आरक्षण और जलक्षेत्रों में पूर्ण अधिकार के लिए मछुआरा समाज ने जमकर बोला हल्ला

धमतरिहा के गोठ
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संजय जैन 

धमतरी | मछुआरा समाज ने अजजा वर्ग में पुन: बहाली की मांग को लेकर अब आर-पार की लड़ाई में कूद गए है। धमतरी के गांधी मैदान में जंगी धरना-प्रदर्शन कर कांग्रेस-भाजपा दोनों ही राजनीतिक दलों पर मछुआरों की उपेक्षा का आरोप लगाते कहा कि प्रदेश में 11 फीसदी आबादी के बाद भी मछुआरा समाज को राजनीतिक भागीदारी नहीं मिल रही। आदिवासी वर्ग का आरक्षण को पुन: बहाल करने तथा जलक्षेत्र में पूर्ण अधिकार की मांग को लेकर जमकर हल्ला बोला।

     गुरूवार को 5 अक्टूबर को गांधी मैदान में आयोजित मछुआरों के वृहद रूप में धरना देकर प्रदर्शन में धीवर, निषाद, केंवट, कहार, मल्लाह, भोई आदि शामिल हुए। आदिवासी कश्यप समन्वय समिति के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बाबा मार्तंड (कोरिया) ने कहा कि मछुआरा मांझी समुदाय के तहत आने वाले धीवर, निषाद, केंवट, कहार, मल्लाह, भोई आदि समानार्थी जनजातियों को वर्ष 1950 तक अनुसूचित जनजाति वर्ग में रखा गया था। शासन के राजपत्रों में प्रमाणित है। लेकिन 1950 के बाद षडय़ंत्रपूर्वक मछुआरा समुदाय के समस्त जनजातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में डाल कर उन्हें आरक्षण से वंचित कर दिया गया। इसकी पुन: बहाली की मांग को लेकर बीते 75 सालों से मछुआरा समुदाय संघर्षरत हैं। मछुआरा समाज अब कांग्रेस-भाजपा के बहकावे में आने वाला नहीं है।

      मछुआरा नेता रामकृष्ण धीवर, परमेश्वर फूटान, मोतीलाल हिरवानी, सुखऊ राम निषाद, गणेशराम निषाद, होरीलाल मत्स्यपाल तथा महिला नेत्री संध्या हिरवानी ने कहा कि कांग्रेस-भाजपा राजनीतिक दलों ने बार- बार मछुआरा समाज को झूठा आश्वासन देकर समाज का वोट लिया है, लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्हें भूला दिया गया। इससे छत्तीसगढ़ प्रदेश के 35 लाख मछुआरा समाज में बेहद आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने बस्तर से लेकर सरगुजा तक मछुआरा समाज को एक मंच से संघर्ष की प्रशंसा करते हुए कहा कि शुरू से ही मछुआरा समाज आदिवासी है, लेकिन लिपिकीय त्रुटि के चलते इसके लाभ से आज वंचित हो गए। इस त्रुटि को सुधार कर फिर से आदिवासी आरक्षण का लाभ दिलाया जाए। सभा को मछुआरा नेता भीमसेन तारक, नेहरू निषाद, लतखोर राम धीवर, संतरी निषाद, गूंजा निषाद, भोलाराम निषाद, अंजोर सिंह निषाद, चंदूलाल निषाद ने भी संबोधित किया। धरना के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा गया। धरना-प्रदर्शन में नर्मदा जगबेहड़ा, सोहन धीवर, फिरोज हिरवानी, कृष्णा हिरवानी, नारायण निषाद, भुवन लाल धीवर, संगीता निषाद, पंचराम धीवर, मोहित तारक, सुरेश निषाद, राम निषाद, शैलेन्द्र नाग, अनिल निषाद, यशवंत कोसरिया, दिलीप धरमगुड़ी, भगवानदीन मछेन्द्र, सोनू नाग, सावित्री सपहा, शीला धीवर, धृति हिरवानी, सुनील निषाद, सियाराम ढीमर, तु़लसीराम ढीमर, महेश मिस्त्री, शिवकुमार धरमगुड़े, हेमूराम धीवर, पूर्णिमा निषाद, मधु निषाद, फगनूराम, जितेद्र ओझा, रिखीराम तारक, जुगनूराम धीवर समेत बड़ी संख्या में समाजजन जुटे हुए है।

जलक्षेत्र में मांगा पूर्ण अधिकार

मछुआरा समाज नई मछुआ नीति में ठेकेदारी प्रथा को बंद कर वापस मछुआरा समितियों को लीज पर देने, दोहरा आडिट के नियम को समाप्त करने, जलक्षेत्रों को जन्मजात मछुआरा समुदायों के लिए आरक्षित करने की मांग की जा रही है। भूमिहीन मत्स्य पालकों को तालाब खनन के लए भूमि नि:शुल्क उपलब्ध कराने, नीट-मात्स्यिकी कालेजों, इंजीनियरिंग, जेई एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मछुआरा समाज को आबादी के अनुुपात में सीट आरक्षित करने की मांग शामिल है।

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