से मेरे आग़ोश में दफन धमतरीवासियों के पूर्वजों के कंकाल निकल रहे हैं। मेरे साथ साथ अपने पूर्वजों की भी चिंता होनी चाहिये कि वर्षों से दफन उन्हें उखाडक़र बेरहमी के साथ इधर उधर फेका जा रहा है। जिलेवासियों की इस बात में कितना दम है, यह तो नहीं मालूम परंतु एक बात तय है कि महानदी और उनकी सहायक नदियों को बचाना है तो इन नदियों से रेत उत्खनन करने वालों पर कठोर कार्यवाही करते हुए उनके खिलाफ पुलिसिया कार्यवाही होनी चाहिये। तभी धमतरी जिले का जल स्तर नहीं गिरेगा, पर्यावरण नहीं बिगड़ेगा। लेकिन अफसोस कि इन बातों को देखने वाला कोई नहीं है। अब देखना है कि जल स्त्रोत को बढ़ाने महानदी की सुरक्षा की जाती है कि नहीं। यहां यह बताना लाजिमी है कि जितनी भी वैध, अवैध रेत खदानें चल रही हैं, उसके नियम शर्तों में सबसे पहला शर्त यह है कि जो भी रेत खदान चलायेगा वह अपने खदान के सामने 20-20 वृक्ष लगायेगा जिसका पालन आज पर्यंत तक नहीं हो सका है और न ही इस दिशा खनिज विभाग कोई कदम उठाया है।