संजय छाजेड़
धमतरी। विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के द्वारा भारत निर्वाचन आयोग के तिथी घोषित करने को लेकर सुगबुगाहट चलते रही जिस पर पिछले दिनों भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से 5 राज्यों के विस चुनाव की घोषणा कर दी गई। इस तरह इस पर विराम लग गया। अब चूंकि 7 और 17 नवंबर को दो चरणों में मतदान होना है, उसमें राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा अपने अपने समर्थित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के समक्ष जाकर जातिगत समीकरण के आधार पर टिकिट की मांग की जा रही है। पिछले दिनों भी एक समाज द्वारा टिकिट की मांग की गई जिसे लेकर एक बार फिर प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री जैसे वरिष्ठ नेताओं में अपनी पकड़ बताने वाले नेता के द्वारा अपने समाज को एक टिकिट भी नहीं दिलाई गई जिसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।
आगामी विस चुनाव को देखते हुए अनेक समाज के लोगों द्वारा अपने वरिष्ठ व्यक्ति को टिकिट दिये जाने की मांग की गई है जिसे पार्टी के नेताओं ने गंभीरता से लिया है और इस पर मंथन करने के बाद निर्णय लिये जाने की बात कही है। कुछ समाज के लोगों को तवज्जो नहीं दी जा रही है, इसलिये वे नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। उनकी नाराजगी कुछ हद तक सहीं भी है। विस चुनाव में प्रत्याशी बनाये जाने को लेकर प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री सहित भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ अपनी फोटो प्रचारित करने वाले और यह दावा करने वाले कि मेरी यहां तक पहुंच है। उनके समाज के लोगों द्वारा भी चुनाव लडऩे हेतु प्रदेश के नेताओं से संपर्क किया गया। हद तो यह है कि इस प्रतिनिधि मंडल में मंत्रियों, नेताओं के समक्ष अपनी पकड़ बताने वाले नेता बनाम एलियन का कही अता-पता नहीं रहा और इनके द्वारा अपने समाज के व्यक्ति को एक टिकिट दिलाने के लिये भी इन्होंने कोई पहल नहीं की जिससे इनके समाज में भी इनकी असलियत उजागर हो गई है। जानकारी के मुताबिक उक्त हाई प्रोफाईल नेता द्वारा देश के शीर्ष नेताओं के साथ अपनी फोटो ङ्क्षखचाकर उसे मीडिया में प्रचारित कर यह बताया जाता है कि मेरी पकड़ है। जबकि वास्तविकता यह है कि इनकी कोई पकड़ वहां तक नहीं है। यदि रहती तो वे अपने समाज के लिये एक टिकिट अवश्य उपलब्ध कराते।
बताया जाता है कि इस बड़बोले नेता के वार्ड में पार्षद उपचुनाव हुआ था, उसमें भी उक्त पार्टी के प्रत्याशी को करारी हार का मुंह देखना पड़ा था। इसके अतिरिक्त कांकेर जिले में विद्युत विभाग के कर्मचारियों ने इसी नेता के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कराकर यह आरोप लगाया था कि हमें कई महीने से वेतन नहीं मिला है जिसकी जांच भी हुई थी। खबर तो यह भी है कि इस व्यक्ति द्वारा जिले के कुछ विभागों में टेंडर सप्लाई ऑर्डर प्राप्त किया गया था। एक अधिकारी ने जब इस नेता को काम देने से आनाकानी की तो इन्होंने अखबार में प्रसारित राष्ट्रीय शीर्ष नेताओं के साथ अपनी फोटो को दिखाकर उक्त अधिकारी पर दबाव डालकर यह कार्य हथिया लिया। अक्सर केंद्रीय नेताओं के आगमन पर अपने आप को उनके समक्ष जाकर फोटो खिंचाना और उसे मीडिया की सुर्खियों में प्रचारित करना इनकी आदत सी बन गई है। लेकिन जबसे इनके द्वारा समाज के लिये एक टिकिट भी पहुंच रहने के बाद भी नहीं दिलाये जाने को लेकर काफी नाराजगी देखी जा रही है। हालांकि यह नेता अभी खामोशी अख्तियार किये हुए है। हो सकता है कि चुनाव के साथ ही ये फिर से एक बार अपने को सक्रिय कर ले। गौरतलब रहे कि पंजाछाप इस नेता के आने से भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। यही नहीं इनके आने से अनेक लोगों ने अपने वरिष्ठ नेताओं को इनकी कार्यशैली पर उंगलियां उठाते हुए इसे आगे नहीं करने की बात कही।

