गुरु शिष्य की परम्परा अनादि काल से चली आ रही है : कविता योगेश बाबर

धमतरिहा के गोठ
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संजय छाजेड़ 
गुरु शिष्य की परम्परा अनादि काल से चली आ रही है भारतीय परंपरा में गुरु का स्थान भगवान के स्थान से भी श्रेष्ठ माना गया है यह बात इन पंक्तियों से चरितार्थ होती है गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपकी गोविंद दियो बताय 

अवसर था गुरुदेव व प्रसिद्ध कवि आदरणीय सुरजीत नवदीप सर जी के जन्म दिवस का उनकी प्रिय शिष्या कविता योगेश बाबर वन सभापति ज़िला पंचायत व प्रदेश अध्यक्ष मराठा महिला प्रकोष्ठ ने इस अवसर पर अपने गुरु को शाल श्री फल से सम्मान कर चरण स्पर्श कर उनको जन्म दिन की बधाई दी व उनके उत्तम स्वास्थ व दीर्घायु होने की कामना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया


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