संजय छाजेड़
धमतरी। विजयादशमी के अवसर पर आयोजित मुख्य कार्यक्रम रावण दहन समारोह में निगम के सभापति श्रीमति कौशिल्या देवांगन को मंच पर नहीं बुलाये जाने से वे काफी आहत हैं। उन्होंने इस संबंध में एक पत्र नगरीय निकाय मंत्री अरूण साव, महापौर रामू रोहरा एवं कलेक्टर धमतरी को प्रेषित कर इस उपेक्षा की जांच एवं भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति नहीं किये जाने की बात कही है। जनप्रतिनिधि के पद की गरिमा के अनुरूप उन्हें मंच पर आमंत्रित किया जाना था जो नहीं किया गया। यह कार्यक्रम प्रतिवर्षानुसार गौशाला मैदान में निगम द्वारा आयोजित किया जाता आ रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि निगम में महिला अधिकारी के होते हुए निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधि की उपेक्षा को लेकर शहर के नागरिकों में काफी नाराजगी देखी जा रही है। इतना ही नहीं निर्वाचित उक्त महिला सभापति को जो वाहन आबंटित है, उसके बदले एक खटारा चार पहिया वाहन उन्हें दिया गया है और आबंटित लग्जरी वाहन में अधिकारी घूम रहे हैं। सभापति को जो वाहन दिया गया है वह कहीं भी बंद हो जाती है, यही नहीं उन्हें सहायक कर्मी भी नहीं दिया गया है। इस तरह महिला जनप्रतिनिधि को महिला अधिकारी ही उपेक्षित और अपमानित कर रही है। निगम के पूर्व सभापति अनुराग मसीह से इस मामले में चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि सभापति के लिये उनके कार्यकाल में बोलेरो वाहन क्रमांक 9500 निगम को मिला है।
नगर निगम के द्वारा वर्षों से रावण दहन का कार्यक्रम गौशाला मैदान में होता आया है जिसकी सारी व्यवस्थाएं निगम द्वारा की जाती रही है। इसमें निगम के द्वारा शहर के गणमान्य नागरिकों, निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाता रहा है जहां शहर की अधिकांश जनसंख्या उपस्थित रहकर इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को आंखों से निहारती है। इस कार्यक्रम में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों, खास विधायक, महापौर, स्पीकर को विशेष रूप से मंच में आमंत्रित किया जाता है। लेकिन पिछले माह रावण दहन के कार्यक्रम में निर्वाचित सभापति(स्पीकर) श्रीमति कौशिल्या देवांगन को जान बूझकर आमंत्रित नहीं किया गया और उन्हें मंच में स्थान नहीं दिया गया जिससे शहर के नागरिकों में खासी नाराजगी देखी जा रही है। भाजपा समर्थित शहरी सरकार में महिला जनप्रतिनिधि की उपेक्षा को लेकर तरह तरह की बातें नागरिकों के मध्य होती आ रही है जिसमें यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा महिलाओं के सम्मान, अधिकार को लेकर कृत संकल्पित है। इसीलिये देश एवं प्रदेश के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर महिला अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। भाजपा का शुरू से यह ध्येय रहा है कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, और इसके साथ ही 35 प्रतिशत महिला आरक्षण निर्धारित की गई है। लेकिन इसके बाद भी नगर निगम धमतरी इन सब बातों को निगम में बैठे दो अधिकारी धत्ता बताकर एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि जो निगम में सभापति, स्पीकर है, उन्हें खटारा वाहन देकर और निगम के कार्यक्रमों में उन्हें आमंत्रित न कर उपेक्षित ओैर अपमानित करने पर आमादा हैं। यही नहीं उक्त सभापति स्पीकर को उनकी सहायता के लिये कोई कर्मी भी नहीं दिया गया हेै जबकि वे निगम क्षेत्र में जनसमस्याओं को सुलझाने में लगातार दौरा करते आ रही हैं। पिछले दिनों एक पार्षद पर हमला होने से इसकी जरूरत महसूस की जा रही है।
प्रोटोकॉल के अनुसार सभापति स्पीकर को ऐसी वाहन उपलब्ध कराई जानी थी जो सर्वसुविधायुक्त हो किंतु उन्हें खटारा वाहन आबंटित की गई है। यह वाहन कहीं भी, किसी भी स्थान पर बंद हो जाती है। जबकि कायदे से इन्हें एक महिला जनप्रतिनिधि होने का लाभ मिलना चाहिये। निगम में अधिकारी लग्जरी वाहनों में घूमते हैं, काम करते हैं। लेकिन निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधि को ऐसी वाहन की सुविधा नहीं दी गई है। जागरूक एवं हमेशा सक्रिय, संवेदनशील महापौर भी इन अधिकारियों की कार्यशैली को गंभीरता से क्यों नहीं ले रहे हैं, यह तो वही जानें। लेकिन उनके होते हुए भाजपा समर्थित शहरी सरकार की सभापति स्पीकर को नियमानुसार सुविधाएं देने में अधिकारी जान बूझकर लापरवाही कर रहे हैं। इसी कारण उन्हें उपेक्षित किया जा रहा है। रावण दहन के मुख्य कार्यक्रम में उन्हें मंच पर भी आमंत्रित नहीं किया गया जिसे लेकर उन्होंने एक पत्र नगरीय निकाय मंत्री, महापौर, कलेक्टर को भी सौंपा है किंतु इस मार्मिक पत्र के अनुसार अब तक इसकी जांच प्रारंभ नहीं हुई है जिससे वे आहत हैं। नगर के नागरिकों ने निगम में चल रही अफसरशाही को लेकर अब आवाज बुलंद करना प्रारंभ कर दिया है। ऐसे जागरूक लोगों का कहना है कि निगम शहर के नागरिकों की पितामह है, और नागरिकों के द्वारा दिये जाने वाले टेक्स से संचालित भी होती है। लेकिन निगम के सभापति को वह सारी सुविधाएं न देकर अधिकारी लग्जरी कार में सफर करते आ रहे हैं, यह एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि का अपमान है। यहां पदस्थ दो अधिकारी की कार्यशैली लगातार चर्चाओं में है जिनके द्वारा निर्वाचित पार्षदों, यहां तक भाजपा समर्थित शहरी सरकार के सभापति, पार्षदों की भी बातों को नहीं मानते और अपनी एकला चलो नीति के चलते सप्लाई, ठेकेदारी स्वयं के विवेक से कर रहे हैं जिससे यहां निर्वाचित पार्षदों में भी खासी नाराजगी देखी जा रही है। इन पार्षदों का कहना है कि जब हमें जनता ने चुनाव जिताया है तो उनकी समस्याओं को दूर करना उनकी पहली प्राथमिकता है। लेकिन अधिकारी उनकी बातों को मजाक के तौर पर लेकर उनका उपहास उड़ा रहे हैं जो संभवत: प्रदेश का पहला मामला है। इस मामले को लेकर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों से दूरभाष पर संपर्क कर उनका पक्ष लिये जाने का प्रयास किया गया परंतु संपर्क नहीं होने के कारण उनका पक्ष नहीं लिया जा सका। वहीं इस मामले पर निगम में सभापति श्रीमति कौशिल्या देवांगन का कहना है कि मुझे जो वाहन उपलब्ध कराई गई है वह कंडम स्थिति में है, कई बार कहीं भी बंद हो जाता है जिसकी जानकारी कमिश्रर सहित महापौर को भी दी जा चुकी है। लेकिन अभी तक मुझे सभापति के लिये आबंटित वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया है।
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