संजय जैन
धमतरी । प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल समूचे प्रदेश में दौरा कर आम नागरिकों के दुख-दर्द से अवगत हो रहे हैं और संबंधित क्षेत्रों के लिये करोड़ों की सौगात देकर उस क्षेत्र के निवासियों की बहुप्रतीक्षित मांगों को पूरा कर रहे हैं जिसकी समूचे प्रदेश में चर्चा है किंतु धमतरी जिला एक ऐसा जिला है जहां उनके अधिकारी इन बातों से बेखबर रहकर अपनी नादिरशाही, हठधर्मिता दिखाकर धमतरी जिले के नागरिकों को कोई तवज्जो नहीं दे रहे हैं। न तो वे किसी से मिलते हैं और न ही किसी को अपने पास फटकने देते हैं। पिछले दिनों अभ्यारण्य क्षेत्र के हजारों ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर अभ्यारण्य क्षेत्र से कलेक्टर से मिलने धमतरी आ रहे थे तो उन्हें बियाबान जंगल में धमतरी से 25 किमी दूर रूकवा दिया गया। इसी तरह रामनवमी एवं रमजान को लेकर शांति समिति की बैठक प्रशासन द्वारा आहुत की गई थी जिसका समय पूर्व में 10.30 बजे था, उसके बाद इसे 3 बजे कर दिया गया जिससे शांति समिति के लोगों को भारी आघात पहुंचा। हद तो यह है कि इसके बाद भी कलेक्टर ने शांति समिति के सदस्यों के पास आना उचित नहीं समझा जिससे भारी नाराजगी देखी जा रही है।
मुख्यमंत्री के द्वारा आम नागरिकों से रूबरू होकर उनकी समस्याओं के संबंध में जानकारी ली जा रही है और सरकार द्वारा जो उनके पक्ष में निर्णय लिये जा रहे हैं, उसकी भी सुध ले रहे हैं। शिकायत मिलने पर धमतरी जिले के एक तहसीलदार को हटाया गया जबकि दूसरी घोषणा में कुरूद के एसडीएम कार्यालय को लिंक कोर्ट के रूप में मगरलोड में भी दो दिन लगाने का आदेश दिया। हालांकि मुख्यमंत्री का दौरा कुरूद, नगरी क्षेत्र में रहा, धमतरी में भी आम लोगों को उनके आगमन की प्रतीक्षा है। वर्तमान समय में भी प्रदेश के मुख्यमंत्री वर्चुअल भूमिपूजन, आदि कार्य में लगे हैं एवं समय समय पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये अधिकारियों से सीधे संवाद कर रहे हैं परंतु जबसे नये कलेक्टर के रूप में अधिकारी ने पदभार संभाला है, तबसे जिले का हाल बेहाल है। कलेक्टोरेट में अपने कार्यालय के ईर्दगिर्द सुधार कार्य करवाया और इस कार्य में उस समय अधिकारियों के पैरों तले जमीन खिसक गई जबकि जनदर्शन, टीएल बैठक जैसी बैठकों में कलेक्टर के बाजू एसपी एवं जिला पंचायत सीईओ, वन मंडलाधिकारी, अपर कलेक्टर बैठा करते थे। वह कुर्सी भी उक्त स्थान से हटा दी गई है। यही नहीं मिलने वाले लोगों से वे कतराते हैं, चाहे वह निर्वाचित जनप्रतिनिधि हो अथवा मीडिया के लोग। उनसे मिलने समय नहीं देते। घंटों खड़े करवाकर भी दूर-दराज से आये आगंतुकों से उनकी समस्या नहीं पूछते जिसके कारण जिले के लोगों में नाराजगी है।
