संजय छाजेड़।
धमतरी। वर्ष 1984, 1995, 2008 और 2011 मे एडीपीओ,एपीपी सरकारी वकील फर्जी जाति प्रमाण अनुसूचित जनजाति वर्ग से पीएससी से चयन होकर गृह पुलिस विभाग में नियुक्त हुये, परंतु दस्तावेज सत्यापन में रिषीराज कुल्हाडे और मोनिका मसीह और चंदन मानकर पकड़े गए, चंदन मानकर ने हाईकोर्ट मे याचिका लगाया छानबीन समिति और सरकार की ओर से समय पर जवाब पेश नही होने का उन्हे लाभ देते हुये छानबीन समिति के आदेश पर स्टे स्थगन मिलने से उन्हे नौकरी मे रख लिया गया। न्यायालय से उसका रिट खारिज हुआ फिर भी नौकरी से नही निकाला गया । अपील करने पर न्यायालय का आदेश स्टे हो गया। वह दुबारा जाति जांच का तथ्य छुपाकर पीएससी से सीएमओ में चयन होकर दुसरे विभाग नगर पालिका अधिकारी की नौकरी कर रहा है ।
ऐसा ही नरेश कुमार ध्रुवंशी निवासी बरेला तखतपुर
1995 से और जयप्रकाश पडवार निवासी करंजिया जिला मंडला 1984 से नियुक्त होकर सरकारी
वकील एडीपीओ,डीपीओ, अतिरिक्त संचालक बन गये। छानबीन समिति और अनुसूचित जनजाति आयोग
के जांच में चूक के कारण एवं विभाग के अधिकारियों के सहयोग के कारण रिटायर
होने तक नौकरी करते रहे। उनके विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराने, नौकरी से बर्खास्त करने,लिए
गये छात्रवृति की वसुली,केवियट दायर करने की कार्यवाही के स्पष्ट आदेश, निर्देश के प्रावधान के बाद भी तत्काल कोई कार्यवाही नही किया गया । जबकी फर्जी जाति प्रमाण
बनवाकर उच्च शिक्षा,नौकरी,पदोन्नति प्राप्त करना और फर्जी जाति प्रमाण बनाना इस कार्य मे सहायता करना धारा
420,467,468, 471, 120बी, आईपीसी के अन्तर्गत संज्ञेय और अजमानतीय गंभीर अपराध है जिसमें
आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। छानबीन
समिति द्वारा फर्जी जाति प्रमाण घोषित करने पर भी जिला प्रमुख
पद से उन्हे नही हटाया गया न ही निलंबित किया गया। उन्हे सजा तो दूर उल्टा लगातार अवैध संरक्षण दिया जा रहा है। उसे एडीपीओ से डीपीओ अतिरिक्त संचालक पदोन्नति दिलाया गया। जिला रायपुर,
बलौदाबाजार, कवर्धा, कबीरधाम का जिला अभियोजन अधिकारी डीपीओ बनाया गया । हाईकोर्ट से दो बार छानबीन समिति को दुबारा 6 माह मे जांच करने का आदेश दिया गया । दो बार जांच हो चुका है अब तीसरी बार जांच होना है । अब वह सेवानिवृत्त हो गया है और पेंशन आदि के लिए
याचिका लगाया है। समय पर अपील नही करने से
उन्हे लगातार लाभ मिल रहा है। शासन की तरफ से तत्काल अपील किए जाने की आवश्यकता है।
रिशीराज
कुल्हाडे और मोनिका मसीह के जाति प्रमाण पत्र की जांच को छानबीन समिति के अधिकारियों
कर्मचारियों द्वारा 2008 से दबा दिया गया
है । रिसी राज कुल्हाडे दुबारा वर्ष 2022 में इस बार ओबीसी का जाति प्रमाण बनवाकर
एडीपीओ की परीक्षा दिया है जो विभाग के अधिकारीयो के सजगता के कारण जाति प्रमाण पत्र पर संदेह के कारण अटका हुआ है। ऐसे फर्जी जाति प्रमाण के आधार पर नौकरीएपदोन्नति और कई सुविधा
का अवैध लाभ लेने वाले हजारों की संख्या मे है । इसी तरह आनंद मसीह उरांव अनुसूचित जनजाति का फर्जी जाति प्रमाण बनवाकर बाबु,
डिप्टी कलेक्टर और अब आइएएस बन गया का जाति प्रमाण पत्र भी दो बार फर्जी जाति प्रमाण
घोषित किया गया है पर जांच मे गलती के कारण
उसे उच्च न्यायालय से स्टे मिल गया है। उसका
निराकरण होने तक उसका सेवानिवृत्ति,पेंशन ग्रेच्युटी
आदि रोका जाय ।
उक्त सभी केश में फर्जी जाति प्रमाण पत्र जारी करने वाले
, इन्हे बचाने और संरक्षण देने वाले और जानबूझकर
त्रुटिपूर्ण जांचकर्ता अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही के किये जाने की आवश्यकता है। पुलिस यदि रिपोर्ट
दर्ज नही करती है तो पुलिस अधीक्षक
को शिकायत करने और फिर भी कार्यवाई और रिपोर्ट दर्ज नही करने पर न्यायालय में इसके
लिये 156(3) का आवेदन परिवाद पेश किया जाना चाहिए और उच्च न्यायालय मे केवियट, हस्तक्षेप
याचिका, जनहित याचिका तत्काल सुनवाई
हेतु शासन की ओर से लगवाये जाने की
मांग छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय एवं
रामविचार नेताम मंत्री आदिवासी विकास अनुसूचित जाति विकास पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक
विकास कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ शासन से अनुसूचित जनजाति शासकीय
सेवक विकास संघ छत्तीसगढ़ के प्रांताध्यक्ष आरएन ध्रुव द्वारा की गई है।