नारायणराव मेघावाले कन्या महाविद्यालय धमतरी में मनाया गया प्रेमचंद जयंती

धमतरिहा के गोठ
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संजय छाजेड

धमतरी।  हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार प्रेमचंद की रचनाओ में जन साधारण की भावनाएं, परिस्थितियाँ और उनकी समस्याओं का आमजन की भाषा में मार्मिक चित्रण है । उनकी रचनाओं का केन्द्र उपेक्षित वर्ग व उनकी समस्याएँ रही हैं । उनका लेखन सरल एवं सुलभ है । यहाँ तक कि प्राथमिक कक्षाओं से लेकर उच्च शिक्षा तक प्रेमचंद की कहानियाँ पाठ्यक्रम का हिस्सा रहा है । उनकी रचनाएँ सामाजिक व्यवस्था और संरचना पर सवाल करती है और एक विमर्श पैदा करती है । मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी पंच परमेश्वर अपने.पराये,मित्रता.शत्रुता इत्यादि को दरकिनार करके निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करने की बात करती है । वहीं इश्तियाक द्वारा लिखित एक नाटक दीवारें समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव कई बार दृश्यहीन के परतों को खोलती है और इस पर तार्किक रूप से संवाद के माध्यम से पाठकों,दर्शकों को जागरुक करने का प्रयास करती है । ताकि समता, समानता, बंधुता, न्याय और स्वतंत्रता जैसे संवैधानिक मूल्यों से भरा समाज विकसित हो । दोनों ही नाटक न्याय एवं समानता जैसे मुद्दो पर चर्चा करने हेतु ग्रामसभा,पंचायत को एक शशक्त माध्यम के रूप में भी पेश करता है ।

      इन्हीं सब उद्देश्यों के तहत नारायणराव मेघावाले कन्या महाविद्यालय धमतरी में हिन्दी साहित्य के कथा सम्राट प्रेमचंद की 144 वीं जयंती मनाया गया । इस अवसर पर प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी पंच परमेश्वर और इश्तियाक द्वारा रचित नाटक दीवारें का नाट्यमंचन शहर के शाश्वत उत्सर्ग यूथ थिएटर ग्रुप द्वारा किया गया । प्रेमचंद से जुडे पोस्टरों की प्रदर्शिनी भी लगायी गई थी ।

      इस कार्यक्रम का आयोजन जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान नगरी, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन, शाश्वत उत्सर्ग यूथ थिएटर ग्रुप व नारायणराव मेघावाले कन्या महाविद्यालय धमतरी के संयुक्त तत्त्वावधान में किया गया । इस मौके पर महाविद्यालय के 300 से अधिक छात्राएँ व प्राचार्य सहित 16 शिक्षक.शिक्षिकाओं ने नाटक को देखने पूरे समय शामिल रहे । आयोजित नाट्य मंचन को सराहा व संवाद में भाग लिये । कई छात्राओं तथा शिक्षकों ने नाटक के बाद अपनी त्वरित प्रतिक्रिया दी । वे इस बात से सहमत नजर आए कि समाज में आज भी जातिगत भेद.भाव, ऊंच.नीच विद्यमान है । जिसे दूर करने की हरसंभव प्रयास करनी होगी ताकि संविधान में उल्लेखित मूल्य . समता, समानता, न्याय व भाईचारे पर आधारित मानवीय समाज का निर्माण हो सके । महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ डीआर चौधरी ने कहा मैं अक्सर महाविद्यालय के संघर्षो की गाथा आज तक सुनाया करता था । पर 29 वर्षों में पहली बार ऐसा कार्यक्रम हुआ जो महाविध्यालय के विकास की कडी को आगे बढाता है। प्रोफेसर ओपी चांदे ने कहा . अच्छी कहानियाँ जो समाज में व्याप्त भेद.भाव, असमानता,अन्याय के प्रति जागरूक करते हुए मानवीय मूल्यों को सँजोती और आगे बढाती है, पाठ्यपुस्तक से हटती जा रही है । यह चिंता का विषय है । वहीं एक गेस्ट फैकल्टी तीजन साहू ने छात्राओं को प्रेमचंद द्वारा रचित कहानियाँ का संग्रह श्मानसरोवर के आठ खण्डोंश् की याद दिलाई और उन्हें इसे लाइब्रेरी से पढने के लिये प्रेरित किया । प्रोफेसर डॉ रोहिणी मरकाम ने उनके महाविद्यालय में इतना ब?िया कार्यक्रम करवाने हेतु शाश्वत उत्सर्ग यूथ थिएटर ग्रुप के सभी सदस्यों व ग्रुप से जुडे सभी युवा साथियों का आभार व्यक्त करते हुए सभी संयोजकों . जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान नगरी तथा अजीम प्रेमजी फाउंडेशन को धन्यवाद ज्ञपित किया । महाविद्यालय के दो पूर्व छात्राएँ . ओमेश्वरी और किरण के द्वारा इस नाट्यमंचन में भूमिका निभाये जाने से प्राचार्य डॉ डीआर चौधरी, प्रोफेसर डॉ रोहिणी मरकाम व प्रोफेसर मधु माधव देव सहित महाविद्यालय के सभी प्रोफेसर ने गर्व व सम्मान के अनुभव को व्यक्त किया ।


      पंच परमेश्वर् नाटक का निर्देशन प्राथमिक शाला अछोटा के प्रधानपाठक गौतम साहू ने किया वहीं दीवारें नाटक का निर्देशन सेजेस हटकेसर के शिक्षक वैभव रणसिंह ने किया । दोनों ही नाटकों में गीत.संगीत गौतम साहू व अलीम प्रेमजी स्कूल के म्यूजिक टीचर खिलेन्द्र साहू ने मिलकर दी । बैकग्राउंड म्यूजिक का संयोजन आशीष ने किया । नाट्य मंचन में धमतरी विकासखंड के युवा साथी मोजेश, वैष्णवी, भूपेन्द्र, प्रियांशी, किरण, पावित्री,ओमेश्वरी, शिक्षक गौतम साहू, वैभव रणसिंह, प्राथमिक शाला झिरिया के शिक्षक सोहन लाल साहू, प्राथमिक शाला भानपुरी के शिक्षक तिलक साहू तथा अजीम प्रेमजी स्कूल के शिक्षक देवेन्द्र अंकारे ने अलग.अलग पात्रों की भूमिका अदा की । विषय प्रवेश जीम प्रेमजी फाउंडेशन के नरेंद्र ने किया। वहीं कार्यक्रम का संचालन नरेंद्र तथा सुनील दोनों ने मिलकर किया । कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय के सभी शिक्षकों तथा स्टाफ  के साथ.साथ अजीम प्रेमजी फाउंडेशन से थियोफिलस व अन्य स्टाफ  की अहम भूमिका रही । शाश्वत उत्सर्ग यूथ थिएटर ग्रुप से जुडे गुलशन व राहुल भी सहयोग के लिये पूरे समय उपलब्ध रहे । कार्यक्रम के समापन के ठीक बाद प्राचार्य डॉ डीआर चौधरी ने नाट्य समूह व फाउंडेशन के साथियों के साथ संक्षिप्त समीक्षा बैठक रखी । और आगे भी इस तरह के कार्यक्रम व चर्चा.परिचर्चा के लिये सहयोग की अपेक्षा जताई । समूह के सभी सदस्यों ने इस प्रस्ताव का स्वागत करते हुए प्राचार्य को बहुत बहुत धन्यवाद दिया ।

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