नगर निगम ने 2700 रूपया का डस्टबिन 7000 रूपये मे खरीदा, स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की पूर्व सभापति ने किया मांग

धमतरिहा के गोठ
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संजय जैन 

धमतरीनगर निगम के पूर्व सभापति राजेंद्र शर्मा ने निगम के स्वच्छता विभाग द्वारा डस्टबिन खरीदी, जिसके कारण नगर निगम की किरकिरी हो रही है पर प्रश्न चिन्ह उठाते हुए स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग की है। गौरतलब है उक्त निगम द्वारा खरीदा गया डस्टबिन को 7000 रूपये लगभग मे 18 जीएसटी जोड़कर  खरीदना बताया जा रहा है,जबकि वास्विकता मे ऑनलाइन खरीदी में यही डस्टबिन का रेट 2700रुपया जीएसटी के जोडकर पर पीस निर्धारित करते हुए चार पीस लेना अनिवार्य बताया गया, जिसमें पैडल तथा चक्का भी लगा हुआ है। साथ ही यदि बाजार में दुकानों के माध्यम से खरीदी किए जाने पर 120 लीटर का यही डस्टबिन 2500 रूपया मे जीएसटी जोड़कर प्रचलित दर पर उपलब्ध है जबकि 60 लीटर का डस्टबिन का रेट 2300 रूपया निर्धारित है। इसके अलावा केंद्र शासन (केंद्र प्रवर्तित योजना)स्वच्छ भारत मिशन के तहत 15वें वित्त की राशि से स्वच्छता से संबंधित जितनी भी सामग्री खरीदी जाएगी वह निर्धारित जीम पोर्टल से खरीदी के आदेश का पालन करते हुए उसी मे खरीदे जाने की बाध्यता, सहित और भी अन्य खरीदी स्रोतों पर उक्त डस्टबिन का मूल्य अलग-अलग मॉडल के आधार पर 2500 रूपये से 2900 रूपया के बीच में ही निर्धारित है इस प्रकार अधिक दाम में खरीदी कर नगर निगम को आर्थिक रूप से क्षति पहुंचाई गई है जो की प्रथम दृष्टयाआर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है।

       नगर निगम द्वारा भी खरीदी में प्रदर्शित नहीं बरती गई है नगर निगम अधिनियम में निहित प्रावधानों के तहत क्रय नियम में कोई भी सामग्री बाजार के प्रचलित मूल्य के आधार पर तीन कोटेशन में सबसे कम दर वाले को या फिर प्रथम निविदा में अधिकतम तीन निविदा फार्म तथा द्वितीय निवीदा मे एकल निविदा फार्म पद्धति को स्वीकृति दिया जाना है, लेकिन कहा जा रहा है कि क्रय समिति द्वारा भी बाजार दर का वास्तविक समतुल्य मूल्यांकन नहीं किया गया है,वही ऑनलाइन खरीदी की समतुल्य व्याख्या भी नहीं की गई है इस प्रकार यह आर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है जिसके लिए विपक्ष आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में शिकायत दर्ज करने की तैयारी कर रहा है।

       उक्त खरीदी के संबंध में पूर्व सभापति राजेंद्र शर्मा ने कहां है कि नगर निगम पहले ही आर्थिक दुर्दशा के दौर से गुजर रहा हैं ऊपर से नियम विरुद्ध तथा जिसकी उपयोगिता नहीं है ऐसी सामग्री को खरीदी करना नगर निगम के आर्थिक हित को कुठाराघात करने के जैसा है ऐसी अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार लोगों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करना चाहिए नहीं तो निगम हित के साथ हम अन्याय करेंगे।

 छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियमो का डस्टबिन खरीदी में पारदर्शिता का पालन न कर किया खुल्लम-खुल्ला उलघंन

     सामग्री खरीदी हेतु छत्तीसगढ़ शासन द्वारा भंडार क्रय नियम 2002 बनाया गया है तथा सीआईडीसी भी इन्हीं नियमों के अंतर्गत शासित होती है निगम द्वारा डस्टबिन खरीदी में इन नियमों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन किया गया है क्योंकि पहले ही नियम में खरीदी है तो परिशिष्ट एक एवं दो में जिन सामग्रियों की सूची दी गई है उनमें डस्टबिन शामिल नहीं है इसलिए इसका निविदा के नियमों के अनुसार किया जाना चाहिए था जिसमें नियम4.1 के अंतर्गत डस्टबिन का खरीदी से पूर्व तकनीकी विशेषज्ञ से क्वालिटी संबंधित मापदंड का निर्धारण किया जाना था जिसका पालन नहीं किया गया है।वही नियम4.33 मे यह अनिवार्य प्रावधान किया गया है कि 5 लाख से 10 लाख के बीच की खरीदी में प्रादेशिक स्तर के तीन प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में खरीदी संबंधित निविदा का प्रकाशन किया है जिसका भी पालन नहीं किया गया। इसी प्रकार निविदा को इंटरनेट पर बुलाई जानी थी तथा इसी में खोला जाना था यह मापदंड का भी उल्लंघन हुआ है साथ ही यह भी स्पष्ट रूप से कह दिया जाना था कि डस्टबिन खरीदी में सिर्फ सी.आई.डी.सी. के रेट को ही स्वीकार किया जाएगा ताकि विवाद की स्थिति निर्मित ना हो।


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