आखिरकार खबर का हुआ असर, सीईओ नगरी को नोटिस जारी,मामला-ग्राम पंचायतों द्वारा करोड़ों की लागत से निर्मित आत्मानंद

धमतरिहा के गोठ
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संजय छाजेड़ 

धमतरी । केंद्र सरकार की राशि का बंदरबांट किस तरह स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय नगरी में किया गया है, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण पुराने भवन को तोड़वाने में लगभग 1 करोड़ का खर्च बताया गया है। ऐसी अनेक त्रुटियां होने के बाद भी जिले के तत्कालीन कलेक्टर ने कोई संज्ञान नहीं लिया। खबर है कि इस निर्माण में उनके रिश्तेदार जो कि ग्राम पंचायत से जुड़े हुए हैं, उनकी भी महती भूमिका है। खबर के मुताबिक इस समूचे त्रुटिपूर्वक कार्य के लिये ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत नगरी के पद पर पदस्थ कर दिया गया है, जो अब तक अपने पद पर बने हुए हैं। यह क्षेत्र नगर पंचायत नगरी के अधीन आता है, इससे कार्य न करवाकर 20 किमी दूर स्थित ग्राम पंचायतों को निर्माण एजेंसी बनाया गया। ग्राम पंचायतों के अधिकार क्षेत्र में अधिकतम 20 लाख रूपये तक ही निर्माण कार्य कराने का अधिकार है। लेकिन इन पंचायतों के द्वारा इन कार्यों के लिये 15-15 फाइलें बनाई गई हैं जिसके तहत प्रत्येक पंचायत को 2 करोड़ रूपये से अधिक का कार्य कराने का नियम विरूद्ध आदेश कराया गया है।

प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय के निर्माण को लेकर करोड़ों रूपये के कार्य स्कूल भवन निर्माण हेतु किये गये जहां राज्य शासन के विभिन्न विभागों के अधिकारियों की देखरेख में यह भवन बनकर तैयार हुआ है किंतु छग का यह प्रथम निर्माण कार्य होगा जहां ग्राम पंचायतों के द्वारा करोड़ों रूपये के कार्य नियम विरूद्ध कराया गया है। हद तो यह है कि नगरी ब्लॉक में अनेक ऐसे रिक्त स्थल पड़े रहने के बाद भी स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय की स्थापना अति प्राचीन श्र्रंृगी ऋषि भवन को तोडक़र निर्माण करवाया गया। उक्त पुराने स्कूल भवन को तोडऩे के नाम पर बिना निविदा आमंत्रित किये, नियम कानून को बलाये ताक में रखकर ग्राम पंचायतों से उक्त कार्य करवाया गया और लगभग 1 करोड़ रूपये की राशि खर्च कर दी गई। इस कार्य में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत धमतरी की विशेष भूमिका बताई जाती है जिसकी शिकायत राजधानी रायपुर में की गई थी। शिकायत के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन द्वारा जनपद पंचायत सीईओ नगरी लोकनाथ पटेल को व्यक्तिगत नोटिस जारी किया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह भी पता चला है कि जनपद सीईओ नगरी को लगातार नोटिस जारी होने के बाद भी ये उच्च कार्यालय में उपस्थित नहीं हो रहे हैं जिससे इनकी हठधर्मिता का पता चलता है। उल्लेखनीय रहे कि उक्त स्कूल निर्माण प्रारंभ होने से लेकर अंत तक नियम विरूद्ध हो रहे कार्यों को लेकर अनेकों बार समाचार प्रसारित कर शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया था।

