संजय जैन
धमतरी |शासकीय नौकरी को पाने के लिये सैकड़ों किलोमीटर से दूर हताश, उपेक्षित शिक्षित बेरोजगार लोग इसमें भाग लेते हैं। लेकिन ऐसे लोगों को उस वक्त मायूसी का सामना करना पड़ता है जब अपात्र व्यक्ति, पात्रता की श्रेणी में आकर उक्त पद को हथिया लेता है और अपना काम जारी करता है। इससे पूर्व भी मगरलोड विकासखंड में अपात्र शिक्षाकर्मी आवेदकों को पात्र बताकर सैकड़ों लोगों की भर्ती की गई थी। यह मामला प्रदेश के सुर्खियों में रहा और तत्कालीन सरकार के रहते तक इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई जिसका मुख्य कारण था कि शिक्षाकर्मियों के लिये आवेदन भरे आवेदकों के ऊपर तत्कालीन सरकार के जिम्मेदार लोगों का हाथ था। कुछ इसी तरह का मामला अब धमतरी जिला पंचायत में भी घटित हुआ है जिसमें विकास आयुक्त कार्यालय एसआरएलएम प्रकोष्ठ ब्लॉक-4 प्रथम तल कक्ष क्रमांक 38 सीआईटी इंद्रावती भवन नया रायपुर के द्वारा एक विज्ञापन जिला पंचायत में रिक्त पदों के लिये आमंत्रित किया गया था। उसमें बिहान के लिये क्षेत्रीय समन्वयक के लिये तीन पद शामिल हैं। जिसमें क्षेत्रीय समन्वयक पद के लिये तीन में से एक पद महिला के लिये आरक्षित रखा गया था। इस भर्ती में निर्धारित मापदंडों को दरकिनार कर इसमें एक ऐसी महिला को चयनित कर दिया गया है जिसके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज संदेह के दायरे में है जिसकी शासकीय कार्यालयों में जबरदस्त चर्चा है।
छग राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान अंतर्गत जिला मिशन एवं मिशन कार्यालयों में संविदा के विभिन्न रिक्त पदों की पूर्ति हेतु आवेदन संबंधित जिले के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत के नाम से संबंधित जिला पंचायत कार्यालय में आमंत्रित किये गये थे। 26 जून 2018 को उपरोक्त पदों के लिये एक विज्ञापन निकाला गया था जिसका क्रमांक 1094/वी-6/एनआरएलएम/एचआर एंड ए/2018 नया रायपुर दिनांक 26.6.2018 है। इस विज्ञापन में रायपुर, धमतरी, महासमुंद, बलौदाबाजार, गरियाबंद, दुर्ग, बालोद, बेमेतरा, कबीरधाम, रायगढ़, मुंगेली, कोरिया, बस्तर, नारायणपुर, कांकेर, कोंडागांव, बीजापुर, सुकमा, राजनांदगांव, दंतेवाड़ा, कोरबा, बलरामपुर, जशपुर आदि शामिल थे। इनमें से राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के तहत क्षेत्रीय समन्वयक के लिये तीन पद निकाले गये थे जिनमें से एक महिला के लिये आरक्षित रखा गया था। इन तीन पदों के लिये बाहर एवं जिले के अनेक लोगों ने आवेदन किया था। इसमें से उस महिला का चयन कर लिया गया जिसके पति पहले से ही जिला पंचायत में संविदा के पद पर कार्यरत हैं। इनकी पत्नि ने भी इस पद के लिये फार्म भरा था जिसमें उनके द्वारा संबंधित दस्तावेज पेश किये गये। जितने भी अभ्यर्थियों ने उक्त पद के लिये आवेदन भरा था, उन दस्तावेजों के सत्यापन के लिये तीन सदस्यीय एक कमेटी जिला पंचायत सीईओ द्वारा बनाई गई थी। इन तीन सदस्यीय समिति में संविदा के पद पर कार्यरत एक अधिकारी को भी समिति का सदस्य बनाया गया जिनके द्वारा सारे नियम-कायदों को बलाये ताक रखते हुए उनकी पत्नि के द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों को सही बताया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि कार्यक्रम प्रबंधक बिहान के लिये जिस महिला को चयनित किया गया है उनके द्वारा प्रस्तुत मार्कशीट के अलावा कम्प्यूटर डिप्लोमा का भी एक प्रमाण पत्र है जिस पर संदेह व्यक्त करते हुए कुछ लोगों ने बताया कि राष्ट्रव्यापी बहुद्देशीय सूचना भिलाई का प्रमाण पत्र पेश किया गया है जबकि नियमानुसार एआईसीटीई से उक्त संस्था का मान्यता प्राप्त होना अनिवार्य था। लेकिन राष्ट्रव्यापी बहुद्देशीय शिक्षण संस्था जो कि शासकीय नौकरी हेतु मान्यता प्राप्त नहीं है। जिसका प्रमाण पत्र लगाया गया है वह आईएसओ सर्टिफाईड है। तीन सदस्यीय समिति ने उपरोक्त प्रमाण पत्र को कैसे मान्य कर लिया जबकि अन्य अभ्यर्थियों ने नियमानुसार सभी दस्तावेज प्रस्तुत किये थे। अनुभव के मामले में भी दिलचस्प बात सामने आई है। इस कार्य हेतु जो अभ्यर्थी है, उसे ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं एवं गरीबी उन्मूलन आजीविका का भी अनुभव होना चाहिये परंतु उक्त महिला के द्वारा एनजीओ का प्रमाण पत्र लगाया गया है, वह भी संदेह के दायरे में है। जिला पंचायत में संविदा के पद पर अधिकारी एवं उनकी पत्नि को लेकर यह भी कहा जाता है कि, हैं तो ये संविदाकर्मी, लेकिन इनके ठाटबाट किसी आइएएस, आईपीएस से कम नहीं है। शासकीय वाहन इनके कंपाउंड में इनकी सेवा हेतु समर्पित रहती है और इन्ही के नादिरशाही रवैये से अनेक लोग त्रस्त हैं। पूर्व वर्षों में मगरलोड विकासखंड में शिक्षाकर्मियों के 170 पद के लिये विज्ञापन निकाले गये थे। इसमें से 145 अपात्र लोगों को तत्कालीन जनपद पंचायत पदाधिकारियों ने अपना-अपना रिश्तेदार बताकर, बोनस अंक देकर इन्हें शिक्षाकर्मी के पद पर चयनित कर दिया गया था जिसकी रिपोर्ट कृष्णकुमार साहू नामक निवासी ने विभिन्न शासकीय विभागों में प्रेषित कर जांच की मांग की थी और इसमें जनपद पंचायत सीईओ सहित अनेक शिक्षाकर्मियों को जेल की यात्रा करनी पड़ी। ऐसे नियुक्तियों को लेकर जिले के वरिष्ठ अधिकारी जिस प्रकार लापरवाही बरतते हैं उससे ऐसे अपात्र लोग पात्र बन जाते हैं, अनेक लोगों ने इसके जांच की मांग की है।