राजस्व अमला का नया कारनामा- शास. भूमि का क्रय विक्रय-त्रुटि सुधार बता, किया नामांतरण

धमतरिहा के गोठ
0

 


संजय जैन 

धमतरीभूमाफियाओं के द्वारा शासकीय जमीनों को अधिग्रहित कर अवैध कालोनी बनाये जाने को लेकर रेरा के द्वारा जांच एवं कार्यवाही के निर्देश दिया गया था। लेकिन ऐसे भूमाफिया जो मिलीभगत कर यह कार्य बदस्तूर जारी किये हुए हैं। उन्हीं में से एक मामला अभी हाल में निकलकर सामने आया है जिसमें पानी के नीचे स्थित भूमि देवान तराई के नाम से उल्लेखित है, उसे आनन-फानन में क्रेता-विक्रेताओं ने रजिस्ट्री करा ली। रजिस्ट्री के पूर्व क्रेताओं ने अपना नाम चढ़ाये जाने को लेकर तत्कालीन तहसीलदार के समक्ष मामला पेश किया, जिन्होंने भी पटवारी के प्रतिवेदन को नजरअंदाज करते हुए उसमें आदेश पारित कर संबंधितों को भू अधिकार पत्र नाम चढ़ाये जाने का आदेश पारित किया है।

                न्यायालय तहसीलदार धमतरी के राप्रक्र 202208130700019/6/2021-22 ग्राम धमतरी पहनं 33 में प्रकरण पेश  किया गया। प्रकरण का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि आवेदक चार लोगों ने धमतरी तहसील जिला धमतरी द्वारा धमतरी स्थित भूमि खसरा नंबर 1008/3 रकबा 0.486 वर्तमान राजस्व अभिलेख विक्रेता के नाम पर दर्ज थी। आवेदक द्वारा विक्रेता से उपरोक्त संपत्ति को पंजीकृत विक्रय पत्र के माध्यम से दिनांक 28.6.2022 के द्वारा क्रय कर कब्जा प्राप्त किया है। आवेदकगण के द्वारा बिक्री प्रतिफल की संपूर्ण राशि गवाहों के समक्ष प्रदान कर दिया गया है। रजिस्टर्ड बिक्री पत्र के आधार पर विक्रेता का नाम अभिलेख से विलोपित कर आवेदक का नाम दर्ज किये जाने छग भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 109, 110 के तहत आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया। प्रकरण शीर्ष--6 में दर्ज किया गया। प्रकरण में उदघोषणा का प्रकाशन गवाहो के समक्ष एक दैनिक समाचार पत्र में 17.9.2022 को किया गया। नियत समयावधि तक कोई दावा आपत्ति प्राप्त नहीं।

                प्रकरण में आवेदन पत्र के संबंध में हल्का पटवारी से जांच प्रतिवेदन मंगाया गया। हल्का पटवारी ने प्रतिवेदन में दिनांक 9.9.2022 में उल्लेख किया है कि आवेदित भूमि मिसल बंदोबस्त वर्ष 1926-27 के अनुसार ग्राम धमतरी स्थित भूमि खसरा नंबर 1008 रकबा 1.86 एकड़ भूमि पानी के नीचे मद में दर्ज था तथा अधिकार अभिलेख वर्ष 1954 के अनुसार उक्त खसरा नंबर 1008 रकबा 0.51 डिसमिल 1008/3-1.20 एकड़ भूमि पानी के नीचे मद में दर्ज था। 28.11.2022 को प्रकरण पंजीबद्ध के पश्चात 17.9.2022 को इश्तेहार जारी किया गया है और प्रकरण में 9.9.2022 को पटवारी प्रतिवेदन भी प्रकरण में संलग्र किया जाना बताया गया है जबकि उक्त पेशी तिथी पर तहसीलदार ने ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया कि पटवारी प्रतिवेदन प्रस्तुत करे। 17.9.2022 को कोई आपत्ति नहीं पहुंची। इसी के बाद 9.9.2022 को पटवारी ने प्रतिवेदन भी दे दिया। इसके बाद ऑर्डर शीट में लिखा है कि पटवारी कार्यालय में उपलब्ध खसरा पांच साला वर्ष 2003/04 से वर्ष 2007/08 के अनुसार खसरा नंबर 1007/2 शा.1008/3 रकबा 1.71 एकड़ भूमि पानी के नीचे मद में दर्ज है। वर्ष 2008/09 से 2012/13 पांच साला खसरा में उक्त भूमि पानी के नीचे मद में दर्ज है।

                आवेदक के आवेदन पर न्यायालय ने जो आदेश पारित किया है उसे लेकर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं जिसके तहत पानी के नीचे मद में दर्ज भूमि का कैसे क्रय-विक्रय किया गया? पटवारी ने अपने प्रतिवेदन में न्यायालय तहसीलदार को स्पष्ट बताया है कि देवान तराई पानी के नीचे मद में दर्ज है। ऐसी शासकीय भूमि को लेकर तहसीलदार को कलेक्टर से अनुमति प्राप्त करना था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इस नामांतरण प्रकरण में अपनी कलम को बचाते हुए संबंधित तहसीलदार ने इसे त्रुटि सुधार का नाम देते हुए आदेश पारित किया है। यदि मान भी लिया जाये कि त्रुटि सुधार है, तब भी शासकीय भूमि को नामांतरण प्रकरण चलाकर किसी भी व्यक्ति को बिना कलेक्टर की अनुमति के नहीं दिया जा सकता। इस तरह शासकीय भूमि के संबंध में तहसीलदार का आदेश जनचर्चा का विषय बना हुआ है कि आखिर उन्होंने नामांतरण प्रकरण को त्रुटि सुधार का नाम देकर आदेश पारित कैसे किया है? इसमें यह भी बात छुपाई गई है कि देवान तराई जिसका खसरा नंबर 1008/1 रकबा 1.71 एकड़ है, सिंचाई और पानी की अन्य सुविधाएं मद में दर्ज है। इससे साफ है कि उक्त भूमि क्रय-विक्रय नहीं की जा सकती। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि पटवारी प्रतिवेदन के अनुसार 1926-27 में जिस खसरा नंबर को दर्शाकर क्रय-विक्रय किया गया है, उक्त वर्ष में हैविंगवे सेटलमेंट का दौर चलता था जबकि खसरा पांचसाला का दौर वर्ष 1954 में प्रारंभ हुआ है। ऐसी स्थिति में भी उक्त क्रय-विक्रय पर संदेह व्यक्त किया जाना स्वाभाविक है।


एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)