स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय को लेकर प्रदेश सरकार ने संबंधित क्षेत्रों को करोड़ों रूपये की राशि आबंटित की थी जिसके आधार पर उस क्षेत्र के कलेक्टर ने संबंधित निर्माण एजेंसियों के द्वारा ऐसे कार्य को कराये जाने का आदेश दिया था और निर्माण एजेंसी के तकनीकि जानकारों द्वारा ऐसे भवनों का निर्माण किया गया। लेकिन नगरी ब्लॉक अंतर्गत नवनिर्मित स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय भवन का निर्माण कार्य किसी तकनीकि जानकारों के बजाय ग्राम पंचायत के सरपंचों के द्वारा करवाया गया है जिन्हें खर्च करने का अधिकार मात्र 5 हजार रूपये है परंतु इनके द्वारा लाखों रूपये की राशि आहरित की गई है। इसके पीछे मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत नगरी का महत्वपूर्ण रोल माना जा रहा है। इस निर्माण को लेकर क्षेत्र की जनता ने काफी विरोध किया था और पूर्व में जिले के वरिष्ठ अधिकारी को शिकायत कर निर्माण कार्यों को आरईएस, लोनिवि, जल संसाधन विभाग जैसे विभागों के तकनीकि जानकारों अर्थात इंजीनियरों से कराये जाने की मांग की थी। लेकिन इन सबकी बात को नजरअंदाज करते हुए यहां पदस्थ एक अधिकारी द्वारा ग्राम पंचायतों के सरपंचों से ही यह कार्य कराया गया जिसके पीछे इस वरिष्ठ अधिकारी के रिश्ते में साला लगने वाले व्यक्ति को लाभ पहुंचाना मात्र था। नगर पंचायत क्षेत्रांतर्गत उक्त स्कूल भवन के निर्माण को ग्राम पंचायतों से बिना निविदा आमंत्रित किये करवाया गया है।

बताया जाता है कि जब उक्त स्कूल भवन निर्माण के लिये श्रृंगि ऋषी स्कूल भवन को तोड़ा जा रहा था, उस समय भी बहुत से लोगों द्वारा इसका घोर विरोध किया गया जिनकी नहीं सुनी गई और अपनी मुर्गी की एक टांग की तर्ज पर ग्राम पंचायतों के सरपंचों से यह कार्य संपादित कराया गया। यहां यह बताना भी जरूरी है कि पूर्व में इस भवन निर्माण की स्वीकृति 4 करोड़ रूपये की बताई गई थी। लेकिन सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार पुराने भवन के डिस्मेंटल और नये भवन के निर्माण में लगभग 10 करोड़ रूपये का खर्च बताया गया है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत नगरी द्वारा सरंपचों के माध्यम से कराये इस कार्य के संबंध में किसी प्रकार जांच नहीं की गई जबकि यह तयशुदा बात है कि ऐसे निर्माण कार्यों के मिलने पर ग्राम पंचायतों में बैठकें आयोजित की जाती हैं और सामान्य सभा की बैठक लेकर प्राप्त कार्यों के संबंध में चर्चा कर उसका अनुमोदन किया जाता है किंतु इस कार्य में संबंधित पंचायतों में ऐसी कोई बैठक आयोजित नहीं हुई। निर्माण एजेंसी के रूप में ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने यह कार्य को लेकर अपने पंचों, उपसरपंचों से कोई राय-मशविरा नहीं किया और जनपद पंचायत के अधिकारी के निर्देश पर सारा कार्य पूर्ण करा लिया गया।

सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार पुराने श्रृंगि ऋषी भवन को तोडऩे के लिये अनेकों बार वर्क ऑर्डर जारी किया गया और सीएसआर फंड से करोड़ों रूपये की राशि डिस्मेंटल कार्य में लगाई गई जबकि उक्त राशि का उपयोग डुबान क्षेत्र में विकास कार्यों के लिये किया जाना था। उक्त भवन निर्माण में जिस प्रकार जनपद पंचायत के सीईओ द्वारा घोर लापरवाही बरती गई है, नियम विरूद्ध कार्य कराये गये हैं, उसे क्षेत्र की जनता लगातार जांच की मांग करते आ रही है। लेकिन सीईओ के ऊपर जिले में पदस्थ एक पूर्व अधिकारी का वरदहस्त होने के कारण वे बिंदास होकर आज तक जनपद पंचायत में पदस्थ हैं। खबर है कि इनके विरूद्ध जांच का आदेश जारी हो चुका है जिससे नगरी क्षेत्र के लोगों में एक आशा की किरण देखी जा रही है। इनका कहना है कि उक्त स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय निर्माण में जिस प्रकार सारे नियमों को बलाये ताक रखते हुए कार्य कर कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से ऐसा कार्य किया गया है, उसकी जांच में सारे तथ्य खुद ब खुद सामने आ जायेंगे। ऐसे जागरूक लोगों ने छग शासन के वरिष्ठ अधिकारियों से तत्काल जांच कर इसमें संलिप्त लोगों पर नियमानुसार कार्यवाही किये जाने की मांग भी की है। इस संबंध में जनपद पंचायत सीईओ नगरी श्री पटेल से दूरभाष पर संपर्क करने पर उनका तर्क था कि हां मुझे नोटिस प्राप्त हुई है, जिसका जवाब मैंने 6 अक्टूबर को प्रेषित कर दिया है।

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