राष्ट्रपिता ने कुष्ठ रोगियों को मुख्यधारा में जोड़ा - महापौर

धमतरिहा के गोठ
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संजय छाजेड़।

धमतरी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर नगर निगम द्वारा सदर दक्षिण वार्ड स्थित रानीबगीचा गांधी आश्रम में कुष्ठ निवारण दिवस मनाया गया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इस अवसर पर महापौर विजय देवांगन ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कुष्ठरोगियों को समाज की मुख्यधारा में जोडऩे का प्रयास किया था। वे रोगियों की निरंतर सेवा करते थे।  उनकी प्रेरणा से देशभर में कुष्ठ आश्रम बनाया गया। यहां उनकी बसाहट कर इलाज और भोजन की व्यवस्था की गई। आगे कहा कि 37 वर्ष पहले धमतरी में गांधी आश्रम की स्थापना बाबू पंढरीराव कृदत के प्रयास से हुई जहां कुष्ठरोगियों के लिए नि:शुल्क दवाई और भोजन की व्यवस्था की गई। वर्तमान में इस आश्रम में एक भी कुष्ठरोगी नहीं है। सभी स्वस्थ होकर जीवनयापन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुष्ठरोग लाइलाज नहीं है। कुष्ठ रोग का उपचार संभव है। इस अवसर पर प्रतापराव कृदत, डा केएल चंद्राकर, मदनमोहन खंडेलवाल, उषा गुप्ता, केके पेंदरियाए कामिनी कौशिक ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। मौके पर पार्षद राजेश ठाकुर, देवेश चंदेल, शेरखान, डा विजयलक्ष्मी बशिष्ट, अतीश मिश्रा, धनेश सिन्हा, मुकेश साहू, शकील अहमद,नरोत्तम यादव, भूपेश साहू, पायल गोयल, हेमल दोशी,यशोदा चंद्राकर, सलज अग्रवाल, डा अशोकादित्य धुरंधर सहित गांधी आश्रम के सभी रहवासी उपस्थित थे।

      बाबूजी ने अपनी निजी जमीन दान में दी- प्रतापराव कृदत्त कार्यक्रम में पहुंचे पूर्व विधायक स्व बाबू पंढरीराव कृदत्त के पुत्र प्रतापराव कृदत्त ने बताया कि बाबू  जी हमेशा कुष्ठ रोगियों की सेवा में लिप्त रहते थे। 37 वर्ष पहले  बाबूजी ने अपनी निजी जमीन में कुष्ठ रोगियों के लिए रानीबगीचा में  आश्रम बनाया जिसे गांधी आश्रम कहा जाता है। इस आश्रम में दूर.दूर के कुष्ठ  रोगी रहते थे जहां उनका निरूशुल्क उपचार, दवाई और भोजन.कपड़े की  व्यवस्था की जाती थी। उन्होंने बताया कि उस समय कुछ लोग कुष्ठ रोगियों के  उपचार के बहाने धर्मांतरण को बढ़ावा देते थे। लोग धर्मांतरित न हो इसलिए  बाबू जी ने इस आश्रम की स्थापना की। इससे प्रेरित होकर शहर की स्वयंसेवी  संस्थाओं, समाज व धार्मिक संगठनों ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया।



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