सीआईडी के लिये आरक्षित भूमि पर आरईएस विभाग का कब्जा,शासकीय राशि का जिले के अधिकारी कर रहे जमकर दुरुपयोग

धमतरिहा के गोठ
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 संजय छाजेड़ 

धमतरी 19 दिसंबर। राज्य शासन पर आर्थिक भार डालने वाले ऐसे अधिकारी जो शासकीय वाहनों में मटरगश्ति करते हुए देखे जाते हैं। साथ ही साथ शहर के भीतरी इलाकों में भी यातायात का पालन न करते हुए वाहनों को लगाते हैं जिससे प्रतिमाह शासन को हजारों, लाखों रूपये के डीजल का खर्च उठाना पड़ता है। कुछ ऐसे अधिकारी हैं जो शुक्रवार के शाम अपने गृहग्राम जाने के लिये लंबा सफर भी करते हैं और लॉगबुक में शासकीय ब्यौरा दर्शाते हैं। इस तरह शासन को आर्थिक भार के बोझ तले ऐसे अधिकारी दबाये जा रहे हैं। अब जिले में शासकीय योजनाओं के लिये आने वाले फंड को भी संदिग्ध स्थलों पर लगाकर दुरूपयोग कर रहे हैं जिसका जीता-जागता उदाहरण कंपोजिट बिल्डिंग कलेक्टोरेट के बीच में एक नये गार्डन निर्माण से दिया जा सकता है। इससे पूर्व भी 25 फिट के फासले पर नये गार्डन के ठीक सामने एक अन्य गार्डन था, जो देखरेख के अभाव में वीरान सा हो गया है। खबर तो यह भी है कि उक्त स्थल शासकीय उपक्रम के तहत एक अन्य कार्यालय के लिये आरक्षित था। बता दें कि लगभग 15 लाख की लागत से पूर्व में उक्त स्थान पर गार्डन का निर्माण किया गया जो अब देखरेख के अभाव में खंडहर के रूप में तब्दील हो चुका है, इसी के सामने फिर से नये गार्डन का निर्माण किया जा रहा है। इससे पता चलता है कि जिले में शासकीय राशि का अधिकारियों का दुरूपयोग किया जा रहा है।

पूर्ववर्ती सरकार ने द्वितीय एवं तृतीय शनिवार को छुट्टी के रहते हुए महीने के समस्त शनिवार, रविवार को अवकाश घोषित किया है और साथ ही यह भी व्यवस्था दी गई कि अधिकारी, कर्मचारी सुबह कार्यालय पहुंचकर शाम तक अपने दायित्वों का निर्वहन करेंगे। लेकिन देखा जा रहा है कि इसका पालन नहीं हो रहा है। और तो और ऐसे अधिकारी शुक्रवार के शाम अपने गृहग्राम के लिये शासकीय वाहन लेकर निकल पड़ते हैं। ऐसी शासकीय वाहनों में कुछ लोग मटरगश्ति करते हुए भी देखे जा सकते हैं। इन शासकीय वाहनों का उपयोग निजी कार्य में कर लॉगबुक में शासकीय दौरा दर्शाकर निजी कार्य के लिये खर्च किये गये डीजल को समाहित कर उसका बिल शासन के मद में भेजते हैं जिससे प्रतिमाह शासन को लाखों रूपये की हानि उठानी पड़ती है। इस पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी जिस पर है, वे मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रहे हैं। इसी तरह शासकीय राशि का दुरूपयोग विभिन्न शासकीय कार्यों में भी किया जा रहा है। सडक़ निर्माण हो, या बिल्डिंग निर्माण, इसमें भी व्यापक पैमाने पर धांधली की जा रही है जबकि वर्तमान में कलेक्टोरेट एवं कम्पोजिट बिल्डिंग के बीच बनने वाले नये गार्डन जिसकी लागत 10 लाख बताई गई है, उसका निर्माण पिछले दिनों जारी किया गया। उक्त स्थल पर निर्माण कार्य के पूर्व ठैकेदार ने योजना से संबंधित कोई सूचना फलक नहीं लगाया है और शासन के इस आदेश का उल्लंघन कर रहा है।

