अतिथि व्याख्याता नीति बना शोषण का माध्यम

धमतरिहा के गोठ
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संजय छाजेड़ 
प्रदेश में जुलाई 2024 से छ.ग. सरकार के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा महाविद्यालयों में अतिथि व्याख्याता नीति 2024 को अपनाया गया. इस नीति के तहत अब महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि व्याख्याताओं के कक्षाओं के मानदेय में बढ़ोतरी करते हुए, प्रति कक्षा रूपये 500 कर दिया गया तथा अधिकतम वेतन का प्रावधान रूपये 50,000 प्रति माह किया गया. इसके अतिरिक्त शैक्षणिक गतिविधियों से परे कार्यों के लिए भी अतिरिक्त कार्य का प्रावधान किया गया. 
राज्य में वर्त्तमान में सभी महाविद्यालयों में अतिथि व्याख्याताओं से 07 घंटे महाविद्यालयों में उपस्थित रहने के आदेश दिए गए है. परन्तु जिन महाविद्यालयों में अधिकतम चार कक्षायें हो रही है उन्हें बिना अतिरिक्त कार्य के तीन घंटे अतिरिक्त महाविद्यालयों में रोका जा रहा है, तथा जिन महाविद्यालयों में एक या दो कक्षायें है उन्हें भी पुरे सात घंटे रुकने का आदेश है.
अतिथि व्याख्याता नीति 2024 के तहत प्रति घंटे कक्षा के रूपये 500 व अतिरिक्त कार्यों के लिए रूपये 400 का प्रावधान है. परन्तु वर्त्तमान में महाविद्यालयों के प्राचार्यों द्वारा अतिथि व्याख्याताओं को इस नीति के तहत वेतन प्रदान नहीं किया जा रहा है. जिन महाविद्यालयों में सिर्फ दो वर्ष कि कक्षायें संचालित है तथा एक या दो कक्षाये ली जा रही है वहां अतिथि व्याख्याताओं को मात्र एक या दो कक्षाओं का वेतन बनाया जा रहा है तथा अतिरिक्त का भुगतान भी नहीं किया जा रहा है परन्तु उन्हें पुरे सात घंटे रुकने का आदेश प्राप्त है, जो कि अतिथि व्याख्याता नीति 2024 का उलंघन है.  
स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम आदर्श महाविद्यालय महासमुंद के राजनीती विज्ञान के अतिथि व्याख्याता श्री हरिशंकर नाथ ने बताया कि “आयुक्त उच्च शिक्षा द्वारा सात घंटे महाविद्यालय में उपस्थिति में अतिरिक्त मानदेय के प्रावधान का आदेश जुलाई 2024 में जारी कर दिया गया था. परन्तु इसका पालन महाविद्यालयों के प्राचार्यों द्वारा नहीं किया जा रहा है.” 
अतिथि व्याख्याता नीति 2024 अतिथि व्याख्याताओं को महाविद्यालयों में 07 घंटे रुकने का आदेश नहीं देता है, परन्तु महाविद्यालयों के प्राचार्यों द्वारा यह मान लिया गया है कि सात घंटे महाविद्यालयों में उपस्थित रहना नीति में अन्तर्निहित है. 
अंग्रेजी के अतिथि व्याख्यता श्री संजय कुमार ने बताया, “प्राचार्य द्वारा अतिरिक्त कार्यों का भुगतान अपने मर्ज़ी और अपने पसंदीदा अतिथि व्याख्याताओं को किया जाता है. भुगतान में अक्सर नीति के विपरीत कार्यों के तहत भी भुगतान किया जा रहा है, तथा जिन अतिथि व्याख्याताओं द्वारा नीति के अनुसार अतिरिक्त कार्य किया जाता है उन्हें भुगतान से वंचित रखा जा रहा है.”
उपरोक्त समस्याओं पर उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारीयों से पत्राचार किया गया, सुशासन त्यौहार के तहत भी अधिकारीयों को अवगत कराया गया. परन्तु समोचित परिणाम अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है. 
इन्ही समस्याओ के साथ राज्य में वर्त्तमान में 2500 से अधिक अतिथि व्याख्याता शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत है, जो कि उच्च शिक्षा विभाग के सहायक प्राध्यापक कि स्वीकृत पदों कि संख्या के आधे के बराबर है. यह संख्या दर्शाती है उच्च शिक्षा विभाग का दायित्व इनके कंधो पर है, परन्तु इन कंधो को कमज़ोर करने का काम शासन के कुछ नासमझ अधिकारीयों/कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है. 
इस समस्या का हल बताते हुए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम आदर्श महाविद्यालय महासमुंद के समाजशास्त्र के अतिथि व्याख्याता डॉ ग्लाडिस एस मैथ्यु का कहना है कि सरकार अतिथि व्याख्याताओं के वेतन को एक मुश्त कर दे. हाल ही में इस विषय में हमने उप मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष एवं रायपुर लोकसभा सदस्य से भी मुलाकात कि है.

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