शासन द्वारा इस वर्ष के प्रारंभ में कुछ जिले के कलेक्टरों को इधर से उधर किया गया था जिसके तहत नारायणपुर में पदस्थ कलेक्टर को धमतरी कलेक्टर के रूप में पदस्थ किया गया है। स्थानांतरण के कई दिनों बाद उन्होंने जनवरी माह में पदभार संभाला। पहले सप्ताह तक तो मिलने वालों से वे मिलकर उनके स्वागत सत्कार को स्वीकार किया। लोगों ने उनकी भावना को लेकर यह मान लिया था कि जिले की समस्याओं को दूर करने एवं शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को तेजी से पूरा किया जायेगा परंतु देखा जा रहा है कि ऐसी योजनाएं सिर्फ कागजी कार्यवाहियों तक सीमित है। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी शुमार है जहां से आम नागरिक अपनी समस्याओं को लेकर सैकड़ों किमी दूर से धमतरी पहुंचते हैं। जैसा कि अभ्यारण्य क्षेत्र के लगभग 3 हजार ग्रामीणों द्वारा अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर लगभग 70 किमी दूर से ज्ञापन देने धमतरी आ रहे थे कि अचानक उन्हें केरेगांव के समीप रूकवा दिया गया जिससे इन ग्रामीणों ने पदयात्रा कर कलेक्टोरेट कार्यालय का घेराव किया और अपने ज्ञापन को संयुक्त कलेक्टर को सौंपा। अभ्यारण्य क्षेत्र के इन लोगों का कहना था कि वे कलेक्टर से मिलेंगे, लेकिन कलेक्टर नहीं आये और उन्हें खाली हाथ वापस जाना पड़ा जिन्होंने विधानसभा, लोकसभा चुनाव का मांग पूरी नहीं होने पर बहिष्कार करने का भी निर्णय लिया है। हालांकि बाद में कलेक्टर द्वारा अभ्यारण्य क्षेत्र की समस्याओं को लेकर नगरी में बैठक आनन-फानन में आयोजित की गई जिससे सिहावा विस क्षेत्र में काफी नाराजगी देखी जा रही है।
शहर में रामनवमी एवं रमजान का पर्व चल रहा है। सभी श्रद्धालु अपने अपने स्तर पर पूजा-अर्चना कर रहे हैं। 29 एवं 30 मार्च को रामनवमी के अवसर पर मोटर सायकल रैली एवं शोभायात्रा निकाली जायेगी जबकि इधर रमजान का महीना में भी तरावीह की विशेष नमाज अदा की जा रही है। धर्म की नगरी में सभी कुछ आपसी भाईचारा, प्रेम के तहत चलते आ रहा है। फिर भी ऐसे अवसरों पर शासन के निर्देशानुसार कलेक्टर के निर्देश पर शांति समिति की बैठक 27 मार्च को कलेक्टोरेट सभाकक्ष में आयोजित की गई थी जिसमें लोगों को उम्मीद थी कि कलेक्टर इस बैठक में आयेंगे। लेकिन इन्होंने शांति समिति के सम्माननीय सदस्यों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की भी जुर्रत महसूस नहीं की जिसके कारण शहर के लोगों में भी नाराजगी है। ऐसे लोगों का कहना है कि एक ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री लोगों से स्वयं मिल रहे हैं। शहर हो या ग्रामीण, हर तरफ भेंट मुलाकात कार्यक्रम लगातार जारी है वहीं दूसरी ओर उनके अधिनस्थ अधिकारी जबसे धमतरी में पदस्थ हुए हैं तबसे उनके द्वारा आम आदमियों से मिलने में उनके द्वारा सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। अति संवेदनशील मुद्दों में भी उनके द्वारा कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है जिसके कारण जिले में सरकार की छवि धूमिल हो रही है। अब शहर की जनता अपनी समस्याओं को लेकर वहां जाने में भी गुरेज़ कर रही है। अब देखना है कि शासन ऐसे निरंकुश अधिकारी पर किस तरह अंकुश लगाता है। आगामी महीनों में विस चुनाव है, यदि यही रवैया रहा तो जिले में सत्तापक्ष का वजूद ही समाप्त हो जायेगा, ऐसा लोगों का कहना है।