(धमतारिहा के गोठ ब्लॉग की विशेष खबर) शहर के नेताओं के नाकामी की एक और दास्तान, हार्टिकल्चर कॉलेज अब धमतरी से अन्यत्र स्थानांतरित

धमतरिहा के गोठ
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संजय जैन 

धमतरी । पिछले माह शहर में हार्टिकल्चर कॉलेज स्थापना की घोषणा किये जाने से जिलेवासियों में काफी हर्ष था। चूंकि धमतरी मुख्यालय है, इसलिये युवाओं का भविष्य बनने की पूरी संभावना थी परंतु इस कॉलेज को कुरूद में ले जाये जाने की जानकारी पर लोगों ने एक बार फिर कहना शुरू कर दिया है कि जितने भी नेता हैं, उनके द्वारा बरती जा रही लापरवाही का ही परिणाम है कि आज यह कॉलेज धमतरी से अलग होकर कुरूद में खोला जाना तय कर लिया गया है जिसके लिये कुछ हद तक शहर के नागरिक भी जिम्मेदार बनते हैं जिनके द्वारा ऐसी योजनाओं को धमतरी से हटाकर अन्यत्र स्थापित किये जाने का कोई विरोध नहीं किया गया। हद तो यह है कि विभिन्न पार्टी से जुड़े धमतरी के नेताओं द्वारा भी इसके लिये चुप्पी साध ली गई है। धमतरी विस में ऐसे तो नेताओं की भरमार है जिनका यह दावा है कि धमतरी के हितों के लिये हम अपनी जान भी निसार कर सकते हैं। लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है कि धमतरी में किसी भी बड़े राजनीतिक दल का नेता इसके लिये मुखर नहीं हो रहा है। यही कारण है कि धमतरी के अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। सरकार चाहे किसी भी दल की रही हो, धमतरी की अनदेखी सभी दलों ने की है। 15 साल प्रदेश में भाजपा की सरकार रही, तब भी धमतरी की जनता के साथ उनकी भावनाओं को कुठाराघात किया गया। प्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो नागरिकों को उम्मीद थी कि अब धमतरी के नागरिकों के साथ न्याय होगा, लेकिन यहां भी वही ढाक के तीन पात वाली बात नजर आ रही है। अब तो शहर के नागरिकों का भरोसा ही नेताओं से उठ गया है। धमतरी में खुलने वाले हार्टिकल्चर कॉलेज के पहले भी कई बड़ी योजनाएं शहर से अन्यत्र जा चुकी हैं।

धमतरी मुख्यालय में 200 बिस्तरों वाले अस्पताल में अभी भी बहुत सी खामियां हैं। हालांकि इस अस्पताल में सोनोग्राफी, खून जांच, एक्स-रे इत्यादि की व्यवस्था की गई है। चिकित्सकों की कमी भी इस अस्पताल में विद्यमान है। इसी तरह शहर के व्यस्ततम मार्ग सदर बाजार में भी यातायात को सुधारे जाने को लेकर अनेक प्रयास किये जा रहे हैं परंतु इसमें भी कोई अब तक सफलता नहीं मिली। बायपास मार्ग भी अभी प्रारंभ नहीं हुआ है। छोटी-मोटी वाहनों के लिये इसे खोला गया है। नये बस स्टेंड की स्थापना शहर से बाहर किये जाने को लेकर नगर पालिक निगम के पूर्व कार्यकाल में इसकी कवायद चल रही थी। लेकिन आज भी यह बस स्टेंड वहां स्थापित नहीं हो सका जिसके लिये लाखों रूपये खर्च किये गये। और तो और शहर के नागरिकों को मनोरंजन के नाम पर गार्डनों में रंग-रोगन कार्य के साथ साथ झूला इत्यादि की व्यवस्था भी जीर्णशीर्ण अवस्था में पड़ चुकी है। ऐसी कागजी कार्यवाहियों को देखते हुए भी शहर के नागरिक खामोशी से इन बातों को देखते आ रहे हैं किंतु विरोध नहीं होने की वजह से अभी तक जिस तरह धमतरी तहसील का स्वरूप था, वैसा ही स्वरूप आज भी नजर आ रहा है। 

