श्री पाश्र्वनाथ जिनालय से श्री आदिश्वर जिनालय तक दादा गुरुदेव की भव्य पालकी यात्रा निकाली गई

धमतरिहा के गोठ
0

 


संजय छाजेड

धमतरी। परम पूज्य विशुद्ध सागर जी म सा ने अपने फरमाया कि चौथे दादा अकबर प्रतिबोधक 1008 श्री जिनचंद सूरी जी महाराज साहेब की 411वीं स्वर्गारोहण महोत्सव के अवसर पर 11 दिवसीय गुरु इकतीसा का जाप श्री आदिश्वर जिनालय में रखा गया था जिसका आज समापन है। आज दिनांक 19/09/2024 को दादा गुरुदेव की भव्य पालकी यात्रा निकाली गई। यह पालकी यात्रा प्रात: 09 बजे श्री पाश्र्वनाथ जिनालय से श्री आदिश्वर जिनालय तक निकाली गई। उसके बाद दादा गुरुदेव की बड़ी पूजा श्री आदिश्वर जिनालय में प्रात: 10 बजे हुई तथा रात्रि में प्रभु भक्ति का आयोजन श्री आदिश्वर जिनालय में रहेगा। प्रभु भक्ति हेतु परम गुरुभक्त भाई मोहित बोथरा अजीमगंज कोलकाता से पधारे हुए है। दादा गुरुदेव श्री जिनचंद्र सूरी जी का हम पर बहुत उपकार है। दादा गुरुदेव की कृपा से ही हम जन से जैन बने है। 84 गच्छ की स्थापना करने वाले ऐसे दादा गुरुदेव का हम सभी पर परम उपकार है। आज का दिन ऐसे परम उपकारी के उपकार को याद करने का है।  दादा गुरुदेव के एक शिष्य ने किसी के पूछने पर एक बार भूलवश अम्मावस के दिन पूनम होना बता दिया। उसके बाद वह शिष्य अपनी गलती को जानकर दादा गुरुदेव को पूरी बात बता देते है। फिर दादा गुरुदेव अपने ज्ञान से पूरी घटना को समझकर एक श्रावक से चांदी की थाली मंगाकर उसे आसमान में फेंकते हैं जिससे आसमान में चारो ओर पूनम जैसा प्रकाश छा जाता है। उसी समय उस शिष्य की बात को झूठा साबित करने बादशाह नगर के चारो ओर अमावस है या पूनम यह देखने के लिए अपने सैनिक भेजते हैं। बादशाह के सैनिक चारों दिशाओं में बारह बारह कोष तक जाकर देखते है तो सभी को पूनम का चांद ही दिखाई देता है। सभी सैनिक आकार बादशाह को यह जानकारी देते हैं। तब वह बादशाह दादा गुरुदेव से प्रभावित होकर उनका भक्त बन जाता है। ऐसे भक्तो के तारणहार दादा जिनचंद्र सुरी जी भट्टारक अर्थात भक्तो के कष्ट को दूर करने वाले है। जो व्यक्ति श्रद्धा से आपकी शरण में आता है उसकी हर इच्छा जरूर पूरी होती है। ऐसे परम उपकारी दादा गुरुदेव की कृपा से ही आज हम यहां तक पहुंचे है।



Tags:

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)