जिले में सुप्रजा कार्यक्रम के तहत 916 पंजीकृत गर्भवती महिलाओं को किया जा रहा लाभान्वित

धमतरिहा के गोठ
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संजय छाजेड

धमतरी।जिले में सुप्रजा योजना के तहत आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से गर्भवती महिलाओं की देखरेख किया जा रहा है। गर्भवती महिलाओं के आहार विहार और उसके योग की मुद्राओं की विधिवत जानकारी भी दी जा रही है। वहीं महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनांतर्गत औषधीय पौध रोपण जिला स्तरीय कार्ययोजना के आधार पर तैयार किया गया है। धमतरी, कुरूद, मगरलोड, नगरी विकासखंड के शासकीय उद्यान रोपणी बिन्द्रानवागांव, भाठागांव, राकाडीह, सेमरा में औषधीय पौध का बेल, गुडुची, पारीजात, मंडुकपर्र्णी, प्रियंगु, निर्गण्डी, गिलोय, मरीच, तुलसी, एवं अदरक, अश्वगंधा, हठजोड, पिप्पली, शतावरी, हर्रा, शल्लकी, आंवला, कालमेघ एवं एलोवेरा, काली हल्दी, बेहड़ा महाबला, कटुकी, काम केशर, ब्राम्ही, अडूसा, मुलेठी एवं भुईनीम, काली मिर्च, अगरू, मकोय, गुग्गुल, कपूर सर्पगंधा, लेमनग्रास पुदीना एवं मेथी नर्सरी तैयार किया गया है। इस कार्य के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 में 20 हजार औषधीय पौध उत्पादन कार्य के लिए उद्यानिकी विभाग को राशि 6 लाख 20 हजार रूपये की स्वीकृति दी गई है। भारत सरकार ग्रामीण विकास मंत्रालय के निर्देशानुसार राष्ट्रीय आयुष मिशन द्वारा सुप्रजा योजना के क्रियान्वयन से आंगनबाड़ी केंद्र में गर्भवती महिलाओं को लाभान्वित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। सुप्रजा कार्यक्रम के तहत महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना एवं उद्यानिकी विभाग के अभिसरण से किया जा रहा है। पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश एवं धमतरी जिले में आयुष विभाग द्वारा नवाचार के रूप में सुप्रजा योजना के क्रियान्वयन से 916 पंजीकृत गर्भवती महिलाओं को लाभान्वित किया जा रहा है।

      इस संबंध में जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी  रोमा श्रीवास्तव ने  बताया कि गर्भ संस्कार का उल्लेख प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथों में मिलता है। उत्तम आहार सकारात्मक विचार नियमित व्यायाम गर्भ संस्कार के मुख्य घटक हैं। समाज में उत्तम गुणों से युक्त स्वस्थ संतान के लक्ष्य प्राप्ति हेतु प्रत्येक पुष्य नक्षत्र को संस्थानों में गर्भ संस्कार के सेशन का  आंगनबाड़ी केंद्रों में आयोजन किया जा रहा है, जिसमें गर्भावस्था के दौरान प्रत्येक मास में किन-किन योग प्राणायाम आहार-विहार का उपयोग कब और कैसे किया जाना है, इस विषय पर गर्भवती महिलाओं को जानकारी दी जा रही है तथा  आयुर्वेद चिकित्सकों की देख-रेख में अभ्यास कराया जा रहा है, जिनका गर्भिणी द्वारा अपने घर पर नित्य प्रयोग करने हेतु भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त उन्हें गर्भावस्था में उपयोगी आयुर्वेद औषधियां का बाह्य एवं आभ्यांतर उपयोग जैसे औषधि जलपान स्नान औषधि धारण संबंधी जानकारी भी दी जा रही है। औषधि जड़ी बूटी जैसे-मुलेठी, क्षीरकागोली, देवदारू रक्तचंदन या श्वेतचंदन को गाय के दूध के साथ, शतावरी, कमलनाल, नागकेशर मंजीठ सिद्ध दूध, प्रियगु खस, शतावरी, कमलनाल नागकेशर मंजीठ सिद्ध दूध, मधुर व जीवनीय द्रव्य सिद्ध दूध, कंटकारी क्षीरीवृक्ष नागकेशर, ब्राह्मी गंभारी, बला, गोक्षूर, मुलेठी, चंदन पाउडर, विदारीगंधादि, पृश्नपर्णी सिद्ध घृत, आस्थापन बस्ति, अनुवासन बस्ति, योनिपिचु धारण पोषक तत्वों का काम कर रही है। इन औषधियो का वितरण भी गर्भवती महिलाओं को दिया जा रहा है। इसके साथ ही गर्भिणी तथा गर्भ की मानसिक एवं भावनात्मक स्थिति में सकारात्मक प्रभाव हेतु विविध वेदों एवं आयुर्वेद संहिताओं में वर्णित श्लोक एवं मंत्रों से युक्त संगीत का श्रवण भी करवाया जा रहा है। मां की भावनात्मक तथा शारीरिक स्थिति का सीधा प्रभाव गर्भस्थ संतान पर पड़ता है, इसलिए गर्भ संस्कार गर्भवती महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है।  


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