संजय जैन
*धमतरी अंचल के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व श्री नत्थुजी राव जगताप की लाडली और स्व श्री भोपाल राव जी पवार की धर्मपत्नी त्याग, साधना, वात्सल्य, ममता की प्रतिमूर्ति पूज्य दाई(दादी)जी जिन्होंने महात्मा गांधी जी के धमतरी मराठा पारा स्थित उनके निवास में मात्र दस वर्ष की आयु में स्वयं अपने हाथों से माला बनाकर पहनाया था, और गाँधी जी ने स्नेह भरी दृष्टि से ऊनके सर पर हाथ फेरकर आशीर्वाद दिया था, दाई जब भी आज़ादी आंदोलन के किस्से सुनाया करती उनकी आँखें चमक जाती गांधी नेहरू शास्त्री पटेल सहित रविशंकर शुक्ल सुंदरलाल शर्मा की कहानियांबड़े गर्व के साथ और बताती, आजादी के दीवानों के लिए रहने खाने का इंतजाम उनके पिताजी नत्थू जी राव उन्ही पर छोड़ देते, जिसे बड़े अभिमान और गौरव की भावना के साथ वो निभाती,, विवाह भी हहुआ तो स्वतन्त्रता सेनानी से, विवाह के बाद भी एक बड़े मालगुजार की बेटी और दूसरे मालगुजार के यहाँ की बहू होनेके बाद भी बिना किसी अहंकार के घर आने वाले हर छोटे बड़ो का ख्याल रखना,बड़े सामूहिक परिवार की जिम्मेदारी सम्हालते संहालते उन्हें पता ही नहीं चला कि धीरे धीरे वो सभी आने जाने वालों और नाते रिश्तेदारों की दाई बन गयी, जिसके कारण हम सब भी उन्हें दादी की बजाय दाई पुकार कर अपने हक की ममता छीन लेते थे