आमापारा में श्रीमद भागवत कथा सुनने के लिए उमडे़ श्रद्धालु

धमतरिहा के गोठ
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संजय छाजेड़ 
धमतरी। पंचमुखी हनुमान मंदिर पास आमापारा में आयोजित भागवत कथा के आठवें दिन कथा वाचिका पलक दुबे ने 24 गुरूओं की महत्ता बताई। परीक्षित मोक्ष की कथा सुनाने के बाद देर शाम को शोभायात्रा निकाली, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। कथा का समापन 18 नवंबर मंगलवार को होगा।
आठवें दिन कथावाचिका पलक दुबे ने भक्तों को श्रीमद् भागवत कथा की महिमा बताते हुए कहा कि प्रभु की भक्ति, साधना व ध्यान लगाने से आनंद व आत्म संतोष की अनुभूति होती है। उन्होंने आगे कहा कि प्रभु को निःस्वार्थ भाव से याद करना चाहिए। प्रभु को याद करते हुए फल प्राप्ति की लालसा नहीं रखनी चाहिए, यह विधान नहीं है। प्रभु को जब भी याद करो तो यही कहो- हे प्रभु आप आनंद पूर्वक हमारे निवास पर पधारो और विराजमान रहे। जब प्रभु आपके घर पर रहने लगेंगे तो वह सब कुछ स्वतः मिल जाएगा, जो आप पाना चाहते थे या जिसकी आपको जरूरत है।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति को ज्ञान जहां से भी मिले ले लेना चाहिए। भगवान की कथा जिसने भी श्रद्धा से सुनी उसके सभी कष्ट, पाप सब दूर हो जाते हैं। दत्तात्रेय भगवान ने कई प्राकृतिक तत्वों, जानवरों और मनुष्यों के आचरणों से ज्ञान प्राप्त कर 24 गुरु बनाए। राजा परीक्षित को तक्षक नाग के डसने के बाद, शुकदेव ने उन्हें सात दिनों तक भागवत कथा सुनाई, जिससे उनका मन भौतिक संसार से हट गया और उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ। कथा के बाद देर शाम को शोभायात्रा निकाली गई, जो बस्ती का भ्रमण किया। इस मौके पर अर्जुन नाग, प्रभा बाई, सरिता बाई, जमुना बाई, ज्योति साहू, मीना बैगा नाग, धन्नू पटेल, जय कुमार, रमेश साहू, मनोज धीवर, गिरीश धीवर, रेखा नाग, शैलेन्द्र नाग, अहिल्या बाई, रामेश्वरी बाई समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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