इबादत की महक
माहे रमजान में बेपनाह रहमत की होती है बारिश
धमतरी
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खुशनुमा मौसम में माहे रमजान का मुबारक महीना शुरू हो गया है। इस साल भी मुस्लिम
भाई रोजा रखकर खुदा की इबादत में मशरूफ हैं। शहर की जामा मस्जिद समेत विभिन्न
मस्जिदों में विशेष नमाजे तरावीह अदा की जा रही है। उल्मा-ए-दीन फरमाते है कि
रमजान बड़ी बरकतों वाला महीना है। इस महीने खुदा की रहमतों से बंदा मायूस नहीं हो
सकता। अल्लाह तआला जन्नत के दरवाजे खोल देता है।
इस्लाम के पांच फर्जो में से एक रोजा
है। रमजान के पवित्र महीने में मुस्लिम भाई एक महीना तक रोजा रखकर खुदा की इबादत
करते है। पहले रोजे के दिन सुबह ४.५१ बजे पर सेहरी हुई। इफ्तार 6.१९ बजे हुआ। जामा मस्जिद के पेश इमाम
मुफ्ती रहमानी रजा मिस्बाही ने बताया कि रोज़ा अल्लाह और बंदे के दरम्यान तअल्लुक़
का नाम है। ऐसा तअल्लुक़ जो केवल अल्लाह और बंदे के दरम्यान है। बंदा अपने रब के
लिए भूखा-प्यासा रहता है। रब ने कहा- रोज़ा मेरे लिए है। या अल्लाह नमाज़ भी तेरे
लिए है हर इबादत तेरे लिए है, लेकिन
रोज़े के बारे में तूने यह क्यों कहा रोज़ा मेरे लिए है। बंदे ने रोज़ा रख लिया सब
से अलग बैठकर वह दुनिया से छिपकर खा भी सकता है, पी भी सकता है। नहाते हुए मुंह खोल दे पानी
सीधा मुंह में, कोई देखने वाला नहीं, मगर नहीं। मैं मुंह बंदकर देता हूं कि
कहीं पानी मुंह से पेट के अंदर न चला जाए, क्योंकि मैं जानता हूँ कोई मुझे नहीं देख रहा
मगर मेरा ख़ालिक़ मुझे देख रहा है। इसलिए यह बंदे और रब के दरम्यान ख़ास तअल्लुक़
है और रब ने कहा रोज़ा मेरे लिए है! हनफिया मस्जिद के पेश इमाम मौलाना तौहिद आलम
बताया कि ने बताया कि रोजा हर मोमीन पर फर्ज है। इससे ईमान को ताजगी मिलती है। जो
मोमीन रमजान शरीफ में पाबंदी के साथ रोजा रखता है, अल्लाह तआला उस पर बेपनाह रहमत की बारिश करता
है। रोज़ा शहवत को क़ाबू में रखने का ज़रिया है। रोज़ा शहवत को तोड़ता और उसको
क़ाबू करने का हुनर सिखाता है। फिर रोज़ा तक़वा का दर्स देता है। गुनाहों से बाज़
रखने, जुर्मों से बचे रहने और बुराईयों को
दूर करने में किरदार अदा करता है, जिससे
इन्सान परहेजग़ार बनता है।
विशेष नमाजे तरावीह
रमजान के मुबारक महीने में सभी
मस्जिदों में और घरों इबादत की जा रही है। शहर की जामा मस्जिद, हनफिया मस्जिद, मस्जिद गरीब नवाज और मस्जिद मदीना समेत
विभिन्न मदरसों में विशेष नमाज तरावीह की व्यवस्था की गई है। मस्जिदों में इफ्तार
का भी इंतजाम किया गया है। रोजदारों का कहना है कि यह अल्लाह तआला का करम है कि
उन्हें रोजा रखने की शफाहत मिली।