हरेली तिहार के लिए सी मार्ट धमतरी में गेड़ी बिक्री हेतु उपलब्ध

धमतरिहा के गोठ
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संजय छाजेड

धमतरी।  आगामी 4 अगस्त को छत्तीसगढ़ सहित जिले में भी हरेली तिहार मनाया जायेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में गेड़ी के बिना हरेली तिहार अधूरा है। बच्चों के लिए बाजार में गेड़ी बिक्री का प्रचलन स्थान विशेष में होता था। सी मार्ट धमतरी के संचालक ने बताया की छत्तीसगढ़ की इस परंपरा को एक कदम आगे बढ़ाते हुए शहरवासियो को गेड़ी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अब सी मार्ट में विभिन्न आकर की गेडिय़ां बिक्री के लिए उपलब्ध है। इससे अभिभावक स्वयं अथवा अपने बच्चों के लिए मनपसंद गेड़ी खरीद सकते हैं और पहले की अपेक्षा पूरे हर्षोल्लास से त्यौहार मना सकते हैं।

गांव का हरेली तिहार

गांव में लगभग सभी की जमीन होती है और वे किसान हैं। हरेली तिहार के दिन सुबह से ही तालाब के पनघट में किसान परिवार बड़े बुजुर्ग बच्चे सभी अपने गाय बैल बछड़े को नहलाते हैं और खेती किसानी औजारों हल, कुदाली, फावड़ा को भी साफ कर घर के आंगन में पूजा के लिए सजाते हैं। माताएं गुड़ का चीला बनाती हैं।  कृषि औजारों को धूप-दीप से पूजा के बाद नारियल, गुड़ का चीला का भोग लगाया जाता है। अपने अपने घरों में आराध्य देवी देवताओं के मान्यता के अनुसार पूजा करते हैं। गांव के ठाकुर देव की पूजा की जाती है और उनको नारियल अर्पण करते हैं।

 गेडिय़ां बांस से बनाई जाती हैं

गेड़ी चढक़र ग्रामीण-जन और कृषक-समाज वर्षा ऋतु का स्वागत करता है। वर्षा ऋतु में गांवों में सभी तरफ कीचड़ होता है, लेकिन गेड़ी चढक़र कहीं भी आसानी से आया-जाया जा सकता है। गेडिय़ां बांस से बनाई जाती है। दो बांस में बराबरी दूरी पर कील लगाई जाती है। एक और बांस के टुकड़ों को बीच से फाडक़र उसे दो भागों में बांटा जाता है, उसे रस्सी से फिर से जोडक़र दो पउवा बनाया जाता है। यह पउवा असल में पैरदान होता है, जिसे लंबाई में पहले काटे गए दो बांसों में लगाई गई कीलों के उपर बांध दिया जाता है।  गेड़ी पर चलते समय रच-रच की ध्वनि निकलती है, जो वातावरण को और आनंददायक बना देती है।



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