तपस्या आत्म साधना का साधन है-प.पु.विशुद्ध सागर जी

धमतरिहा के गोठ
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संजय छाजेड

धमतरी। आज अक्ष्यनिधि तप, समवशरण तप, विजय कषाय तप एवं मोक्ष तप के तपस्वियों का बहुमान श्रीसंघ की ओर से किया गया। ईस अवसर पर परम पूज्य विशुद्ध सागर जी म सा ने कहा की तपस्या आत्म साधना का  साधन है। तप दो प्रकार के होते है बाह्य तप और अंतर तप। बाह्य तप में तपस्या किया जाता है आतंरिक तप के अंतर्गत आत्म साधना आता है। इन तपो के माध्यम से हमे अपने जीवन का अपनी आत्मा का विकास करना है। तपस्या में हमे खाने का मोह त्याग देना चाहिए और उससे जो समय शेष बचता है उसे परमात्मा में लगाने का प्रयास करना चाहिए। आज ऐसे तपस्वियों का बहुमान किया जा रहा है। इनको देखकर हमे भी तपस्या के लिए प्रेरित होना है। वरघोड़ा में इन सभी तपस्वी अपने कलश को साथ लेकर चले।  सन्मति गोलछा सुपुत्र पूनमचंद गोलछा के आज 26 उपवास है। आगे 30 उपवास अर्थात मासखमन की भावना है।


      आज के वरघोड़ा में भंवरलाल छाजेड़ , विजय गोलछा,संजय लोढ़ा, जीवन लोढ़ा,मोहन गोलछा, पारसमल गोलछा, लक्ष्मीलाल लूनिया, प्रकाश पारख, विनय पारख, अशोक पारख, लूणकरण गोलछा, शिशिर सेठिया,राहुल सेठिया, विनीत पारख, आकाश गोलछा, प्रतीक बैद, कुशल चोपड़ा, प्रवीण संकलेचा, श्याम डागा, राहुल पारख,अंकित बरडिया, मनीष बरडिया सहित बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित रहे।



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