वर्ष 1998 में जब धमतरी जिला बना था, तबसे लेकर अब तक इसमें कोई सुधार नहीं देखा जा रहा है। उसी पैटर्न पर आज शहर की मुख्य सडक़ राष्ट्रीय राजमार्ग की स्थिति बनी हुई है। आये दिन छुटपुट दुर्घटनाएं होते रहती हैं। कभी-कभी बड़ी दुर्घटनाओं के कारण आदमी की अकाल मौत तक हो रही है। इन्हीं सब बातों को लेकर एक लंबी-चौड़ी बहस जारी है कि आखिर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की सोच में उपरोक्त समस्याओं का निराकरण और उसके सुधार की बात क्यों नहीं आती। आगामी महीनों में विधानसभा चुनाव है जिसे लेकर शहर के नेता अपने आप को प्रचारित करने और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को यह बताने कि हम बहुत ही सक्रिय हैं, हमारी एक विशिष्ट पहचान है, जबकि हकीकत यह है कि अपने अपने स्तर के वरिष्ठ नेताओं अर्थात केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं को इनके द्वारा कोई प्रचारित न कर अपने ही स्तर पर युद्धस्तर पर प्रचार प्रसार हेतु गली, शहर, सडक़ों में बोर्ड लगाकर उसकी प्रतिस्पर्धाएं प्रारंभ हो गई हैं और केंद्र एवं राज्य सरकार के मुद्दे हवा हवाई हो गये हैं। इन्हीं सबके बीच अब एक ऐसी लहर चल पड़ी है कि पिछले माह धमतरी में हार्टीकल्चर कॉलेज की स्थापना की जायेगी और शायद इसके लिये धमतरी में राशि भी स्वीकृत होकर आ चुकी थी। लेकिन अब पता चल रहा है कि यह कॉलेज कुरूद में स्थापित किया जायेगा। यह क्रम पिछले लंबे समय से जारी है कि धमतरी की योजनाओं को कुरूद में स्थानांतरित करके धमतरी शहर के लोगों के साथ पक्षपात किया जा रहा है।

हार्टिकल्चर कॉलेज को लेकर शहर के लोगों में एक आशा बंधी थी कि यहां कृषि से संबंधित और फूल, पौधे उगाने से लेकर बागवानी तक का कार्य यहां धमतरी में यहां लोगों को देखने का अवसर प्राप्त होगा। लेकिन जिला मुख्यालय के रूप में धमतरी शहर से यह कॉलेज कुरूद जैसे क्षेत्र में चले जाना यहां के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को दर्शाता है। साथ ही साथ शहर के नागरिकों के लिये भी यह एक चुनौती के रूप में सामने आता है जिन्हें चाहिये कि कुरूद से हटाकर इस कॉलेज को धमतरी में स्थापित किये जाने का शंखनाद करे। अगर ऐसा नहीं होता है तो एक बार फिर धमतरी शहर उपेक्षाओं एवं पक्षपात का शिकार होकर रहेगा और ऐसी योजनाएं जो धमतरी के लिये तो घोषित की जाती हैं, वह कुरूद जैसे क्षेत्र में इसका विरोध होने पर नहीं जायेगी। जरूरत है कि अब हार्टिकल्चर कॉलेज को धमतरी में वापस लाने की। राजनीतिक दलों के नेताओं से जागरूक नागरिकों ने अपील की है कि वे इसकी स्थापना धमतरी में कराये जाने को लेकर जंग का ऐलान करे और धमतरी की घोषित धरोहर को धमतरी में लाने का प्रयास करे ताकि इसका लाभ धमतरी सहित नगरी, एवं आसपास के जिलों को भी मिल सके।

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