विशेष कॉलम
संजय छाजेड
धमतरी। शासन द्वारा प्रदेश में कार्यरत अधिकारी, कर्मचारियों को द्वितीय एवं तृतीय शनिवार की छुट्टी पूर्व में स्वीकृत की गई थी। लेकिन प्रदेश में नई सरकार आने के बाद शनिवार, रविवार को संपूर्ण कार्यालय में अवकाश जारी की गई और यह भी फरमान जारी किया गया था कि सुबह 10 बजे अपने अपने कार्यालय में सभी अधिकारी, कर्मचारियों को उपस्थित होना है। इसे लेकर पूर्व कलेक्टर द्वारा बायोमेट्रिक्स मशीन की स्थापना भी कलेक्टोरेट में की गई थी जिसका पालन वर्तमान समय में नहीं हो रहा है। कलेक्टर स्वयं समय पर उपस्थित होते हैं। लेकिन देखा गया है कि कुछ अधिकारी, कर्मचारी अपने मनमर्जी से आते-जाते हैं। पंखा चलता है, बिजली जलती है, लेकिन अधिकारी, कर्मचारी अपने कुर्सी से नदारद रहते हैं। हद तो तब हुई जब पिछले लंबे समय से यहां पदस्थ अधिकारी, कर्मचारी भडक़ीले कपड़े पहनकर अपनी उपस्थिति देते हैं। एक अधिकारी तो बॉडी बिल्डरनुमा कपड़े पहनकर अपने जिस्म का प्रदर्शन भी करते देखे गये हैं जिसे लेकर लोगों का कहना है कि उक्त अधिकारी जिनकी कुछ दिनों पहले ही पदस्थापना हुई और इनके पहनावे को देखकर ऐसा लगता है कि ये शासकीय कार्यालय में नहीं बल्कि किसी प्रतियोगिता में भाग लेने जा रहे हैं, जो ऐसा कपड़ा पहनकर कार्यालय आते हैं। जिसके चलते दूरदराज से आने वाले फरियादियों को यह समझ नहीं आता कि ये महोदय अधिकारी हैं, या खुद किसी समस्या को लेकर कार्यालय पहुंचे हैं....
छत्तीसगढ़ के कार्यालयों में अधिकारी, कर्मचारियों के लिये नई सरकार आते ही उनके लिये द्वितीय शनिवार के अलावा सभी शनिवार, रविवार को छुट्टियां घोषित कर दी गई थी जिससे इनकी बल्ले-बल्ले हो गई किंतु शासन ने इनके लिये यह भी व्यवस्था दी थी कि प्रत्येक अधिकारी, कर्मचारी सुबह 10.30 से शाम 5.30 तक लंच टाईम छोडक़र अपने कार्य में मुस्तैदी के साथ कार्य करें और आगंतुकों की समस्याओं का समाधान करे और उनके आवेदनों पर फौरी कार्यवाही करें किंतु देखा गया है कि कुछ अधिकारी, कर्मचारी समय का पालन न करते हुए अक्सर अपनी कुर्सी से नदारद रहते हैं जिसके कारण संबंधित विभाग के कार्यालय में आवेदन के लिये आदमी को घंटों बाट जोहना पड़ता है और कई लोग तो निराश होकर अपने गंतव्य को वापस भी हो जाते हैं जिसके कारण शासन की छवि धूमिल हो रही है। जिले के मुखिया कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी पहले ऐसे अधिकारी हैं जो अपने समय पर कार्यालय पहुंचते हैं और अपने कार्यों को निपटाने में व्यस्त हो जाते हैं। उनसे जब मिलने के लिये पर्ची भेजी जाती है तो वे तुरंत बुलाकर उसकी सुध लेते हैं और संबंधित विभाग के अधिकारी को बुलाकर आवश्यक दिशा निर्देश देते हैं। पूर्व में भी इसकी शिकायत तत्कालीन कलेक्टर को की गई थी तो उन्होंने बायोमेट्रिक्स मशीन लगाकर ऐसे लोगों को चिन्हांकित कर समय समय पर उन्हें मौखिक तौर पर चेतावनी दी गई थी जिससे ऐसे लोग समय पर आना प्रारंभ कर दिये थे और लोगों की समस्याओं का त्वरित निदान हुआ करता था, किंतु उनके स्थानांतरण पश्चात यह बायोमेट्रिक्स मशीन बंद हो गई है।
कलेक्टोरेट में विभिन्न विभागों के दफ्तर लगते आ रहे हैं जहां कुछ दफ्तरों में तो अधिकारियों का अता-पता नहीं रहता। वहां के चपरासी पंखा, लाईट चालू कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं। पूछने पर कि साहब कहां है, तो उसके द्वारा रटारटाया जवाब दिया जाता है, अभी नीचे गये हैं, मीटिंग में गये हैं, जबकि कोई मीटिंग नहीं चल रही होती। इसी तरह इस कार्यालय में रंगबिरंगे कपड़े पहनकर कुछ अधिकारी, कर्मचारियों का आना-जाना प्रारंभ हो गया है। इसे लेकर शासन का दिशा निर्देश है कि ड्रेस कोड का पालन करें और आगंतुकों की समस्याओं को सुनकर त्वरित उसका निराकरण करें। लेकिन बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि इसका पालन नहीं हो रहा है। इनके पहनावे को लेकर कलेक्टोरेट में आने वाले लोगों का कहना है कि अधिकारी, कर्मचारियों के लिये जब शासन ने ड्रेस कोड का निर्देश दिया है तो उसके बाद भी रंगबिरंगे कपड़े पहनकर आने-जाने पर पाबंदी क्यों नहीं लगाई जा रही है। एक अधिकारी तो जींस-टीशर्ट पहनकर किसी पहलवान की तरह जब वो आते हैं तो लोग उन्हें देखकर कहते नजर आये हैं, ये अधिकारी कम और पहलवान ज्यादा दिखाई पड़ते हैं। क्या ये किसी कुश्ती से वापस आ रहे हैं? इस प्रकार तरह-तरह के व्यंग्य कसे जाते हैं। ऐसे लोगों पर शासन द्वारा निर्धारित ड्रेस कोड का पालन करवाने की कार्यवाही अभी तक नहीं हुई है। जागरूक नागरिकों का कहना है कि आगंतुकों को ड्रेस कोड का पालन नहीं करने वाले ऐसे अधिकारी से भय लगता है, इसलिये वे उनके पास जाने से कतराते हैं। कलेक्टर श्री रघुवंशी से इस दिशा में उचित कदम उठाये जाने की मांग भी की गई है।