जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ.मधुप के खिलाफ अनेक गंभीर शिकायतें

धमतरिहा के गोठ
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संजय छाजेड़ 

धमतरी 07 सितम्बर | छग शासन स्वास्थ्य अमला द्वारा आम मरीजों को जल्द से जल्द स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिये अनेकों प्रयास कर रहा है। लेकिन इस विभाग के अधीन कुछ ऐसे चिकित्सक हैं जो शासन के इस प्रयास को विफल करने के लिये शासकीय अस्पतालों में बैठकर बनने वाली पर्ची में निजी मेडिकल की ओर दवाई खरीदने हेतु भेज रहे हैं जिससे शासन के उक्त प्रयास विफल होने के कगार पर है। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण जिला शासकीय अस्पताल से दिया जा सकता है जहां पदस्थ डॉ.एस के मधुप से दिया जा सकता है जो इस कार्य में लीन है। यही नहीं इस चिकित्सक की पदस्थापना के बाद से अनेक गंभीर आरोप लगते आ रहे हैं। लेकिन राजधानी में बैठे स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं जिसके कारण इनके हौसले इतने बुलंद हैं कि वे सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक से भी शालीनता पूर्वक व्यवहार नहीं कर रहे हैं। इस चिकित्सक के खिलाफ अब शहर के जागरूक नागरिक इसकी शिकायत प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय एवं स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल से भी किये जाने की जानकारी प्राप्त हुई है।

्र     बताया जाता है कि 26 अक्टूबर 2020 को एनएचएम के पद पर यहां उन्होंने ड्यूटी ज्वॉइन की। उसके बाद से इनके द्वारा यहां आने वाले मरीजों को जिला अस्पताल की पर्ची में दवाई लिखकर उसे निजी अस्पताल में दवाई लेने के लिये भेजा जाता है जबकि छग शासन स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला अस्पताल में अनेक दवाईयां उपलब्ध रहती हैं। यही नहीं इनके द्वारा मरीजों को ईलाज के उपरांत बाहर बाजार के एक ही मेडिकल से सेटिंग के चलते महंगी दवाईयां क्रय करने के लिये शासकीय ओपीडी पर्ची लिखे जाने को लेकर कार्यालय सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक धमतरी द्वारा 28.8.2021 को पत्र प्रेषित कर निर्देशित किया गया था कि मरीजों को यथासंभव नि:शुल्क सेवाएं प्रदान कर अस्पताल में उपलब्ध दवाईयां लिखी जायें। लेकिन आज पर्यंत सिविल सर्जन के आदेश को धता बताकर यहां आने वाले मरीजों को शासकीय पर्ची में लिखी जाने वाली दवाई बाहर के एक मेडिकल से लेने के लिये बाध्य किया जाता है जिससे मरीजों में खासी नाराजगी है। बाजार से दवाई खरीदी किये जाने को लेकर सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक ने अपने पत्र में कहा कि यदि आप बाहर के मेडिकल से दवाई के लिये मरीज को बाध्य करते हैं तो आपके विरूद्ध कड़ी अनुशासनात्मक कार्यवाही करने हेतु उच्चाधिकारियों को लिखा जायेगा। लेकिन आज तीन वर्ष गुजरने को हेै, इस हिटलरशाह चिकित्सक को अपने अधिकारी के पत्र का पालन करने का होश ही नहीं है।

