मनोरोग चिकित्सक डॉ रचना पदमवार डेकाटे ने लक्षणों की जानकारी देते हुए कहा कि शब्दों या वाक्यांशों को शब्दशः दोहराना,दूसरों के साथ बातचीत करते समय निष्क्रिय, आक्रामक या विघटनकारी होते हैं,एक ही गतिविधि को बार-बार दोहराएँ, जैसे कि हिलना, घूमना या हाथ फड़फड़ाना,ऐसी गतिविधियाँ करना जिनसे वे स्वयं को चोट पहुँचा सकते हैं, जैसे काटना या सिर पीटना,विशिष्ट दिनचर्या या अनुष्ठान बनाएं और छोटे-छोटे बदलावों से भी परेशान हो जाएं,उनमें समन्वय नहीं वे असामान्य तरीके से चलते हैं, जैसे कि पैर की उंगलियों पर चलना।
प्रकाश, ध्वनि या स्पर्श के प्रति संवेदनशील होते हैं, लेकिन दर्द या तापमान से प्रभावित नहीं होते।
विशिष्ट खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता देना, जैसे केवल कुछ ही खाद्य पदार्थ खाना या कुछ विशेष बनावट वाले खाद्य पदार्थ न खाना।
फिजियोथेरेपिस्ट डॉ मंजू गुप्ता ने कहा कि ऑटिस्टिक व्यक्तियों के कार्य करने की क्षमता भी प्रभात होती है शारीरिक रूप से भी शिथिल होते जाते है ऐसे में फिजियोथैरेपी,ऑक्यूपेशनल थेरेपी के कई लाभ हैं, जिनमें शामिल हैं जैसे स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता में वृद्धि ,दैनिक जीवन की गतिविधियों में सुधार,गतिशीलता और समन्वय में सुधार,संज्ञानात्मक कौशल में सुधार,आत्मविश्वास और आत्मसम्मान में वृद्धि,जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है
जैसे ही ये लक्षण आप को दिखाई दे या महसूस करे तो इलाज में बिल्कुल भी देरी न करे फिजियोथैपी के साथ मनोरोग चिकित्सक आपके सहायक सिद्ध होंगे
लीनेस क्लब अध्यक्ष एवं कृति फाइन आर्ट्स की संचालिका जानकी गुप्ता ने कहा कि कई ऑटिस्टिक लोगों में कला,संगीत, स्मृति, डिजाइन और पैटर्न पहचान जैसे क्षेत्रों में अनोखी क्षमताएं होती हैं ये समभाव से देखे जाने और सम्मान पाने के पूरे अधिकारी है