संजय
जैन
धमतरी। उड़ीसा राज्य में आदिवासी समाज के जमीन को गैर आदिवासियों को बिक्री हेतु अनुमति दिए जाने के लिए दिनांक 14 नवंबर को उड़ीसा कैबिनेट में प्रस्ताव पारित हुआ है। उक्त आदिवासी विरोधी कैबिनेट प्रस्ताव के कारण समाज में भारी आक्रोश था। इस हेतु विरोध में 5 दिसंबर मंगलवार को नुआपाडा उड़ीसा में उक्त कैबिनेट प्रस्ताव को वापस लिए जाने हेतु उड़ीसा सरकार के खिलाफ आदिवासी समाज के समस्त संगठन एवं गोंडवाना गोंड महासभा द्वारा उग्र आंदोलन का आह्वान किया गया था। आंदोलन में उड़ीसा, छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना, मध्यप्रदेश एवं देश के विभिन्न हिस्सों से आदिवासी समाज के प्रमुख उपस्थित होने वाले थे। उक्त आशय की जानकारी देते हुए गोंडवाना गोंड महासभा के राष्ट्रीय सचिव आरएन ध्रुव ने बताया कि उड़ीसा सरकार द्वारा आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासियों को हस्तांतरण नहीं करने के नियम का हवाला देकर उक्त कैबिनेट प्रस्ताव को आदिवासी समाज के दबाव के फलस्वरुप वापस लिया गया है। गोंडवाना गोंड महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिशुपाल शोरी, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष खामसिंह मांझी, प्रदेश अध्यक्ष उड़ीसा महेंद्र नायक, राष्ट्रीय महासचिव लोकेंद्र सिंहए राष्ट्रीय सचिव दिवाकर पेंदाम महाराष्ट्र द्वारा इसे आदिवासी समाज की बड़ी जीत बताते हुए 5 दिसंबर को नुआपाडा उड़ीसा में आदिवासी समाज का होने वाला उग्र आंदोलन को स्थगित किए जाने की बात कही है।