संसाधनों का अभाव तथा फंड की कमी से दम तोड़ रही है निगम का स्वच्छता अभियान,सेवा,जतन, सरोकार के लक्ष्य नही होगी पूरी

धमतरिहा के गोठ
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संजय जैन 

धमतरीनगर निगम स्वच्छता रैंक में कभी अंबिकापुर के बाद छत्तीसगढ़ में दूसरे नंबर पर पहुंच गया था लेकिन पिछले 4 वर्षों में इस अभियान को किसकी नजर लग गई कि अब वह अब लगातार पिछड़ता ही जा रहा है । वर्तमान में स्थिति इतनी खराब है कि स्वच्छता को गति देने वाले संसाधनों की कमी तथा फंड के अभाव के चलते यह जनहितकरी अभियान दम तोड़ रही है । शहर के सड़कों में गंदगी पसरा हुआ है, धूल से दुकानों के व्यापारी तथा राहगीर त्रस्त है, नालिया बजबजा रही है जिससे कभी भी डेंगू मलेरिया जैसे संक्रमित बीमारियों का खतरा हर पल बना हुआ है अब तो आलम यहां है कि वार्ड के जनप्रतिनिधि जनता को मुंह दिखाने से बचते हैं।

        निगम का स्वच्छता विभाग भगवान भरोसे चल रहा है । स्वच्छता के कार्यों को आगे बढ़ाने के महत्वपूर्ण अंग 32 ऑटो टिपर में 16 चालू है बाकी बंद पड़े हुए हैं जिसमें छोटा-मोटा काम है लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसे बनाया नहीं जा पा रहा है अमूमन यही स्थिति चार जेसीबी मशीन में से तीन खराब पड़ी हुई है दो बड़े टिप्पर 407 में से एक टिप्पर शोरूम में 4 महीने से बंद पड़ा है लेकिन पैसा पेमेंट ना होने के कारण उसे लाया नहीं जा पा रहा है मात्र 7 ट्रैक्टरों ने निगम के स्वच्छता की लाज बचा कर रखी है । स्वच्छता को संपन्न करने के महत्वपूर्ण हथियार झाड़ू खरीदने के लिए भी निगम के पास पैसे नहीं है उसकी व्यवस्था भी स्वच्छता कर्मचारी अपने जेब के पैसे से करते हैं इसलिए विपक्ष के पार्षदगणों द्वारा शहर वासियों तथा व्यापारी भाइयों से अपील की है कि निगम हित में झाड़ू का दान करें । ऐसे में नगर की एक लाख के करीब रहने वाली जनता तथा 40 वार्ड के सफाई व्यवस्था की परिकल्पना नहीं की जा सकती है इसके लिए दोष किस पर निर्धारित किया जाएगा।

      कभी नगर निगम में सभापति के रूप में स्वच्छता का पर्याय बने राजेंद्र शर्मा जो स्वयं अलसुबह शहर सफाई विभाग के कर्मचारियों के साथ मिलकर स्वच्छता को एक नई दिशा देते हमेशा दिखाई देते थे वे कहते हैं कि जब तक हम जनप्रतिनिधि शहर को अपने घर की तरह तथा जनता को अपने परिवार का सदस्य मानकर स्वयं सड़कों एवं मोहल्ले में उतरकर काम नहीं करेंगे तब तक निगम के साथ न्याय नहीं कर सकते और तभी व्यवस्था में सुधार होगा जिसका भाव वर्तमान निगम की सत्ता में स्पष्ट देखने को मिलता है। दूसरी और निगम के नेता प्रतिपक्ष नरेंद्र रोहरा ने कहा है कि निगम के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि तथा प्रशासनिक अधिकारी यह समझ ले की ऑफिस के ए.सी. चेंबर से स्वार्थ तो साधा जा सकता है, कमीशन तो भरपूर वसूली की जा सकती है लेकिन शहर कभी नहीं चलाया जा सकता।

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