संजय जैन
धमतरी 30 मई। भारतीय खाद्य निगम के अधिकारियों के गिरोह द्वारा प्रदेश के राईस मिलर्स से आर्थिक शोषण के साथ साथ मानसिक रूप से भी प्रताडि़त किया जा रहा है जिससे प्रदेश का राईस मिल उद्योग आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इस व्यवस्था में रायपुर एफसीआई जिला कार्यालय में सत्या जैना जो रायपुर जिला ऑफिस में पिछले 12 वर्षों से एक ही पद पर बैठे हुए हैं और एरिया मैनेजर का मुख्य कलेक्शन कर्ता और अधिकारियों के बीच बंटवारा के मुख्य सूत्र हैं, यदि इनके विरूद्ध ईडी/सीबीआई द्वारा जांच की जाती है तो व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार उजागर होगा। यह बात छग प्रदेश राईस मिल एसोसियेशन के कोषाध्यक्ष कुरूद निवासी रोशन चंद्राकर ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय केबिनेट मंत्री पीयूष गोयल को 26 मई 2023 को पत्र प्रेषित कर शिकायत की है।
शिकायत पत्र में प्रदेश राईस मिल के कोषाध्यक्ष ने बताया कि 20 फरवरी 2023 को वाणिज्य भवन नई दिल्ली में बुलाई गई बैठक में छग राईस मिलर्स के प्रतिनिधि के रूप में वे शामिल थे। इस बैठक में सचिव, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण भारत सरकार व सीएमडी भाखनि के साथ साथ पूरे देश के राईस मिलर्स एसोसियेशन के प्रतिनिधि उपस्थित थे। मंत्री ने भाखनि की कार्यप्रणाली को सुगम, पूर्ण पारदर्शी व भ्रष्टाचार से पूर्ण रूप से मुक्त कराने का आश्वासन दिया था। साथ ही उन्होंने भरोसा दिया था कि अगर एफसीआई की कार्यप्रणाली को पारदर्शी व भ्रष्टाचार से मुक्त कराने कोई अधिकारी बाधक बनता है तो आपके संस्थान को आर्थिक नुकसान पहुंचता है तो आप मुझसे सीधे संपर्क कर सकते हैं। हम आपकी हर संभव मदद व सुरक्षा करेंगे। शिकायत में आगे यह भी दर्शित है कि हमारा क्षेत्र रायपुर जिला भाखनि अंतर्गत आता है जिसके एरिया मैनेजर रवि कुमार मीणा हैं और धमतरी के मैनेजर क्यूसी के के साहू हैं जिन्होंने अब तक करोड़ों रूपये की वसूली राईस मिलर्स से की है।
छग राईस मिलर्स एसोसियेशन के कोषाध्यक्ष श्री चंद्राकर ने अपने शिकायत में बताया कि भाखनि में 29 मीट्रिक टन चांवल के लाट को स्वीकार करने के एवज में 7500 रूपये प्रति लाट रिश्वत ली जा रही है जबकि पूर्व में प्रति लाट 6 हजार रूपये की दर से ली जाती रही है। छग के रिजनल ऑफिस, जिला कार्यालयों में पदस्थ देश के सर्वाधिक महाभ्रष्ट अधिकारी बैठे हैं जिनके विरूद्ध यदि बारीकि से जांच किया जाता है तो करोड़ों रूपये नगद, सोना, चांदी, जमीन जायदाद का खुलासा हो सकता है। इस वर्ष भी 1500 प्रति लाट की राशि यह कहकर बढ़ाई गई कि छग प्रदेश के भाखनि के प्रदेश में स्थित सभी जिलों में संदेश भेजकर मिलर्स की एक मीटिंग ली गई जिसमें बताया गया कि इस वर्ष ऊपर के ऑफिस, केंद्रीय खाद्य सचिव अधिकारी लोगों एवं केंद्रीय सरकार के मंत्री को अतिरिक्त पैसा भेजना है, ऐसा दबाव डालकर अतिरिक्त पैसे की वसूली करोड़ों में की गई है। इसी तरह वर्ष 21-22 में भी भाखनि द्वारा 3244615 मीट्रिक टन चांवल लिया गया जिसमें 67.13 करोड़ की अवैध उगाही की गई है। यही प्रक्रिया वर्ष 2022-23 में भी अपनाई गई जिसमें 3319343 मीट्रिक टन चांवल छग भाखनि में स्वीकार किया गया। उस पर 7500 रूप्ये प्रति लाट की दर से 29 मीट्रिक टन के लाट के हिसाब से 85.85 करोड़ रूपये की अवैध उगाही की गई है। श्री चंद्राकर ने बताया कि यदि कोई मिलर्स ऐसी शिकायतें करता है तो उसे ब्लेक लिस्ट में डालने की धमकी दिया जाता है जिसकी वजह से शिकायत करने कोई आगे नहीं आता।
भाखनि के अधिकारियों द्वारा प्रदेश के राईस मिलर्स आर्थिक शोषण के साथ साथ मानसिक रूप से प्रताडि़त भी किया जा रहा है जिससे प्रदेश का राईस मिल उद्योग आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। रायपुर भाखनि के जिला कार्यालय में सत्या जैना जो पिछले 12 वर्षों से एक ही पद पर पदस्थ हैं और एरिया मैनेजर का मुख्य कलेक्शनकर्ता और अधिकारियों के बीच बंटवाराकर्ता के मुख्य सूत्रधार हैं। यदि इन भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर अथवा ईडी, सीबीआई कार्यवाही होती है तो भारी पैमाने पर घोटाला ही घोटाला उजागर होगा। प्रदेश राईस मिल कोषाध्यक्ष ने उनके व्हाट्सप, फोन कॉल डेंटा के फोरेंसिक जांच की भी मांग की है। शिकायत की प्रतिलिपि सचिव खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली भारत सरकार, सीएमडी भाखनि नई दिल्ली, मुख्य विजिलेंस ऑफिस भाखनि भारत सरकार तथा ईडी विजिलेंस भाखनि नई दिल्ली को भी प्रेषित की गई है। खबर है कि कोषाध्यक्ष श्री चंद्राकर की शिकायत पर दो दिन पूर्व दिल्ली से एक टीम रायपुर स्थित कार्यालय में दबिश दी है जिसकी जानकारी दूरभाष पर इस प्रतिनिधि को स्वयं रोशन चंद्राकर ने दी है। इसमें क्या कार्यवाही हुई इस संबंध में अभी तक जानकारी अप्राप्त है। कुल मिलाकर भाखनि में करोड़ों रूपये के वसूली किये जाने का मामला धमतरी जिले से लेकर नई दिल्ली तक चर्चा में है। इस शिकायत के बाद भाखनि के अधिकारियों के चेहरे पर दहशत साफ देखा जा रहा है। अब देखना यह है कि शिकायत पर केंद्र सरकार क्या बड़ी कार्यवाही करती है या फिर यह मामला ठंडे बस्ते में चला जायेगा।