                जिला अस्पताल में पदस्थ इस चिकित्सक के बारे में यह भी पता चला है कि ये अक्सर अपने चेंबर में नहीं रहते जिसे लेकर कलेक्टर धमतरी के नाम गोकुलपुर निवासी फूलबासन बाई साहू पति ताल्लुकराम साहू ने अपनी शिकायत में यह बात का उल्लेख करते हुए बताया कि 9.12.21 को जब वह सुबह अस्पताल पहुंची तो उस समय डॉ मधुप अपने चेंबर में उपलब्ध नहीं थे। वार्डब्वॉय ने उन्हें फोन लगाया लेकिन डॉक्टर साहब ने फोन नहीं उठाया। उसके पश्चात मेरी पुत्री ने डॉक्टर साहब का नंबर लेकर पुन: फोन लगाया तो उन्होंने कहा कि मैं मॉर्निंग वॉक पर हूं, थोड़ी देर में आ रहा हूं और वे आधे घंटे तक अपने चेंबर में नहीं पहुंचे। इसी बीच मेरी तबीयत ज्यादा खराब हो गई और मैं बेहोश हो गई। फिर जब होश आया तो डॉ मधुप को पाया जिन्होंने मुझे देखा और दवाई दी। कुछ दवाई एक निजी मेडिकल स्टोर से लेने को कहा। इस प्रकार उक्त डॉक्टर की लापरवाही को उसने कलेक्टर धमतरी को लिखकर दिया था जिन्होंने उक्त शिकायत को सीएमएचओ धमतरी को जांच हेतु प्रेषित किया। इसी तरह चंदन साहू पिता रघुवीर साहू ग्राम अछोटा का दुर्घटना केस के तहत जिला अस्पताल में माईनर ओटी में ईलाज हेतु लाया गया जिसे यहां ईलाज नहीं हो सकता कहकर उन्होंने निजी अस्पताल में जाने की सलाह दी। रामबगस सोनवानी पिता रामदयाल सोनवानी निवासी कोडापार 23.12.2022 को शाम 4 बजे जिला अस्पताल में उपचार हेतु कुरूद से धमतरी लाया गया जहां उसकी मृत्यु हो गई। चूंकि उक्त व्यक्ति प्रकरण एमएलसी से संबंधित होने के कारण मृत्यु उपरांत शव का पोस्टमार्टम किया जाना अनिवार्य था किंतु डॉ मधुप  ने शव का बिना पुलिस को सूचित कराये उनके परिजनों को दे दिया गया। यह बात स्वयं वहां पदस्थ चिकित्सक द्वारा कही गई है।

                शासन के निर्देशानुसार यहां पदस्थ चिकित्सकों में डॉ मधुप के अमर्यादित व्यवहार को लेकर लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही है जिसे लेकर सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक एवं कलेक्टर धमतरी द्वारा सीएमएचओ को शिकायत की जांच हेतु पत्र भेजे जाने के बाद भी इन पर कार्यवाही नहीं होना अनेक संदेहों को जन्म दे रहा है। हद तो यह है कि यह चिकित्सक अपनी पदस्थापना के बाद से लगातार अपने अमर्यादित व्यवहार के कारण मरीजों और विभाग में चर्चित हो चुके हैं। इनके बारे में यह भी पता चला है कि जब भी ये अवकाश पर जाते हैं तो अपने अवकाश आवेदन को सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक के द्वारा कलेक्टर के नाम आवेदन लिखकर बिना स्वीकृत हुए चले जाते हैं जबकि नियम यह कहता है कि कोई भी शासकीय अधिकारी, कर्मचारी अवकाश पर जाता है तो उसके आवेदन पर विचार कर उसका अवकाश स्वीकृत किया जाता है और स्वीकृति पश्चात वह छुट्टी पर रवाना होता है। लेकिन यह एक ऐसे अधिकारी हेै जो अपना आवेदन बिना स्वीकृत हुए अवकाश पर चले जाते हैं और वहां से आकर उपस्थिति रजिस्टर में अपने हस्ताक्षर कर शासन से धोखाधड़ी करते हैं। इस मामले को लेकर अस्पताल अधीक्षक ने उन्हें नोटिस भी जारी किया जिसमें उन्होंने आपातकालीन ड्यूटी से नदारद रहने वाले उक्त चिकित्सक को कड़ा पत्र लिखते हुए कहा कि बिना किसी पूर्व सूचना के अथवा अपने उच्चाधिकारी को बिना अवगत कराये रात्रिकालीन ड्यूटी में अनुपस्थित थे जिसके कारण अस्पताल में आये मरीज, ईलाज हेतु भटकते रहे। 27 जनवरी 2024 को भी बिना  सूचना के अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित पाये गये किंतु आप ने उक्त दिवस को अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है जो कि एक गंभीर एवं घोर लापरवाही है। इतनी शिकायतें होने के बाद भी उक्त चिकित्सक पर जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य अमला ने कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जिसके कारण मरीज आज भी इनके अमर्यादित व्यवहार एवं कार्यशैली से खफा हैं। इस संबंध में संबंधित चिकित्सक डॉ.एस.के.मधुप चर्मरोग एवं गुप्तरोग विशेषज्ञ से दूरभाष पर संपर्क कर उनका पक्ष लिये जाने का प्रयास किया गया परंतु उनसे संपर्क नहीं होने की वजह से उनका पक्ष नहीं लिया जा सका।

 

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