धमतरी को मिली नई पहचान – “भागीरथ सोनकर मार्ग” का हुआ ऐतिहासिक लोकार्पण

धमतरिहा के गोठ
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संजय छाजेड़ 

धमतरी की ज़मीन आज गौरव और श्रद्धा की साक्षी बनी, जब नगर के समर्पित समाजसेवी स्व. भागीरथी सोनकर की स्मृति में निर्मित एप्रोच रोड का नामकरण और लोकार्पण नगर के यशस्वी महापौर श्री रामू रोहरा के कर-कमलों द्वारा संपन्न हुआ। यह मार्ग, जो ठाकुर नर्सिंग होम से रामबाग बाजार तक जुड़ता है, अब “भागीरथ सोनकर मार्ग” के नाम से जाना जाएगा।

लोकार्पण समारोह पूरी गरिमा, भक्ति और सामाजिक एकता का प्रतीक रहा। वैदिक मंत्रोच्चार, विधिवत पूजा-अर्चना और पारंपरिक रीति-रिवाजों के बीच यह उद्घाटन एक साधारण शासकीय कार्यक्रम नहीं, बल्कि शहर के आत्मसम्मान और जनभावनाओं की विजय गाथा बन गया।

“यह केवल एक सड़क नहीं, समाजसेवा की जीवित प्रेरणा है” – महापौर रोहरा


समारोह में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए महापौर रामू रोहरा ने भावुक स्वर में कहा:

“आज का यह पल मेरे लिए केवल लोकार्पण नहीं, एक ऋणमुक्ति है – उस समाज के प्रति, जिसने मुझे सेवा का अवसर दिया। श्री भागीरथी सोनकर का जीवन निःस्वार्थ सेवा, समर्पण और मानवता की मिसाल था। यह मार्ग आने वाली पीढ़ियों को सिखाएगा कि समाज के लिए जीना क्या होता है।”


महापौर ने आगे कहा कि वे महापौर की कुर्सी को शक्ति का साधन नहीं, सेवा का माध्यम मानते हैं।

“धमतरी की जनता ने मुझ पर जो विश्वास जताया है, वह मेरा संबल है। मैं दिन-रात एक कर, इस शहर को विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध हूँ।”

नामकरण नहीं, जनआस्था का सम्मान

इस एप्रोच रोड का नामकरण कोई प्रशासनिक औपचारिकता नहीं था – यह वर्षों से पल रही जनभावनाओं की परिणति थी। स्थानीय नागरिकों की लम्बे समय से यह मांग थी कि समाजसेवी श्री भागीरथी सोनकर के योगदान को स्थायी पहचान मिले। आज वह सपना साकार हुआ।

समारोह में शामिल बुज़ुर्गों की आंखों में गर्व और श्रद्धा की चमक थी, तो युवाओं में प्रेरणा की लहर। यह लोकार्पण केवल भौतिक मार्ग का उद्घाटन नहीं था, यह उस “मार्गदर्शन” का उत्सव था, जो सेवा और संवेदना की राह दिखाता है।

“भागीरथ सोनकर मार्ग” – धमतरी के दिल की नई धड़कन


अब जब शहर का यातायात इस नव निर्मित मार्ग से सुगम होगा, वहीं हर आने-जाने वाला यात्री भागीरथ सोनकर जी के नाम को पढ़ेगा, समझेगा और शायद समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा भी पाएगा। यह मार्ग अब केवल ईंट-पत्थरों का समुच्चय नहीं, बल्कि एक विचार, एक विरासत, और एक वचन है – सेवा, स्मृति और संकल्प का।

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