शाश्वत थिएटर ग्रुप ने विश्व रंगमंच दिवस मनाया और कलाकारों को सम्मान किया

धमतरिहा के गोठ
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 संजय छाजेड़ 

ज़िंदगी एक रंगमंच है और हम सब उसकी कठपुतलियां हैं... साहित्यकार व नाटककार  विलियम शेक्सपियर  की प्रसिद्ध पंक्तियाें से ये समझा जा सकता है कि थियेटर  का हमारे जीवन में क्या महत्व है और क्यों इसे समाज का दर्पण कहा गया है? रंगमंच सिर्फ अभिनय या मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि जीवन को जीने का सही ढंग सिखाने वाला गुरु है. रंग मंच आपको कलाकार बनाने के पहले एक तजुर्बेदार इंसान बनने में आपकी मदद करता है. इसके अलावा और भी कई चीजें हैं, जो हम अपने जीवन में रंगकर्म के माध्यम से सीखते हैं.

      शाश्वत उत्सर्ग युथ थिएटर ग्रुप धमतरी ने विश्व रंगमंच दिवस के शुअवसर पर अपने  प्रैक्टिस स्थान अम्बे रेस्टोरेंट के पीछे घर मे विश्व रंगमंच दिवस मनायाl इसमे मुख्य अतिथि  प्रशांत गिरी गोस्वामी,अध्यक्षता राजकुमार  सिन्हा, संरक्षक आकाश गिरी गोस्वामी, विशिष्ट अतिथि वैभव रणसिंग थे l जिसमे रंगकर्मियों ने एकल व सामूहिक अभिनय के द्वारा अनेक विविध प्रस्तुति दिए  साथ हीं संस्था के वरिष्ठ कलाकार गौतम साहू जो शासकीय शिक्षक व कलाकार है ने अपने साथियों के साथ समूह अभिनय दौरान स्वरचित देशभक्ति गीत जारी रहेगी अपनी लड़ाई अब तो होगी गोरो की पिटाई  गीत से सबको मंत्रमुग्ध कर दियाl

 ऑल इंडिया आर्टिस्ट एसोसिएशन शिमला मे आयोजित नाट्य विधा मे  सम्मिलित शाश्वत  उत्सर्ग यूथ थिएटर के कलाकारों मे कल्पना, कशिश, विराजशाह आशीषसाहू , गुलशनध्रुव आकाश गिरी, सोहनलाल साहू, वैष्णवी, जान्हवी, प्रियांशीमिश्रा , दागेश्वर साहू धनलक्ष्मी, भाविका को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया l

                 मुख्य अतिथि प्रशांत गिरी गोस्वामी ने अपने सारगर्भित  उद्बोधन में कहा कि भारत में रंगमंच की परंपरा बहुत पुरानी और समृद्ध है, जो वैदिक काल से लेकर भरत मुनि के नाट्यशास्त्र तक और फिर लोकनाट्य रूपों जैसे रामलीला, रासलीला, नौटंकी, और तमाशा तक फैली हुई है। आधुनिक काल में भारतेन्दु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद और रवींद्रनाथ टैगोर ,हबीब तनवीर जैसे नाटककारों ने इसे नई ऊँचाइयाँ दीं। उनका मानना है की रंगकर्मियों को पुस्तकें जरूर पढ़ते रहना चाहिए जिससे उनका ज्ञान बढ़ता है. खासकर रंगकर्म से जुड़े कलाकारों की पुस्तकें और जीवनगाथाओं को पढ़े और अधिक से अधिक रिसॅर्च करें ताकि नाटक के लिए नये-नये आइडियाज मिल सकें.

वरिष्ठ रंगकर्मी राजकुमार सिन्हा  ने कहा कि रंगमंच अपनी जीवंतता और प्रत्यक्षता के कारण कभी खत्म नहीं हो सकता। यह दर्शकों के साथ सीधा भावनात्मक जुड़ाव बनाता है, जो स्क्रीन पर संभव नहीं।

 संरक्षक आकाश गिरी गोस्वामी ने बताया कि शाश्वत उत्सर्ग  के कई प्रतिभाशाली कलाकार रंगमंच से सिनेमा और अन्य कला क्षेत्रो में चले गए हैं, जहाँ बेहतर आय और पहचान मिली है।

 धमतरी जिले के नाट्य विधा में रुचि रखने वाले कलाकार जो नाट्य क्षेत्र व सिनेमा में अपना कैरियर बनाना चाहते है संस्था के कलाकारों मे दुष्यंत सिन्हा, प्रियांशी,लोकेश प्रजापति, चंद्रप्रकाश साहू, विनोद डिडोलकर,लक्ष्मी नारायणसिन्हा,गुलशन ध्रुव ,हरीश सिन्हा, आशीष साहू, सचिन सोनी,मनोज बनछोर आदि थे | 

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