टिप्पर खरीदी में निगम अधिकारियों की खुली पोल

धमतरिहा के गोठ
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संजय छाजेड़

धमतरी। भाजपा शासित शहरी सरकार के होते हुए अधिकारियों की लाल फीताशाही, मनमानी के चलते आम नागरिकों को मूलभूत सुविधाओं के साथ साथ उनकी समस्याओं का निदान नहीं हो पा रहा है। शहर की जनता अपनी समस्याओं को लेकर हाहाकार कर रही है। निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा कर यहां पदस्थ कुछ अधिकारी कमीशनखोरी, भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं। उसके बाद भी नगरीय निकाय प्रशासन मीडिया की सुर्खियां बने इन शिकायतों को नजरअंदाज करते आ रहा है जिसके चलते नागरिक अब कहने मजबूर हैं कि ट्रिपल इंजन की सरकार अब यहां डबल इंजन की सरकार बन चुकी है। इसी वजह से निगम में भाजपा के निर्वाचित पार्षदों को दरकिनार कर यहां अधिकारी का राज कायम हो चुका है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण पिछले दिनों नगर पालिक निगम में जेम पोर्टल के माध्यम दो नग टिप्पर वाहन क्रय किया गया जिसका दर जेम पोर्टल में प्रति वाहन 24 लाख 75 हजार रूपये की दर से 2 नग वाहन क्रय की राशि 49 लाख 50 हजार रूपये की दर से धमतरी स्थित एक फर्म से 20.12.24 को खरीदा गया जिसका बिल दिनांक 21.7.25 है। इसमें व्यापक पैमाने पर अधिकारियों ने धांधली की है। कुल मिलाकर निगम में टिप्पर खरीदी एवं अन्य मामलों में अधिकारियों की भ्रष्टाचार की पोल लगातार खुल रही है वहीं महापौर का दावा न खाऊंगा, न खाने दूंगा... फिसड्डी साबित हो रहा।

 नगर निगम धमतरी में उपरोक्त टिप्पर जेम पोर्टल के माध्यम से 2 नग खरीदी को लेकर जब जानकारी ली गई तो एक अन्य फर्म द्वारा प्राप्त कोटेशन के अनुसार वाहन मॉडल टाटा 407, 8 फिट लंबा डाला वाला प्रति नग की कीमत 12 लाख 66 हजार 41 रूपये एवं मॉडल टाटा 407 गोल्ड 33 सीबीसी 10 फिट लंबा डाला प्रति नग वाहन की राशि 13 लाख 66 हजार 940 रूपये कुल योग 26 लाख 32 हजार 981 रूपये की बताया गया है। जबकि निकाय द्वारा जेम पोर्टल के माध्यम से क्रय किये उक्त दो वाहन की दर राशि 49 लाख 60 हजार रूपये है जिसके अंतर की राशि 23 लाख 17 हजार 19 रूपये अधिक है। आखिर इतने अंतर की राशि से उक्त वाहन को कैसे खरीदा गया। जब इसकी जानकारी सदर उत्तर वार्ड के पार्षद नीलेश लूनिया जो कि स्वास्थ्य विभाग के सभापति एवं मेयर इन काउंसिल सदस्य भी हैं, उन्होंने इस संबंध में जानकारी लेनी चाही किंतु यहां पदस्थ अधिकारियों ने गोलमोल जवाब देकर टरका दिया जिसकी जानकारी श्री लूनिया ने कुलेश सोनी, ईश्वरलाल सोनकर जैसे अपने सहयोगी पार्षदों को देते हुए इसकी शिकायत की तैयारी की और शिकायत प्रस्तुत भी किया है। शिकायत मिलने के बाद यहां पदस्थ दो अधिकारियों को मानो सांप सूंघ गया और जवाब देने में आनाकानी कर रहे हैं। इन दो अधिकारियों की कार्यशैली से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं महापौर रामू रोहरा के न खाऊंगा, न खाने दूंगा के संदेश को दरकिनार करते हुए हम खायेंगे, खायेंगे और खायेंगे, इस तरह का कथन डंके की चोट में किया जा रहा है जिसे लेकर भाजपा पार्षदों में भारी असंतोष उत्पन्न हो गया है। आश्चर्य की बात तो यह है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन काल में निगम में सप्लाई में जिस ठेकेदार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष और भाजपा पार्षदों ने यह दावा किया था कि निगम में भाजपा की सरकार आने पर निगम में भ्रष्टाचार के मामले की जांच कराई जायेगी और दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा। लेकिन आज भी उक्त ठेकेदार करोड़ों की सप्लाई, ठेकेदारी बदस्तूर कर रहा है।

 मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि यहां वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के ठेकेदार द्वारा गुणवत्ताहीन कार्य की शिकायत सत्तापक्ष के पार्षदों द्वारा किये जाने के बाद भी रातोंरात संबंधित ठेकेदार को निगम के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा करोड़ों का भुगतान को लेकर इस बात की चर्चा हो रही है कि शिकायतों के बाद भी करोड़ों का भुगतान करने के पीछे लंबा-चौड़ा कमीशनखोरी प्रमुख वजह बताया जा रहा है। निगम में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लिये बिना ऐसे अधिकारी अपने मनमानी पर लगे हुए हैं। एक अन्य मामले में यहां पदस्थ अधिकारी अपने मुंहलगे ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से 60 एचपी का दो नग मोटर लगभग 19 लाख रूपये की लागत से खरीदी करने की पूरी तैयारी कर ली गई थी। लेकिन ऐन वक्त पर उनका यह उद्देश्य धरा का धरा रह गया और विरोध के चलते उक्त खरीदी को रोकना पड़ा। इस मामले को संज्ञान में लेते हुए महापौर रामू रोहरा ने उक्त आदेश को रोका और एक नग मशीन को मात्र 3 लाख 70 हजार में खरीदी करवाया जिससे शासन को लाखों रूपये का फायदा हुआ। लेकिन एक बात शहर की जनता महापौर रामू रोहरा से पूछ रही है कि ऐसे खरीदी में भ्रष्टाचार करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही आखिर क्यों नहीं हो रही है जबकि आप यह दावा करते हंैं कि न मैं खाऊंगा, न खाने दूंगा। लेकिन निगम के जिम्मेदार अधिकारी आज भी भ्रष्टाचार का खुला खेल जनप्रतिनिधियों के नाक के नीचे किसके संरक्षण में कर रहे हैं। कुल मिलाकर निगम में जिस तरह कमीशनखोरी चल रही है उससे शहर के आम नागरिक मूलभूत सुविधाओं से वंचित देखे जा रहे हैं। साथ ही निर्वाचित पार्षद मन मसोस कर इन अधिकारियों के षडय़ंत्रकारी नीति के शिकार हो रहे हैं। शहर के जागरूक नागरिकों ने जिले के संवेदनशील कलेक्टर अबिनाश मिश्रा से निगम में चल रहे नियम विरूद्ध कार्य कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले लोगों पर कड़ी कार्यवाही की मांग की है। इस पूरे मामले को लेकर निगम कमिश्रर प्रिया गोयल से दूरभाष पर संपर्क कर उनका पक्ष लिये जाने का प्रयास किया गया परंतु उनसे संपर्क नहीं हो पाया जिसकी वजह से उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

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