संजय जैन
शासकीय योजनाओं को अधिकारी, दीमकी प्रवृत्ति से जिस तरह चर रहे हैं, उससे अनेक ऐसी जनकल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद जांच-दर-जांच के नाम पर उक्त फाईल को दबा दिया जाता है जिसके कारण ऐसे कार्य जो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ें हैं, वो अपने निर्धारित समय से पहले ही घटिया साबित होते हैं जिससे शासन का लाखों, करोड़ों रूपये का नुकसान उठाना पड़ता है। इसी से एक जीता-जागता प्रमाण तब उजागर हुआ जब प्रदेश के आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास, स्कूल शिक्षा तथा सहकारिता मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने अद्र्धशासकीय पत्र क्रमांक 395/मंत्री/आ.जा.अनु.जा.वि.पि.व. एवं आ.स.वि.स्कू.शि.तथा सह/2020 दिनांक 24.3.2022 को प्रबंध संचालक समग्र शिक्षा छग जिला रायपुर को एफएलएन योजना अंतर्गत किट की सामग्री विकासखंडों में सप्लाई की जा रही है जिसमें सामग्रियों का चयन उपयोगिताहीन एवं गुणवत्ता काफी निम्र स्तर की होना बताते हुए जांच के उपरांत ही की गई सप्लाई का भुगतान किये जाने का निर्देश जारी किया है जिसमें बालोद, गरियाबंद, बलरामपुर, धमतरी भी शामिल है।
एफएलएन मिशन निपुण भारत के तहत मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक मिशन है। एफएलएन एक ऐसा मिशन हैं जिसका उद्देश्य बच्चों का समग्र विकास करना है। चूंकि पिछले वर्षों में पढ़ाई का स्तर निम्र माना जा रहा था। इसे लेकर शासन द्वारा यह योजना लागू कर प्रदेश के ऐसे तमाम स्कूलों को आधारभूत साक्षरता के लिये करोड़ों रूपये की सामग्री प्रदाय की गई है। धमतरी जिले में भी यह सामग्रियों की सप्लाई संबंधित सप्लायर द्वारा की गई है। इस मामले को लेकर जब अध्ययन किया गया तो पता चला कि यह योजना के लिये आये फंड से छात्र-छात्राओं के साक्षरता को बढ़ाने के लिये ऐसे किट सप्लाई करने का निर्णय लिया गया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार करोड़ों रूपये के होने वाले इस किट सप्लाई में जिले के एक बड़े अधिकारी ने अपने चहेते को उपकृत करने के लिये उक्त कार्य रायपुर के एक फर्म को ई-मानक के तहत आदेश करवाया। लेकिन उक्त फर्म के द्वारा अपने आप को उक्त बड़े अधिकारी का खासमखास बताते हुए गुणवत्ताहीन किट की सप्लाई की गई जिसकी शिकायत होने पर संबंधित विभाग के मंत्री द्वारा इसे संज्ञान में लिया गया है।
मतरी जिले में यह कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी जिला प्रशासन के तत्कालीन अधिकारी ने श्रृंगि ऋषि अंग्रेजी उत्कृष्ट माध्यम विद्यालय भवन निर्माण के नाम पर विभिन्न मदों का गलत इस्तेमाल किया। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जितनी भी ऐसे भवन, स्कूल प्रारंभ के लिये बनवाये गये हैं वहां विभिन्न कार्य एजेंसी से करवाये गये हैं किेंतु धमतरी जिले में करोड़ों रूपये का यह निर्माण कार्य ग्राम पंचायत स्तर पर करवाया गया जिसे लेकर नगरी, सिहावा के निवासियों ने भारी नाराजगी जताई और किसी जिम्मेदार विभाग से इसके निर्माण की मांग की। इसे लेकर पक्ष-विपक्ष के लोगों ने भी राजधानी तक इस बात को बताया। लेकिन इस पर कोई कार्यवाही शासन स्तर पर नहीं की गई। यह भवन का निर्माण ग्राम पंचायतों द्वारा करवाया गया है। एक पंचायत में पूर्व के जिला अधिकारी के साले का भी हाथ है, जिसे उपकृत करने के उद्देश्य से उस पंचायत को भी निर्माण कार्य में जोड़ दिया। ऐन-केन प्रकारेण कर यह भवन बनकर तैयार हो गई जिसकी लागत पूर्व में 6 करोड़ रूपये बताई जा रही थी। लेकिन अब यह कहा जा रहा है कि इस निर्माण कार्य में 10 करोड़ रूपये का लगभग खर्च आया है। इसी बिल्डिंग में पूर्व की बिल्डिंग को तोडऩे के नाम पर लाखों रूपये का खर्च सीएसआर फंड से किया गया है जबकि नियमत: उक्त फंड का उपयोग विकास कार्यों के लिये किया जाना चाहिये था। लेकिन तत्कालीन अधिकारी ने इस नियम को धता बताते हुए लाखों रूपये की राशि को बिना निविदा बुलाये ग्राम पंचायतों के माध्यम से उक्त बिल्डिंग को डिस्मेंटल करवाने में खर्च करवा दिया। क्षेत्र के जागरूक नागरिकों का कहना है कि उक्त बिल्डिंग को तुड़वानें के नाम पर ग्राम पंचायतों के माध्यम से जो खर्च किया गया है, उससे आधे से भी कम खर्च में उक्त बिल्डिंग को डिस्मेंटल करवाया जा सकता था। नागरिकों का यह भी कहना है कि उक्त मद से किये गये खर्च की अगर जांच की जाये तो भ्रष्टाचार से जुड़ा बड़ा मामला सामने आ सकता है। हालांकि इसके लिये समिति बनाई गई थी। लेकिन समिति का सिक्का नहीं चला और पूर्व जिला अधिकारी ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए उक्त निर्माण कार्य में अपनी महती भूमिका निभाई है जो आज भी चर्चित है।
प्रदेश के मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम के पत्र के बाद धमतरी में हलचल काफी तेज हो गई है। चूंकि यह शिक्षण सामग्री निम्र स्तर की बताई जा रही है जबकि प्रबंध संचालक को लिखे गये पत्र में मंत्री श्री साय ने स्पष्ट तौर पर कहा कि इसकी तत्काल जांच करें और जांच से उक्त कार्यालय को भी अवगत करायें। लेकिन जबसे यह पत्र धमतरी में पहुंचा है तबसे जिला स्तर के अधिकारियों में हडक़ंप है। आज करोड़ों रूपये की सामग्री निम्र स्तर की होने के कारण उसमें शिक्षक वर्ग हाथ डालने को तैयार नहीं है। शासन की इस योजना का जिस तरह धमतरी में सप्लायर ने निर्धारित मापदंड के अनुरूप सप्लाई नहीं किया है, उसे लेकर भी अभी तक कोई जांच प्रारंभ नहीं हुई है। जिले में भ्रष्टाचार के ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिसके कारण धमतरी जिले में चाहे जनकल्याणकारी योजना हो अथवा सप्लाई, उसमें व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया हेै। दूसरी ओर ऐसी किसी भी जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से वरिष्ठ अधिकारी को फोन लगाओ तो वो फोन उठाने के लिये तैयार नहीं। उनकी अलगाववादी नीति के चलते शासन की छवि धूमिल हो रही है। अब देखना है कि इस मामले में जांच के नाम पर किन-किन अधिकारियों पर गाज गिरेगी? या अपने चहेते सप्लायर को क्लीन-चिट दिलवाने में कामयाब होंगे।