धमतरी 1 जून। शासन, प्रशासन के नजर में रेल्वे की जमीन की जानकारी जरूर है, लेकिन एक ओर इसे रेल्वे की जमीन भी कहा जा रहा है वहीं दूसरी ओर न सिर्फ निगम में बैठे जनप्रतिनिधि द्वारा भूमि के कुछ भाग पर कब्जा किया गया है जिसका विरोध भी वार्डवासियों द्वारा किया गया है, इसके बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई जिसके चलते वहां के निवासियों में आक्रोश पनप रहा है जो कभी भी विस्फोटक रूप ले सकता है। अब तो रेल्वे की इस भूमि में बड़े-बड़े मकान भी बनाये जा रहे हैं। निगम एक ओर यह कहता है कि यह रेल्वे की भूमि है वहीं दूसरी ओर खसरा नंबर 161 पर भवन निर्माण की स्वीकृति भी दी जा रही है। इस तरह विरोधाभासी कथन को लेकर शहर में चर्चाओं का बाजार गर्म है। पूर्व कलेक्टर रजत बंसल द्वारा इस मामले को लेकर रेल्वे विभाग को भी रेल्वे की जमीन पर हो रहे अवैध निर्माण एवं अतिक्रमण को लेकर उचित कार्यवाही किये जाने को लेकर पत्र प्रेषित किया था। लेकिन रेल्वे विभाग भी कार्यवाही के मूड में नहीं है। इसीलिये अब तक ऐसे लोगों पर कार्यवाही नहीं की जा रही है।
मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि लाल बगीचा स्थित खसरा नंबर 159, 160 की भूमि पर निगम में बैठे जनप्रतिनिधि द्वारा वार्डवासियों के विरोध के बावजूद वहां बाऊंड्री मारकर रेल्वे की भूमि को कब्जा कर लिया गया है जबकि इसके आगे स्थित भूमि को बकायदा एक पार्षद द्वारा बेचा भी गया है। लाल बगीचा स्थित खसरा नंबर 159 की भूमि पर जब बाऊंड्री वॉल करवाई जा रही थी तो उक्त स्थल पर अनेक वार्डवासियों ने पहुंचकर इसका भारी विरोध किया था। इनका कहना था कि उक्त स्थल पर गड्ढानुमा तालाब निर्मित था जिस पर गर्मी के दिनों में वार्डवासी अपनी निस्तारी का काम करते आ रहे थे। यहां के निवासियों ने यह भी बताया कि उक्त भूमि पचासों वर्ष से खुली भूमि रही है। लेकिन पिछले वर्ष से इस भूमि पर चहलकदमी शुरू हो गई है और इसी बीच निगम में बैठे निर्वाचित जनप्रतिनिधि द्वारा वहां पहुंचकर अपना हक बताया गया, जो वार्डवासियों के गले के नीचे नहीं उतर पाया और इनका भारी विरोध निरंतर जारी रहा। आज भी इसका विरोध हो रहा है। लेकिन जिला प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। वार्डवासियों का कहना है कि जब निगम में बैठे लोग ही अतिक्रमण करने का बीड़ा उठा लें तो उस शहर का भगवान ही मालिक है। उल्लेखनीय रहे कि उक्त स्थल पर तो उक्त जनप्रतिनिधि द्वारा कब्जा किया ही गया है इसके अलावा वहां स्थापित हनुमान जी की मंदिर के बाजू एवं पीछे के खुले स्थल को भी कब्जा करने से पीछे नहीं रहा जिसे लेकर भी भारी आक्रोश है।
खसरा नंबर 159, 160, 161 रेल्वे की भूमि के रूप में शासकीय अभिलेखों में दर्ज है और यह जानकारी शासन, प्रशासन को भी है। पटवारी रिकॉर्ड के अनुसार सारा सिस्टम चलता है और इस रिकॉर्ड में भी रेल्वे के नाम पर यह भूमि दर्ज है जिस पर लगभग 500 से 600 लोगों ने अवैध कब्जा कर पक्के मकान बना लिये हैं। वर्तमान समय में भी भवन निर्माण का कार्य बदस्तूर जारी है। इन अतिक्रमणकारियों में कुछ शासकीय अधिकारी, कर्मचारी, ठेकेदार, भूमाफिया का भी आधिपत्य जमा हुआ है। पूर्व कलेक्टर रजत बंसल के द्वारा रेल्वे विभाग को लिखे गये पत्र के अनुसार ऐसा माना जा रहा था कि रेल्वे विभाग इस भूमि का सीमांकन कर वहां निर्मित मकानों पर तोडफ़ोड़ करेगा और जो लोग मकान बनाने के लिये जमीन अधिग्रहण किये हैं उन पर बेदखली की कार्यवाही करेगा। लेकिन इतने वर्ष गुजर गये, रेल्वे विभाग ने उक्त खसरा नंबर की भूमि को सुरक्षित करने के लिये कोई बीड़ा नहीं उठाया है। इसी वजह से निगम में बैठे एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि द्वारा विशालकाय भू-भाग पर कब्जा कर लिया गया है। वार्डवासियों का कहना है कि यह जमीन को सुरक्षित करने कभी भी कोई भी व्यक्ति नहीं आया और अब निर्वाचित जनप्रतिनिधि द्वारा अपना दावा ठोका जाना और उसमें कब्जा करना नियमानुसार गलत है। निगम में उक्त जनप्रतिनिधि के लापरवाही के चलते ही शहर में बेलगाम भवन निर्माण हो रहे हैं। जोधापुर से रूद्री रोड तक ऐसे सेैकड़ों मकान कृषि भूमि में बन गये हैं जिनमें से कुछ को निगम द्वारा अनुमति देने की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन अधिकांश ऐसे मकान हैं जो बिना नक्शा पास कराये धड़ल्ले से निर्माण किये जा रहे हैं।
बताया जाता है कि पिछले लंबे समय से जब धमतरी जिला बना तबसे लेकर अब तक भूमाफियाओं, अतिक्रमणकारियों द्वारा व्यापक पैमाने पर शासकीय भूमि पर अतिक्रमण प्रारंभ कर दिये थे। आज स्थिति यह है कि ऐसे अतिक्रमण के चलते वर्षा ऋतु में बरसाती पानी की निकासी सहीं ढंग से नहीं होने के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर घुटने तक पानी रहता है जहां पिछली बरसात ऐसा वाकया नजर आया जहां लोग नाव में बैठकर बरसाती पानी का लुत्फ उठाते भी देखे गये जिसका वीडियो भी वायरल हुआ। अभी भी समय है कि शासन, प्रशासन खसरा नंबर 159, 160, 161 की रेल्वे के नाम आरक्षित उक्त भूमि को सुरक्षित करने का कदम उठाये, अन्यथा आने वाले समय में यह शहर के लिये काफी घातक साबित होगा। जरूरत है कि खसरा नंबर 159 में निगम के एक पदाधिकारी द्वारा किये गये अतिक्रमण को मुक्त कराने से इसका शुभारंभ किया जाये और जितने लोगों को भी निगम द्वारा मकाने बनाने की अनुमति दी गई है, उसकी भी जांच की जाये। ताकि शहरवासियों को ऐसे अवैध निर्माण से भरने वाले पानी से निजात मिल सके।