संजय छाजेड़
धमतरी। छत्तीसगढ शासन स्वास्थ्य अमला द्वारा पिछले दिनों साढे चार वर्षीय बालिका से बालात्कार के मामले में चिकित्सकों द्वारा बरती गई लापरवाही को लेकर जांच की गई , इसमें कितने चिकित्सकों ने लापरवाही बरती, इसमें कितने चिकित्सक शासकीय और निजी प्रैक्टिस करने वालों का नाम आया है इसका खुलासा तो नही हुआ है अलबत्ता फुलबासन बाई द्वारा 9 दिसबंर 2021 को जिला अस्पताल में पदस्थ डाॅ मधुप के अनुपस्थित होने एवं प्राइवेट मेडिकल का नाम बताकर वहां से दवाई लेने को बाध्य किये जाने को लेकर कलेक्टर को की गई शिकायत पर अब तक कार्यवाही नही किये जाने की चर्चा आम हो रही है। फूलबासन बाई ने अपने आवेदन में बताया था कि आपातकालीन ड्यूटी में डाॅक्टर मधुप कार्यरत थे जब वे अचानक उनका स्वास्थ्य खराब हुआ तो वह दिनांक 9 दिसंबर 2021 की सुबह 6ः30 बजे जिला अस्पताल पहुंची जहां उक्त चिकित्सक उपलब्ध नहीं हुए यहां तक फोन तक नहीं उठाया जिसे लेकर उन्होने जांच की मांग की है।
जिला चिकित्सालय में कुछ चिकित्सकों का बेसमय आना और बिना बताये कहीं चले जाने से जिला अस्पताल में आने वाले धमतरी एवं आसपास के जिलों के मरीजो के लिये परेशानी का सबब बनता जा रहा है, ऐसा नही है कि इसकी शिकायत जिला प्रशासन को नही है। इसकी शिकायत मिलने पर तत्कालीन एवं वर्तमान कलेक्टर ने अस्पताल का औचक निरीक्षण किया जिसमें शिकायत सत्य पाई गई लेकिन कलेक्टर के औचक निरीक्षण को लेकर चिकित्सकों ने कलेक्टर के विरूध्द मोर्चा खोल दिया जिससे चिकित्सकों की हठधर्मिता आज भी जिला अस्पताल आने वाले मरीजों किो दिखाई पड रही है। प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद स्वास्थ्य मंत्री के रूप में एक दबंग एवं सुलझे हुए श्याम बिहारी जायसवाल को इसका प्रभार दिया गया है जिनके द्वारा स्वास्थ्य विभाग में बरती जा रही लापरवाही को लकर सघन अभियान चलाते हुए सीएमएचओ का निर्देशित कर व्यवस्था सुधारे जाने को कहा गया है लेकिन धमतरी जिला चिकित्सालय ऐसा चिकित्सालय है जहां कुछ चिकित्सकों द्वारा मरीजों की सुध लेना छोड़ कर अपने स्वार्थ के लिए ज्यादा समय दिया जा रहा है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण फुलबासन बाई की शिकायत से दिया जा सकता है।
सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल चिकित्सक द्वारा डाॅ एसके मधुप को मरीजों को जिला अस्पताल में उपलब्ध दवाईयां ही लिखने के संबंध में पत्र प्रेषित किया गया जिसकी प्रतिलिपि कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा आवासीय अधिकारी जिला चिकित्सालय को प्रेषित की गई है। जिसमें सिविल सर्जन ने उक्त चिकित्सक को मरीजों को जिला अस्पताल में उपलब्ध दर्वाइयां लिखने का निर्देश दिया है इसी तरह दिनांक 20.07.2022 को भी सिविल सर्जन धमतरी ने डाॅ एसके मधुप को पत्र प्रेषित कर कहा है कि 17 जुलाई 2022 को रात्रिकालीन ड्यूटी संपादितकिया गया उसके अगले दिवस आपका डेऑफ़ होना चाहिए किंतु आपके द्वारा चिकित्सकों की उपस्थिति पंजी में अपने नाम के सन्मुख दोनों पाली में आपका हस्ताक्षर किया गया जबकि आप उक्त दिवस को ड्यूटी में उपस्थित नहीं थे इसी तरह उक्त चिकित्सक द्वारा बिना अवकाश स्वीकृत हुए कभी भी चले जाने की शिकायत लगातार हो रही है इसे लेकर कोई जांच नही होने से उक्त चिकित्सक के हौसले बुलंद हैं। इनका व्यवहार अपने वरिष्ठ चिकित्सकों से सही नही है 2022 में ही समस्त चिकित्सा विशेषज्ञों एवं चिकित्सा अधिकारी की बैठक में अनुपस्थित पाया गया जिसे लेकर भी उक्त चिकित्सक को पत्र प्रेषित कर इस कृत्य पर सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के अंतर्गत कदाचरण की श्रेणी में बताया है।
स्वास्थ्य मंत्री छत्तीसगढ शासन श्री जायसवाल द्वारा आम मरीजों को तत्कालिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने को लेकर कवायद चल रही है वहीं दूसरी तरफ जिला अस्पताल में पदस्थ डाॅ एसके मधुुप के खिलाफ न सिर्फ मरीजों में अपितु चिकित्सकों में भारी रोष व्याप्त है इनके उपर यह भी आरोप है कि शासकीय पर्ची में दवाई लिखकर उसे बाहर के मेडिकल से दवाई लेने के लिये बाध्य किया जाता है। एक अन्य चिकित्सक जो कि अपने दायित्वों से मुंह मोड़कर आने वाले मरीजों को हड्डी रोग से संबंधित ईलाज न कर उन्हे शरीर को मोटा करने एवं मोटे लोगों को पतला करने का टाॅनिक दिया जा रहा है जिसके लिए उक्त हेल्थ ड्रिंक के कंपनी वालों से सांठ-गांठ है। जिला अस्पताल में पिछले दिनों में स्वास्थ्य मंत्री ने जिला अस्पताल को जो सौगात दी है उससे जिलेवासियों में काफी प्रसन्नता देखी जा रही है लेकिन यहां पदस्थ दो चिकित्सकों के व्यवहार से स्वास्थ्य मंत्री केे प्रयास विफल होते नजर आ रहे हैं जिसे लेकर जिले के नागरिकों ने स्वास्थ्य मंत्री से मांग की है कि वे धमतरी में पदस्थ ऐसे चिकित्सक जो अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाही बरतकर अपने स्वार्थपूर्ति में लीन है उन पर फौरी कार्यवाही करते हुए उन्हे जिला अस्पताल से अन्यत्र भेजा जाए।