संजय छाजेड़
मां अंगारमोती माता
धमतरी
वनदेवी
मान्यताओं के अनुसार इस वर्ष नवरात्रि में मां दुर्गा सिंह पर नहीं बल्कि हाथी पर चढ़ कर आई है ,उसी के अनुरूप
आज छप्पन भोग के द्वारा सबके भंडारे भरने वाली माता को रिझाने का प्रयास भक्तों के द्वारा किया है 2 दिन पहले ही जंगली हाथी मंदिर परिसर में देखा गया कहा जाता है मंदिर प्रांगण में बहुत लोगो ने ज्योति जलाने का प्रयास किया पर सफल नहीं हो सके वही दाऊ कृष्ण कुमार गुप्ता ने नवरात्रि में ज्योति कलश स्थापना का संकल्प लिया और दीप जलाकर रात वही संन्यासियों और पुजारियों के साथ ही बिताते जहां कई बार शेर के पंजे के निशान भी स्पष्ट रूप से नजर आए तब से अब तक मंदिर में 5000 से अधिक ज्योति कलश मंदिर में प्रज्ज्वलित होते है माता रानी छोटे बालिका के रूप में विचरण करती है कुछ लोगों ने दर्शन का दावा भी किया है
जिनकी संतान नहीं है माता रानी उनकी झोलिया भरती है और सब के मन की बात सुनने और जानने वाली अपने भक्तों का कष्ट हरने के लिए पेड़ के नीचे ही विराजित है हर साल की तरह इस साल भी जसगीत मातासेवा प्रतियोगिता का आयोजन मंदिर प्रांगण में किया गया ,वरिष्ठ पत्रकार श्री रणजीत छाबड़ा ने कहा कि देवी साधना का यह पर्व आप सभी के जीवन में सुख, शांति और संपन्नता लेकर आए यही मातारानी से कामना है