निर्माण कार्य के संबंध में शासन का स्पष्ट आदेश है कि कार्ययोजना के प्रारंभ के पूर्व स्थल पर योजना से संबंधित संपूर्ण जानकारी मुख्य स्थल पर लगाये जाने के बाद ही निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाये। लेकिन इसका पालन जिले में नहीं हो रहा है जिसे लेकर अधिकारी भी चुप्पी साधे हुए हैं। नवनिर्माणाधीन गार्डन का स्थल शासकीय उपक्रम के लिये आरक्षित है। जानकारी के मुताबिक उक्त स्थल पर सीआईडी का कार्यालय बनना प्रस्तावित किया गया था। लेकिन आरईएस विभाग द्वारा ठेकेदार के माध्यम से उक्त स्थल पर गार्डन बनाया जा रहा है जिसकी कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि इसी के बाजू जो गार्डन है, उसका निर्माण 14.75 लाख की लागत से पिछले वर्ष किया गया था जो देखरेख के अभाव में वीरान हो गया। वहां लगाई गई हरी घांस, छोटे पेड़-पौधे पूरी तरह से मवेशियों के लिये चारागाह बन चुका है। दरवाजा हमेशा खुला रहता है। और तो और पुराने गार्डन में पानी की भी व्यवस्था नहीं थी जिसे देखते हुए शनिवार से सोमवार तक हेंडपंप का कार्य करवाया गया। इसमें लगे मजदूरों ने बताया कि इस गार्डन में पानी की व्यवस्था नहीं थी, इसलिये यह कार्य करवाया जा रहा है। निर्माण कार्य को लेकर विभाग में भी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। पटवारी का कहना है कि उक्त स्थल सीआईडी कार्यालय के लिये आरक्षित था जबकि निर्माण एजेंसी आरईएस विभाग के कार्यपालन अभियंता ने कहा कि पटवारी प्रतिवेदन के आधार पर यह निर्माण कार्य जारी किया गया है। इस तरह कथन कर बिना सोचे समझे निर्माण कार्यों में शासकीय राशि खर्च किया जाना संदेह के घेरे में है। कुछ लोगों ने इस गार्डन की उपयोगिता नहीं है, ऐसा भी कहा है।

जिला पंचायत के पीछे कंपोजिट बिल्डिंग एवं कलेक्टोरेट भवन के समीप निर्माणाधीन गार्डन के संदर्भ में गोकुलपुर पटवारी पारस चंद्राकर से दूरभाष पर चर्चा कर उनसे पूछा गया कि उक्त निर्माणाधीन गार्डन की भूमि किस उपक्रम के लिये आरक्षित है, तो उनका कहना था कि उक्त स्थल सीआईडी विभाग के कार्यालय के नाम पर आरक्षित है, लेकिन आरईएस वाले उसमें अतिक्रमण कर उक्त गार्डन का निर्माण कर रहे हैं जबकि आरईएस विभाग को इसकी जानकारी भी दी गई थी। इधर इस पूरे मामले को लेकर आरईएस के कार्यपालन अभियंता श्री राठौर से दूरभाष पर चर्चा किये जाने पर उनका कहना है कि पटवारी के द्वारा प्रदत्त किये गये नकल नक्शा के आधार पर उक्त गार्डन का निर्माण 10 लाख रूपये की लागत से ठेकेदार के माध्यम से करवाया जा रहा है। आरक्षित जमीन के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। कार्य में लगे ठेकेदार से पूछने पर कि आपने स्थल पर शासन के निर्देशानुसार कार्ययोजना का सूचना बोर्ड क्यों नहीं लगाया, तो उनका कहना था कि कलेक्टर मैडम ने कहा कि काम को जल्द से जल्द कर इसका निर्माण पूरा करें, इसलिये मैं सूचना बोर्ड लगाने में चूक गया हूं। अब मैं उसे लगाऊंगा।

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